झोलाछापों की वापसी! बिना आदेश, बिना प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग ने खुलवा दी सील दुकानें
पीलीभीत स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। जिले में अवैध रूप से संचालित 114 झोलाछाप डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स पर हुई सीलिंग की कार्रवाई अब सिर्फ कागज़ों में रह गई है। बिना आदेश, बिना प्रक्रिया — खुलवा दीं सील की गई दुकानें! विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों यानी CMO … The post झोलाछापों की वापसी! बिना आदेश, बिना प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग ने खुलवा दी सील दुकानें appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

झोलाछापों की वापसी! बिना आदेश, बिना प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग ने खुलवा दी सील दुकानें
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पीलीभीत स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। जिले में अवैध रूप से संचालित 114 झोलाछाप डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स पर हुई सीलिंग की कार्रवाई अब सिर्फ कागज़ों में रह गई है।.
बिना आदेश, बिना प्रक्रिया — खुलवा दीं सील की गई दुकानें!
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों यानी CMO आलोक शर्मा और MOIC की मिलीभगत से सील की गई दुकानों के ताले तोड़े गए। जानकारी के अनुसार, इन दुकानों का सामान चुपचाप बाहर निकालकर इन्हें दूसरी दुकानों में शिफ्ट किया गया या वहीं से दोबारा संचालन शुरू कर दिया गया। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य विभाग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि जनता के स्वास्थ्य को भी दांव पर लगा रही है।
उगाही का खेल?
सील खोलवाने के नाम पर लाखों की उगाही का आरोप भी सामने आ रहा है। बरखेड़ा, बिलसंडा, बीसलपुर, अमरिया और जहानाबाद जैसे क्षेत्रों में यह गोरखधंधा जोरों पर है। ऐसे में विभिन्न मेडिकल स्टोर्स और झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा चलाए जा रहे इस मामले को गंभीरता से लेना आवश्यक है। क्या ये सब स्वास्थ्य विभाग की मौन सहमति से हो रहा है?
कार्यवाही का दिखावा, असल में संरक्षण?
चौंकाने वाली बात यह है कि सील तोड़ने और दोबारा दुकानें खुलवाने के बावजूद अब तक किसी झोलाछाप डॉक्टर या अवैध मेडिकल स्वामी पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गई। यह स्थिति जनता में आक्रोश पैदा कर रही है, और इस पर स्वास्थ्य विभाग को व्यापक जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।
जनता से धोखा या सिस्टम की नाकामी?
स्वास्थ्य विभाग की यह कार्यशैली सवालों के घेरे में है। जनता की सेहत के साथ किया जा रहा ये खिलवाड़ आखिर कब रुकेगा? क्या सरकार इसका संज्ञान लेगी या फिर यह मामला भी समय की धूल में रगड़ दिया जाएगा? जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्यशैली में सुधार लाए और जनता के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे।
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इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अवैध चिकित्सा प्रथा को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो देश के गरीब और जरूरतमंद लोग एक बार फिर झोलाछाप डॉक्टरों की शिकार बने रहेंगे।
लेखक: सुषमा वर्मा, कुमुदिनी शुक्ला, प्रिया तिवारी
टीम netaanagari
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