मॉक ड्रिल में विभागों के बीच दिखा शानदार समन्वय

राहत और बचाव दलों ने दिखाई तत्परता, रिस्पांस टाइम भी बेहतर राज्य के पांच जनपदों में बाढ़ प्रबंधन पर आयोजित की गई मॉक ड्रिल देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बाढ़ तथा जलभराव से सबसे अधिक प्रभावित रहने वाले राज्य के पांच जनपदों में सोमवार को मॉक ड्रिल की गई। मानसून अवधि में […] Source Link: मॉक ड्रिल में विभागों के बीच दिखा शानदार समन्वय

Jul 1, 2025 - 00:37
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मॉक ड्रिल में विभागों के बीच दिखा शानदार समन्वय
मॉक ड्रिल में विभागों के बीच दिखा शानदार समन्वय

मॉक ड्रिल में विभागों के बीच दिखा शानदार समन्वय

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देहरादून: उत्तराखंड राज्य के पांच जनपदों में सोमवार को मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि राहत और बचाव दलों के बीच समन्वय में सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आयोजित इस मॉक ड्रिल में विभागों ने आपस में मिलकर जिस तरह से तत्परता दिखाई, वह काबिले तारीफ है।

मॉक ड्रिल का उद्देश्य

इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य बाढ़ और जलभराव जैसी आपदाओं के लिए बेहतर तैयारी करना था। हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, देहरादून और चम्पावत में 23 स्थानों पर यह ड्रिल आयोजित की गई। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इसका संचालन किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों का सहयोग और समन्वय देखा गया।

तत्काल रिस्पांस टाइम

मॉक ड्रिल के दौरान रिस्पांस टाइम का जो स्तर दिखा, वह पहले से बेहतर रहा। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने बताया कि सभी जनपदों में विभिन्न रेखीय विभागों के अधिकारियों ने मिलकर काम किया, जिससे वास्तविक आपदा के समय में संभावित समस्याओं को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहचान की जा सकी।

समन्वय की सफलता

यह मॉक ड्रिल उस तरफ इशारा करती है कि राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से लेकर जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र तक सभी अधिकारी बेहद सक्रिय रहे। लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से सारी गतिविधियों को बारीकी से देखा गया और समन्वय की गुणवत्ता का आकलन किया गया। इस दौरान विशेषज्ञों ने आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी दी।

भविष्य की तैयारियां

श्री सुमन ने कहा कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल्स भविष्य में भी जारी रहेंगी। अगले चार महीनों में भूकंप, अग्निकांड जैसे अन्य संभावित आपदाओं पर भी मॉक अभ्यास किए जाएंगे। उत्तराखंड को आपदाओं के लिए संवेदनशील राज्य माना जाता है, और ऐसे अभ्यास तैयारियों का आंकलन करने में मदद करते हैं।

किस प्रकार की चुनौतियों का सामना किया गया?

सोमवार को किए गए मॉक ड्रिल में विभिन्न विभागों ने मिलकर खुद को चुनौती दी, जैसे कि खेतों में पानीभराव, चिकित्सीय आपातकालीन सेवाएं, और तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता। इससे यह साबित होता है कि सभी अधिकारी अपनी भूमिका को जानते थे, जिससे कि आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों में कोई भ्रम न उत्पन्न हो।

निष्कर्ष

मॉक ड्रिल का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे यह साबित हुआ कि विभागों के बीच समन्वय कितनी अहमियत रखता है। इस ड्रिल ने न केवल प्रक्रियाओं का आंकलन किया, बल्कि विभिन्न विभागों में बेहतर तालमेल का भी उदाहरण पेश किया। हालांकि कुछ कमियां रहीं, लेकिन उन्हें समय पर सुधारने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।

विभागों के बीच बेहतर समन्वय की इस तरह की सफलता से यह आशा जुड़ती है कि वास्तविक आपदा के समय इन अनुभवों का लाभ उठाया जाएगा, जो राज्य के नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।

सिर्फ एक मॉक ड्रिल नहीं, बल्कि यह हमारे भविष्य की सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है। उदाहरण स्वरूप, अग्निकांड, भूकंप जैसी आपदाओं की स्थिति में भविष्य में भी इस तरह के अभ्यास जारी रहेंगे।

यह मॉक ड्रिल हमें यह याद दिलाती है कि एकजुट प्रयास से हम किसी भी आपदा का सामना कर सकते हैं।

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