Trade union strike: ट्रेड यूनियनों की हड़ताल आज, क्या है कारण, क्या रहेगा खुला और क्या होगा बंद
ट्रेड यूनियन और किसान संगठन और मजदूरों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक लोग आज हड़ताल पर हैं। वे नए 4 नए लेबर लॉ और निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इससे काम के घंटे बढ़ेंगे, कंपनी मालिकों को सजा से बचाव मिलेगा, जॉब सिक्योरिटी पर असर पड़ेगा। … The post Trade union strike: ट्रेड यूनियनों की हड़ताल आज, क्या है कारण, क्या रहेगा खुला और क्या होगा बंद appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

ट्रेड यूनियनों की हड़ताल आज, क्या है कारण, क्या रहेगा खुला और क्या होगा बंद
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लेखक: साक्षी शर्मा, कविता तिवारी, टीम नेटआनागरी
आज, ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों के साथ मिलकर 25 करोड़ से अधिक लोग एक विशाल हड़ताल पर हैं। ये सभी नए चार श्रम कानूनों और निजीकरण के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। हड़ताल का उद्देश्य न केवल श्रमिकों की सुरक्षा को बनाए रखना है बल्कि उन नई नीतियों का विरोध करना भी है जो काम के घंटे बढ़ा सकती हैं और कंपनी मालिकों को किसी भी तरह की सजा से बचा सकती हैं।
क्या खुला रहेगा?
इस हड़ताल का असर कुछ सेवाओं पर नहीं पड़ेगा। स्कूल, कॉलेज और ट्रेन सेवाएं आज भी चलती रहेंगी। हालांकि, निजी संस्थान भी सामान्य रूप से काम करेंगे। श्रमिकों का कहना है कि वे अपनी मांगों के प्रति गंभीर हैं, लेकिन वे नागरिकों के जीवन को प्रभावित नहीं करना चाहते।
इन सेवाओं पर पड़ेगा असर
हड़ताल का प्रभाव कई सरकारी सेवाओं पर पड़ेगा, जैसे:
- बैंकिंग और बीमा सेवाएं
- डाक विभाग
- कोयला खनन और औद्योगिक उत्पादन
- राज्य परिवहन सेवाएं
- सरकारी कार्यालय
हड़ताल में ये संगठन हो रहे शामिल
हड़ताल में शामिल होने वाले संगठनों की सूची इस प्रकार है:
- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस
- इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस
- सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स
- हिंद मजदूर सभा
- सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमेन्स एसोसिएशन
- लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन
- यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस
इनके समर्थन में –
संयुक्त किसान मोर्चा, ग्रामीण मजदूर यूनियनें और कई सरकारी कर्मचारियों ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है। यह समर्थन उन सभी लोगों की आवाज बन रहा है जो सरकारी नीतियों में बदलाव चाहते हैं।
हड़ताल का प्रभाव
हड़ताल से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में बैंकों और सरकारी सेवाओं के ठप होने की आशंका है। इससे आम जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कार्यकर्ता चाहते हैं कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए।
निष्कर्ष
यह आंदोलन केवल श्रमिकों या किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के हर वर्ग की आवाज़ है। जब 25 करोड़ लोग एक साथ खड़े होते हैं, तो सरकार को उनकी मांगों को गंभीरता से लेना पड़ता है। हम सभी को ध्यान में रखना चाहिए कि यह हड़ताल केवल एक दिन का आंदोलन नहीं है, बल्कि यह एक संकेत है कि हमारे अधिकारों की रक्षा के लिए हम एकजुट हैं।
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