SC ने शरीयत और उत्तराधिकार पर केंद्र का रुख पूछा:याचिकाकर्ता की मांग- पर्सनल लॉ न मानने वालों को भारतीय कानून से उत्तराधिकार का हक मिले

उत्तराधिकार के लिए शरीयत न मानने वाली मुस्लिम महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। केरल की महिला जन्म से मुस्लिम है। उसका कहना है कि वह शरीयत में विश्वास नहीं करती। साथ ही वह इसे रूढ़िवादी मानती है। कोर्ट का मानना है कि यह आस्था के खिलाफ हो सकता है। इस वजह से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र से उसका रुख पूछा है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। महिला का नाम सफिया और वह केरल के अलपुझा की रहने वाली है। सफिया एक्स मुस्लिम्स ऑफ केरल की महासचिव है। हालांकि उसका कहना है कि उसने आधिकारिक तौर पर इस्लाम धर्म नहीं छोड़ा है। वह नास्तिक है और अनुच्छेद- 25 के तहत धर्म का मौलिक अधिकार चाहती है। महिला का कहना है कि इस अधिकार के तहत विश्वास न करने का अधिकार भी शामिल होना चाहिए। महिला की मांग है कि जो लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं मानना चाहते उन्हें भारत के उत्तराधिकार कानून के तहत पैतृक संपत्ति आदि पर उत्तराधिकार मिलना चाहिए। मई में शुरू होगी मामले की सुनवाई केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा था। इस पर बेंच ने चार हफ्ते का समय देते हुए कहा- मामले की सुनवाई 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

Jan 28, 2025 - 15:37
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SC ने शरीयत और उत्तराधिकार पर केंद्र का रुख पूछा:याचिकाकर्ता की मांग- पर्सनल लॉ न मानने वालों को भारतीय कानून से उत्तराधिकार का हक मिले
SC ने शरीयत और उत्तराधिकार पर केंद्र का रुख पूछा:याचिकाकर्ता की मांग- पर्सनल लॉ न मानने वालों को भारतीय कानून से उत्तराधिकार का हक मिले

SC ने शरीयत और उत्तराधिकार पर केंद्र का रुख पूछा: याचिकाकर्ता की मांग- पर्सनल लॉ न मानने वालों को भारतीय कानून से उत्तराधिकार का हक मिले

Netaa Nagari

लेखिका: साक्षी वर्मा, टीम NetaaNagari

परिचय

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामला सुनवाई के लिए स्वीकार किया है, जिसमें शरीयत कानून और उत्तराधिकार के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया है। याचिकाकर्ता का ये कहना है कि जो लोग पर्सनल लॉ का पालन नहीं करते हैं, उन्हें भारतीय कानून के तहत उत्तराधिकार का अधिकार मिलना चाहिए। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में व्याप्त विभिन्न लिंग और धार्मिक भेदभाव पर भी प्रकाश डालता है।

महत्वपूर्ण मुद्दे

कई सालों से, व्यक्तिगत कानूनों के तहत पारिवारिक संपत्ति के अधिकारों में भिन्नता ने विभिन्न समुदायों के बीच विवाद उत्पन्न किए हैं। शरीयत के अंतर्गत आने वाले मामलों में महिलाओं को अक्सर संपत्ति के अधिकारों से वंचित किया जाता है। इस संदर्भ में याचिकाकर्ता का कहना है कि भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मूलभूत अधिकारों को देखते हुए ये भेदभाव उचित नहीं हैं।

शरीयत और उत्तराधिकार की परिप्रेक्ष्य

शरीयत कानून के तहत, मुस्लिम महिलाएं, उत्तराधिकार के अधिकार में पुरुषों की तुलना में बहुत पीछे हैं। इसी प्रकार, अन्य अल्पसंख्यक समुदायों में भी व्यक्तिगत कानून की व्याख्या के आधार पर अधिकारों में भिन्नता देखी जाती है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे सभी समुदायों के लोगों को समान अधिकार प्राप्त हों।

केंद्र की भूमिका

इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख बहुत महत्वपूर्ण है। यह सवाल उठता है कि क्या केंद्र इस संबंध में कोई स्पष्ट नीति अपनाएगा या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। यदि केंद्र एक सकारात्मक रुख अपनाता है, तो यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा न्यायिक समानता की दिशा में।

समाज पर प्रभाव

इस मामले की सुनवाई का परिणाम समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को कम करने और समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि सर्वोच्च न्यायालय याचिकाकर्ता के तर्कों को स्वीकार करता है, तो इससे न केवल कानूनी ढांचे में बदलाव आएगा बल्कि यह भारतीय समाज में जागरूकता और समानता के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगा।

निष्कर्ष

सर्वोच्च न्यायालय का यह कदम एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देता है जिसमें पारंपरिक व्यक्तिगत कानूनों की पुनर्व्याख्या करने की आवश्यकता है। यह मुद्दा न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिशा में उठाए गए कदम सभी भारतीयों के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।

अंत में, हम सभी को इस मामले पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि इसका समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इस महत्वपूर्ण खबर के लिए, अधिक अपडेट के लिए netaanagari.com पर जाएं।

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Supreme Court, Shariyat Law, Personal Law, Inheritance Rights, Gender Equality, Indian Law, Personal Law Debate, Women's Rights, Legal Reforms, Community Rights

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