दिल्ली में किसकी सरकार, नतीजे आज:14 एग्जिट पोल- 12 में 27 साल बाद भाजपा की वापसी, 2 में केजरीवाल सरकार का अनुमान
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे थोड़ी देर में आने शुरू हो जाएंगे। 5 फरवरी को 70 सीटों पर 60.54% मतदान हुआ था। वोटिंग के बाद 14 एग्जिट पोल आए। 12 में भाजपा और 2 में केजरीवाल की सरकार बनने का अनुमान जताया गया। भाजपा की सरकार बनती है तो वो 27 साल बाद सत्ता में वापसी करेगी। इससे पहले 1993 में भाजपा ने 49 सीटें जीतीं और 5 साल में 3 CM बनाए थे। मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज। इसी तरह 2020 में केजरीवाल तीसरी बार CM बने थे, लेकिन शराब घोटाले में जेल से बाहर आने के बाद इस्तीफा दे दिया। वे 4 साल 7 महीने और 6 दिन CM रहे। इसके बाद आतिशी CM बनीं। वो 4 महीने 19 दिन (8 फरवरी तक) से CM हैं। दिल्ली की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) एलिस वाज ने कहा कि काउंटिंग मॉनिटर करने के लिए 5 हजार लोगों की टीम तैनात की गई है। साफ सुथरे काउंटिंग प्रोसेस के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 वोटर VVPAT (वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स ) का रेंडम सिलेक्शन किया जाएगा। पिछले 3 चुनावों के मुकाबले इस बार कम वोटिंग दिल्ली विधानसभा के पिछले 3 चुनावों के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है। 60.54% लोगों ने इस बार वोट डाले हैं। साल 2013 में 65.63% वोटिंग हुई थी। 2015 में 67.12% और 2020 में 62.59% वोटिंग हुई थी। 2013 में कांग्रेस के समर्थन से AAP ने पहली बार सरकार बनाई थी। हालांकि गठबंधन नहीं चला और उसके बाद 2015 और 2020 में हुए चुनाव में AAP ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। लोकसभा चुनाव के समीकरण विधानसभा चुनाव में बदले विधानसभा चुनाव में करीब 18% स्विंग वोटर्स किंगमेकर साबित होते हैं। दिल्ली चुनाव लोकसभा के करीब 9 महीने बाद होते हैं। इतने कम वक्त में ही वोटिंग ट्रेंड में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। पिछले तीन विधानसभा और लोकसभा चुनावों का विश्लेषण करें तो स्विंग वोटर्स ही दिल्ली की सत्ता तय करते रहे हैं। AAP के अलावा किसी पार्टी का CM फेस घोषित नहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अलावा किसी भी पार्टी ने CM फेस घोषित नहीं किया है। AAP सत्ता में लौटी तो अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री बनना तय है। जबकि, भाजपा और कांग्रेस की ओर से तीन-तीन नाम चर्चा में हैं। हालांकि, कांग्रेस सरकार बनाती नहीं दिख रही है। भाजपा हमेशा मुख्यमंत्री को लेकर चौंकाती रही है, फिर भी आम लोगों के बीच तीन नामों की चर्चा है। पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। प्रवेश जाट समुदाय से आते हैं। दिल्ली के 364 में से 225 गांवों में जाटों की आबादी सबसे ज्यादा है। दूसरा नाम रमेश बिधूड़ी का है। वे गुर्जर समुदाय से आते हैं। जाट के बाद गुर्जर समुदाय की आबादी दिल्ली में सबसे ज्यादा है। गुर्जर दिल्ली की 9 सीटों पर असर डालते हैं। तीसरा नाम दुष्यंत गौतम का है। वे SC समुदाय से आते हैं। पार्टी के संकल्प पत्र (मैनिफेस्टो) का तीसरा पार्ट जारी करते समय अमित शाह ने कहा था कि केजरीवाल ने दिल्ली को दलित CM देने का वादा किया था। 2 बार सरकार बनी। जेल गए, तब मौका था, फिर भी दलित CM नहीं बनाया। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि जीतने पर भाजपा किसी दलित को CM बना सकती है। कांग्रेस का दो चुनावों में खाता नहीं खुला शीला दीक्षित के लगातार दो बार CM रहने के बाद 2013 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 8 सीटें जीत पाई। इसके बाद हुए 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। 10 साल बाद पार्टी की कोशिश है कि उसका खाता खुले। कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित, प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव और महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा जैसे चेहरे चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। अगर पार्टी के 1 भी विधायक चुनकर आते हैं तो 10 साल बाद विधानसभा में उनका प्रतिनिधि होगा। दिल्ली विधानसभा की मौजूदा स्थिति…

दिल्ली में किसकी सरकार, नतीजे आज: 14 एग्जिट पोल- 12 में 27 साल बाद भाजपा की वापसी, 2 में केजरीवाल सरकार का अनुमान
Netaa Nagari
लेखक: रुचिका शर्मा, टीम Netaa Nagari
परिचय
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं और सभी की नजरें इस बात पर हैं कि किस पार्टी को दिल्ली की सत्ता मिलेगी। 14 एग्जिट पोल के अनुसार, 12 में भाजपा की वापसी का अनुमान है, जबकि 2 में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार दोबारा बनने की संभावना जताई गई है। यह चुनाव न केवल दिल्ली के लिए, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
भाजपा की संभावित वापसी
भाजपा के लिए यह चुनाव बहुत खास है क्योंकि अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं, तो 27 साल के बाद वह दिल्ली में सत्ता में लौट सकती है। भाजपा ने इस बार चुनावी अभियान में जनकल्याण योजनाओं, विकास और सुरक्षा को प्रमुख मुद्दा बनाया है। पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों का बखान भी किया है, जिससे दिल्ली की जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की गई है।
केजरीवाल सरकार की संभावनाएं
वहीं, केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच वर्षों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए सुधारों को अपनी ताकत बताया है। एग्जिट पोल में 2 में AAP की जीत का अनुमान इस बात का संकेत है कि जनता उनके कार्यों को सराह रही है। केजरीवाल ने भी चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली के लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार ने पिछले कार्यकाल में दिल्ली को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है।
दिल्ली का राजनीतिक माहौल
दिल्ली में चुनावी माहौल काफी गर्म है। सभी प्रमुख दलों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। भाजपा की ओर से नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने कई रैलियों में भाग लिया, जबकि AAP ने केजरीवाल के नेतृत्व में कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।
नतीजों का महत्व
आज के नतीजे न केवल दिल्ली बल्कि पूरे भारत के लिए एक संकेत हो सकते हैं कि भविष्य में राजनीतिक स्थिति किस दिशा में जाती है। यदि भाजपा वापस सत्ता में आती है, तो यह उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश होगा। दूसरी ओर, अगर AAP की जीत होती है, तो यह उनके कार्यों की स्वीकृति के रूप में देखी जाएगी।
निष्कर्ष
इस चुनाव के नतीजे दिल्ली के राजनीतिक स्थिति को नई दिशा दे सकते हैं। लोगों की वोटिंग और एग्जिट पोल में आए नतीजे एक नई राजनीतिक कहानी लिख सकते हैं। नतीजों के साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली की जनता किस दिशा में जाना चाहती है। आज का दिन सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है।
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