कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच हुई बहस, CM धामी ने किया बीच बचाव

Uttarakhand News: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान वेल में आकर जोरदार प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. इस दौरान सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली. मामला तब और गरमा गया जब उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच बहस इतनी बढ़ गई कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हस्तक्षेप कर मामला शांत कराना पड़ा. विधानसभा में हुए इस हंगामे के बाद पूरे राज्य में यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है. प्रेमचंद अग्रवाल ने आरोप लगाया कि मदन बिष्ट ने उनके साथ अभद्रता की और उनका व्यवहार असंयमित था. इतना ही नहीं, अग्रवाल ने यह भी दावा किया कि उन्हें लगा कि मदन बिष्ट शराब पीकर सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे थे. उनके इस बयान से विपक्ष में रोष फैल गया और कांग्रेस नेताओं ने इसे सत्ता पक्ष की एक सोची-समझी रणनीति बताया. सत्र के पहले दिन विपक्ष ने किया हंगामाविधानसभा सत्र के पहले दिन जैसे ही राज्यपाल के अभिभाषण की प्रक्रिया शुरू हुई, कांग्रेस विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. विपक्षी विधायक वेल में आकर प्रदर्शन करने लगे और सरकार पर जनहित के मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. कांग्रेस विधायकों का कहना था कि राज्य सरकार जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और सदन में विपक्ष को अपनी बात रखने नहीं दिया जा रहा. हंगामे के बीच कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच तीखी बहस हो गई. बहस इतनी बढ़ गई कि मामला हाथापाई तक पहुंचने की स्थिति में आ गया. यह स्थिति देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा. वहीं, कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने मदन बिष्ट को शांत कराते हुए उन्हें सदन से बाहर ले गए. मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने मदन बिष्ट पर लगाए अरोपइस पूरे घटनाक्रम के बाद उत्तराखंड सरकार में शहरी विकास मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मदन बिष्ट का आचरण संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ था. उन्होंने कहा, "मदन बिष्ट ने सदन में मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया. मुझे ऐसा महसूस हुआ कि वे नशे की हालत में थे और शराब पीकर सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे थे." प्रेमचंद अग्रवाल के इस बयान ने सियासी हलचल बढ़ा दी. विपक्ष ने उनके इस बयान को गंभीर आरोप करार दिया और कांग्रेस ने इसे सत्ता पक्ष द्वारा मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताया. मदन बिष्ट ने प्रेमचंद अग्रवाल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सरकार की सोची-समझी चाल है, जिससे विपक्ष को दबाया जा सके. उन्होंने कहा, "अगर सरकार को लगता है कि मैं शराब पीकर सदन में आया था तो मेरा मेडिकल टेस्ट कराया जाए. मैं सरकार को चुनौती देता हूं कि वे मेरा मेडिकल टेस्ट कराएं." सीएम धामी ने विवाद पर दी प्रतिक्रियामदन बिष्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार असल मुद्दों से बचने के लिए विपक्ष पर अनर्गल आरोप लगा रही है. उन्होंने कहा कि विपक्ष के विधायक जब भी जनता के मुद्दे उठाते हैं, तो सरकार उन्हें दबाने की कोशिश करती है. राज्य सरकार का ये व्यवहार बेहद अशोभनीय है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सदन में इस प्रकार की घटनाएं शर्मनाक है और इससे सदन की गरिमा प्रभावित होती है. उन्होंने कहा, "विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है. यहां मर्यादा में रहकर बहस होनी चाहिए. सत्ता और विपक्ष, दोनों को संसदीय मर्यादाओं का पालन करना चाहिए." विधानसभा अध्यक्ष ने क्या कहा?विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने भी इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि, "विपक्ष के विधायकों का विरोध करना जायज है, लेकिन अशोभनीय भाषा और अमर्यादित आचरण को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता. सदन की कार्यवाही में अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए. इस पूरे घटनाक्रम के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सदन को अराजकता की ओर ले जाना चाहती है, जबकि कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार जनता की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. विशेषज्ञों की रायविशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा सत्र के आगे के दिनों में भी हंगामे की संभावना बनी हुई है. कांग्रेस इस मुद्दे को और उछाल सकती है और सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना सकती है. यह मुद्दा न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि सामान्य जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है. सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे भाजपा की रणनीतिक चाल बता रहे हैं. उत्तराखंड विधानसभा सत्र के पहले दिन सत्ता और विपक्ष के बीच हुआ यह विवाद राजनीति में नई बहस को जन्म दे चुका है. जहां एक ओर सरकार सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील कर रही है, वहीं विपक्ष इसे जनता की आवाज दबाने का प्रयास बता रहा है. यह भी पढ़ें- अखिलेश यादव के बयानों पर भड़के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कहा- 'इनका हाजमा हुआ खराब'

Feb 19, 2025 - 14:37
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कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच हुई बहस, CM धामी ने किया बीच बचाव
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच हुई बहस, CM धामी ने किया बीच बचाव

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच हुई बहस, CM धामी ने किया बीच बचाव

Netaa Nagari - जब राजनीतिक सीनियर्स में बहस होती है, तो यह स्वाभाविक है कि यह सुर्खियों में आ जाता है। हाल ही में उत्तराखंड की राजधानी में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच एक गरमागरम बहस छिड़ गई। इस बहस ने न केवल विधानसभा में हंगामा पैदा किया, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी intervenir करने पर मजबूर किया। यह विवाद राजनीति के कई पहलुओं को उजागर करता है।

विवाद की पृष्ठभूमि

जानकारी के अनुसार, यह बहस उस समय हुई जब प्रेमचंद अग्रवाल और मदन बिष्ट विभिन्न मुद्दों पर अपनी-अपनी पार्टी की स्थिति को स्पष्ट कर रहे थे। दोनों नेताओं ने आरोप-प्रतिकार की जारी रखी और अपने विचारों के बीच कोई सद्भावना नहीं दिखाई। इससे बात बढ़ते-बढ़ते बहस में बदल गई, जिससे सदन में भी हंगामा मच गया।

मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बहस के बीच दखल देते हुए दोनों नेताओं से शांत रहने का आग्रह किया और कहा कि राजनीति में स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "हम सभी यहां जनता के मामलों पर चर्चा करने आए हैं, ऐसे में इस प्रकार की अनावश्यक बहस हमारे कार्य में बाधा डालती है।" उनके इस वक्तव्य ने कुछ हद तक माहौल को नियंत्रित करने में मदद की।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस बहस के बाद, राजनीतिक हलकों में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कांग्रेस के कई नेताओं ने अग्रवाल की टिप्पणी की निंदा की, जबकि बीजेपी ने इसे विपक्ष की ओछी राजनीति करार दिया। इस बहस ने उन मुद्दों को भी उठाया, जिन पर दोनों पार्टियों के बीच मतभेद हैं, जैसे विकास, कानून-व्यवस्था, और आर्थिक नीतियाँ।

स्थानीय नेताओं का नज़रिया

स्थानीय नेताओं का मानना है कि ऐसी बहसें महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इससे जनता के मुद्दों पर चर्चा होती है। हालांकि, उन्हें इस बात की चिंता भी है कि क्या ये बहसें कहीं राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर रही हैं।

निष्कर्ष

राजनीति में बहसें और विचार-विमर्श अनिवार्य हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये बहसें वास्तव में विकास की दिशा में प्रेरणादायक साबित होती हैं या केवल नकारात्मकता का सबब बनती हैं। प्रेमचंद अग्रवाल और मदन बिष्ट के बीच हुई बहस ने हमें इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि सही संवाद कितना महत्वपूर्ण है। भविष्य में हमें उम्मीद करनी चाहिए कि नेता सकारात्मक ढंग से संवाद करेंगे ताकि लोकतंत्र मजबूत हो सके।

लेखिका: सुषमा यादव, टीम Netaa Nagari

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