आखिर कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष, अब इसके लिए लॉबिंग करवा रही हैं विदेशी खुफिया एजेंसियां?
देश-दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी का अगला नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, इसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकारों के बीच माथापच्ची जारी है। कहने को तो यहां तक बताया जा रहा है कि अगले एक से डेढ़ महीनों में यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है, क्योंकि राज्यों में संगठन चुनाव अंतिम चरण में हैं। लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है! इसलिए सावधान! आखिर कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष, अब इसके लिए लॉबिंग करवा रही हैं विदेशी खुफिया एजेंसियां? जी हां, सीआईए की पूरी दिलचस्पी है इसमें! कुछ और छिपे रुस्तम होने की चर्चा है। तभी तो ब्रेक के बाद फैसला टल जाता है, पर कबतक?दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक जानकार ने नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर बताया कि विगत कुछेक वर्षों से अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर किसी भी तरह से भाजपा/आरएसएस के रिश्तों को कमजोर करने में जुटी हुई है। इसके लिए वो नए भाजपा अध्यक्ष के नाम पर भी अंतर्विरोध पैदा करवा रही हैं। वहीं चीनी की खुफिया एजेंसी भारतीय विपक्ष को मजबूत करने के लिए हर दांव चल रही है। लेकिन मोदी मैजिक और योगी के हठयोग के आगे सबको पानी भरना पड़ रहा है। वाकई, जिस तरह से इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक अनार, सौ बीमार वाली स्थिति पैदा की जा रही है, वह किसी अन्य आशंका को भी जन्म दे रहे हैं। इसलिए भारत में कोई दूसरा 'मोरारजी देसाई' जैसा 'गद्दार पीएम' नहीं बन सके, यह भी देखना भाजपा-संघ की ही जिम्मेदारी है। क्योंकि जनता को उससे बहुत उम्मीदें हैं। इसलिए सोच समझकर फैसला करें और जल्दी करें। यही श्रेयस्कर होगा।इसे भी पढ़ें: भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव में और हो सकती है देरी, जानें कहां फंस रहा पेचदेखा जाए तो बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कब मिलेगा, इसकी चर्चा तकरीबन एक-डेढ़ साल से चल रही है। जबकि अब यह तय माना जा रहा है कि अगले एक से डेढ़ महीनों के भीतर बीजेपी अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तय कर लेगी। पार्टी मामलों के जानकारों के मुताबिक, अगले कुछ हफ्तों में सभी राज्यों में संगठन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, जिसके बाद तकरीबन 20 दिन में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इस तरह से जुलाई आखिर या अगस्त के पहले हफ्ते में यह हो सकता है। वहीं कुछ लोग बता रहे हैं कि संसद के मानसून सत्र से पहले पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। इसके लिए राष्ट्रीय सहमति बनाई जा रही है, क्योंकि अभी तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।पार्टी मामलों के जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर अभी तलक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी है। जबकि पार्टी के सीनियर नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सीनियर पदाधिकारियों के बीच भी किसी एक नाम पर चर्चा नहीं हुई है। चूंकि अलग-अलग वजहों जैसे- आम चुनाव 2024, विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मूकश्मीर आदि के चलते सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया में देरी होती रही। वाकई, पहले विधानसभा चुनाव में अलग अलग राज्य इकाइयां व्यस्त थी और फिर 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सारा फोकस वहां शिफ्ट हो गया था। वहीं, अभी यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम तय नहीं हो पाए हैं। इस प्रकार कुल 28 राज्य और 9 यूटी में से अभी तक दो दर्जन में ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हो पाए हैं। इसके अलावा, संघ प्रमुख की सहमति भी एक बड़ी वजह बनकर सामने आई है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही बीजेपी ने 370 सीटें जीतने का टारगेट रखा था, लेकिन संघ के कथित असहयोग की वजह से मैजिक नंबर 272 तक के करीब भी नहीं पहुंच पाई थी। जिसके बाद से ही यह तय माना जा रहा है कि अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी संगठन पर ज्यादा ध्यान देगा। यही वजह है कि अब जो भी नया अध्यक्ष बनेगा, वह संघ की पूरी सहमति से ही बनेगा। अन्यथा भाजपा की नाव बीच मझधार में डूब सकती है। चूंकि अटल-आडवाणी की जोड़ी के बाद मोदी-शाह की जोड़ी तो हिट रही है, लेकिन विभिन्न कारणों से इन्हें अब पूरी छूट नहीं दी जा सकती है। क्योंकि पहले सिंधी-पंजाबी लॉबी और अब गुजराती लॉबी के मजबूत होने का जो संदेश जनमानस में गया है, उससे हिंदी पट्टी के जागरूक लोगों में गहरी निराशा है। यह इलाका समाजवादियों/कांग्रेसियों/वामपंथियों का गढ़ रहा है। इसलिए यहां पर भाजपा-संघ की पकड़ मजबूत बनाये जाने के संघ किसी जमीनी नेता को भाजपा की कमान सौंपना चाहता है।वहीं, संघ ने यह भी साफ कर दिया है कि चूंकि केंद्र सरकार में या राज्य सरकारों में मंत्री रह चुके कई लोगों को इस बार सरकार में जगह नहीं मिली है, इसलिए यह माना जा रहा है कि उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है, ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। यही वजह है कि किसी केंद्रीय मंत्री के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना से भी पार्टी नेताओं ने इनकार किया हैं, जबकि मोदी-शाह लॉबी ऐसा ही करना चाहती है। वहीं बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कैबिनेट फेरबदल होने की चर्चाएं भी तेज हैं, इसलिए कुछ करिश्माई फैसले की उम्मीद सबको है।समझा जाता है कि इस बार जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा, वही अगले प्रधानमंत्री के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अगली कैबिनेट और राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विभिन्न मंत्रियों आदि के चयन में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी, इसलिए संघ अपने मजबूत आदमी को इस पद पर बैठाना चाहता है, ताकि आडवाणी और शाह जैसी जलालत आगे झेलने की नौबत नहीं आए। यही वजह है कि औद्योगिक घरानों को भी संघ के सिपाहियों ने सतर्क कर दिया है कि व्यक्तिविशेष के प्रति निष्ठा रखेंगे तो मुश्किल बढ़ेगी।भाजपा के संविधान के मुताबिक, जब कम से कम 50 प्रतिशत प्रदेशों में सांगठनिक चुनाव पूरे हो जाते हैं, उसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। ऐसे में जब राष्ट्रीय परिषद बन जाएग

आखिर कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष, अब इसके लिए लॉबिंग करवा रही हैं विदेशी खुफिया एजेंसियां?
देश-दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी का अगला नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, इसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकारों के बीच माथापच्ची जारी है। इस विषय पर चर्चा सफ़ाई से चली आ रही है कि अगले एक से डेढ़ महीनों में यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है, क्योंकि राज्यों में संगठन चुनाव अंतिम चरण में हैं। लेकिन बात केवल इतनी सी नहीं है, बल्कि कई अन्य आशंकाएं भी हैं। foreign intelligence agencies, particularly the CIA, are showing great interest in this matter.
अंतरराष्ट्रीय तथ्य और भारतीय राजनीति में प्रभाव
एक अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ने बिना नाम बताए बताया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, भाजपा/आरएसएस के रिश्तों को कमजोर करने के प्रयास कर रहे हैं। उनके इरादे नए भाजपा अध्यक्ष के चयन में भी अंतर्विरोध पैदा करने के रहे हैं। इस संदर्भ में चीनी खुफिया एजेंसियों की कोशिशों की भी चर्चा हो रही है, जो भारतीय विपक्ष को मजबूत करने के हर संभव तरीके तलाश रही हैं। हालांकि, मोदी मैजिक और योगी के हठयोग का प्रभाव कई शक्तियों को कमजोर कर रहा है।
बैठक के बाद का निर्णय और समय सीमा
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पर चर्चा पिछले एक साल से चल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ्तों में सभी राज्यों में संगठन चुनाव की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया लगभग 20 दिन में खत्म होने की संभावना है। इस लिहाज से यह चुनाव जुलाई के अंत या अगस्त के पहले हफ्ते में संभव है। कुछ जानकारों का मानना है कि मानसून सत्र से पहले पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा।
खड़ी चुनौतियाँ और संघ की भूमिका
राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कोई एकमत नहीं बन सका है, जिससे यह स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। पार्टी की सत्ता में रहने की रणनीति और अगले आम चुनाव की तिथियां सभी चीजों को प्रभावित कर रही हैं। भाजपा को तैयार रहने की आवश्यकता है कि अगला अध्यक्ष केंद्र सरकार में या राज्य सरकारों में मंत्री रह चुके लोगों का चयन नहीं करेगा, बल्कि संगठनात्मक मजबूती के लिए कोई जमीनी नेता नियुक्त किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ और रणनीतिक फैसले
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में जो भी नया अध्यक्ष बनता है, उसकी भूमिका अगले प्रधानमंत्री के चयन में भी महत्वपूर्ण होगी। संघ चाहता है कि मजबूत व्यक्ति यहां बैठाए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके जो पहले हो चुकी हैं। इसके इलावा, यह महत्वपूर्ण है कि औद्योगिक घरानों को भी सतर्क किया जाए कि किसी विशेष व्यक्ति के प्रति निष्ठा रखेंगे तो मुश्किल बढ़ सकती है।
भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा?
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए संजय जोशी, योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर, और अन्य नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। तमिलनाडु से आने वाली नेताओं जैसे वानति श्रीनिवासन और तमिलिसाई भी एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी दक्षिण भारत में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है।
इस बार जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा, उसके सामने कई अहम जिम्मेदारियाँ होंगी - विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव और मंत्रियों की नियुक्तियों का वह नेतृत्व करेगा। पार्टी के मतदाता की उम्मीदें भी उस पर निर्भर करेंगी।
निर्णय जल्दी लेना होगा ताकि भाजपा को कोई असुविधा न हो और संगठनात्मक नुकसान से बचा जा सके। यह तय करना होगा कि कौन वास्तव में भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा।
- लेख examplar द्वारा, टीम नेटानागरी
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