'तत्कालीन उपराज्यपाल ने AAP की शराब नीति को मंजूरी क्यों दी', कांग्रेस ने कैग रिपोर्ट पर पूछे सवाल
दिल्ली में कथित शराब घोटाले को लेकर राजनीति फिर गरमा गई है. सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर बड़े खुलासे किए गए हैं, जिसके बाद कांग्रेस ने इस पूरे मामले की व्यापक जांच की मांग की है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल सरकार पर “लूट, झूठ और फूट” की राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सीएजी रिपोर्ट से साफ हो गया है कि दिल्ली की जनता के पैसे की लूट हुई है और शराब नीति के नाम पर 2002 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. शराब नीति पर कांग्रेस के सवाल देवेन्द्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने शराब नीति बनाते समय एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों को नजरअंदाज किया. उन्होंने आरोप लगाया कि AAP और बीजेपी की मिलीभगत के कारण इस घोटाले पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो रही. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की लिखित शिकायत पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. कांग्रेस की मांग है कि शराब नीति घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाया जाए और इस पर खुली चर्चा हो. देवेन्द्र यादव ने बीजेपी को भी घेरा और कहा कि यह घोटाला सिर्फ AAP का ही नहीं, बल्कि बीजेपी की भूमिका भी इसमें संदिग्ध है. तत्कालीन उपराज्यपाल ने AAP की शराब नीति को मंजूरी क्यों दी? एक साल में तीन आबकारी निदेशक क्यों बदले गए? नॉन-कन्फर्मिंग क्षेत्रों में शराब के ठेके खोलने की इजाजत किसने दी? इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम (जो उस वक्त बीजेपी के नियंत्रण में था) ने भी गैर-कानूनी शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी. चुनावी बॉन्ड का मुद्दा भी उठाया देवेन्द्र यादव ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि 5 सितंबर 2022 को कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पुलिस आयुक्त से मिला था और सबूतों के साथ शिकायत दी थी कि शराब कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए AAP और बीजेपी को फंडिंग की. लेकिन अब तक इस मामले की कोई जांच नहीं हुई. उन्होंने मांग की कि इस फंडिंग के मामले को भी घोटाले की जांच में शामिल किया जाए. देवेन्द्र यादव ने बताया कि सीएजी रिपोर्ट के अनुसार: पहले 77 कंपनियों की शराब नीति में भागीदारी थी, जो घटकर सिर्फ 14 रह गई. इन 14 कंपनियों के मालिकों के AAP नेताओं से करीबी संबंध थे. शराब नीति लागू होने से पहले ही इसकी जानकारी लीक हो गई थी. दिल्ली कांग्रेस चीफ ने कहा कि यह स्पष्ट घोटाले का मामला है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. देवेन्द्र यादव ने कहा कि AAP सरकार ने एक्साइज ड्यूटी की दर को सालाना बढ़ाने का दावा किया था. लेकिन हकीकत में सरकार ने 30-40% अवैध शराब की बिक्री को कानूनी मान्यता दे दी. उन्होंने सवाल किया कि अगर दिल्ली में 10,000 बोतलें बिकती थीं, और 13,000-14,000 बोतलें बेची जा रही थीं, तो सरकार ने अवैध शराब पर टैक्स क्यों नहीं लगाया? कांग्रेस की मांग शराब घोटाले की विस्तृत जांच हो और विधानसभा में इस पर खुली बहस हो. AAP और बीजेपी को शराब कंपनियों से मिले चुनावी बॉन्ड की जांच हो. बीजेपी नेताओं और तत्कालीन उपराज्यपाल की भूमिका की भी जांच हो. दिल्ली में अवैध शराब के ठेके खोलने की जांच हो और दोषियों को सजा मिले. 'AAP और बीजेपी का खेल खत्म होगा' कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि AAP और बीजेपी के बीच दिखावटी लड़ाई चल रही है, लेकिन असल में दोनों ही घोटाले में शामिल हैं उन्होंने कहा कि अगर निष्पक्ष जांच होती है, तो न सिर्फ AAP सरकार बेनकाब होगी, बल्कि बीजेपी के कई बड़े नेता भी इसमें फंस सकते हैं. कुल मिलाकर, सीएजी रिपोर्ट ने केजरीवाल सरकार की शराब नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और अब कांग्रेस ने इस मामले को पूरी तरह से उजागर करने की ठान ली है. अब देखना होगा कि क्या इस घोटाले की निष्पक्ष जांच होगी या यह मामला भी राजनीतिक तकरार में दबकर रह जाएगा. दिल्ली में BJP ने तय किया डिप्टी स्पीकर का नाम, सीएम रेखा गुप्ता रखेंगी प्रस्ताव

तत्कालीन उपराज्यपाल ने AAP की शराब नीति को मंजूरी क्यों दी, कांग्रेस ने कैग रिपोर्ट पर पूछे सवाल
Netaa Nagari
एक नई राजनीतिक हलचल के बीच, हाल ही में तत्कालीन उपराज्यपाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) की शराब नीति को मंजूरी देने के अपने फैसले को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय की कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए, इस निर्णय की जांच की मांग की है।
अवलोकन
दिल्ली की राजनीति में शराब नीति को लेकर विवाद तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी द्वारा प्रस्तावित नई शराब नीति को तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह नीति पारदर्शिता के मानकों को पूरा नहीं करती है और भ्रष्टाचार के रास्ते खोल सकती है।
AAP की शराब नीति का क्या है मर्म?
AAP की नई शराब नीति का उद्देश्य शराब की बिक्री को सुव्यवस्थित करना और राजस्व बढ़ाना है। पार्टी का दावा है कि इस नीति से राज्य के खजाने में बड़ा इजाफा होगा और यह बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता लाएगा। AAP के नेताओं का कहना है कि यह नीति दिल्ली में शराब की तस्करी और ब्लैक मार्केटिंग को कम करने में सहायक होगी।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस के नेता दिल्ली की शराब नीति को लेकर कई सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना है कि कैग रिपोर्ट में कई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि उपराज्यपाल के कार्यालय ने इस नीति को मंजूरी देने से पहले पर्याप्त विचार नहीं किया। कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
उपराज्यपाल के फैसले पर राजनीति
उपराज्यपाल के इस फैसले को लेकर राजनीतिक पार्टियाँ अपनी-अपनी राय रख रही हैं। AAP जहां अपने निर्णय को सही ठहराने में जुटी है, वहीं कांग्रेस सीधा हमला कर रही है। पार्टी के महासचिव ने कहा कि “हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। यदि नीति में कोई खामियां हैं, तो हमें जवाब चाहिए।”
निष्कर्ष
दिल्ली की शराब नीति का मामला न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम आदमी पर भी असर डालने वाला है। आम आदमी पार्टी इस नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि कांग्रेस इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इस विषय पर आगे की राजनीति और आम जनता की राय के बारे में जानने के लिए हम सबको अपनी आवाज उठानी होगी।
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