'शी जिनपिंग के साथ बैठक के बाद हालात काफी सुधरे', जानिए भारत-चीन रिश्तों पर और क्या बोले पीएम मोदी?
पीएम मोदी ने कहा, "अगर हम सदियों पीछे देखें, तो हमारे बीच संघर्ष का कोई वास्तविक इतिहास नहीं है। यह हमेशा एक-दूसरे से सीखने और एक-दूसरे को समझने के बारे में रहा है।"

शी जिनपिंग के साथ बैठक के बाद हालात काफी सुधरे, जानिए भारत-चीन रिश्तों पर और क्या बोले पीएम मोदी?
Netaa Nagari
लेखक: राधिका शर्मा, टीम नेतानगरि
भारत और चीन के रिश्तों में हालिया सुधार को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ महत्वपूर्ण बयान दिए हैं। शी जिनपिंग के साथ बैठक के बाद पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच हालात काफी सुधरे हैं। जानिए इस बैठक के महत्व और इसके पीछे के कारण।
बैठक का महत्व
यह बैठक दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई, जहां सीमावर्ती विवाद और व्यापार संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि, "हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और दोनों देशों के बीच संवाद का होना बहुत आवश्यक है।" इस बैठक के बाद कई नेताओं ने इसे भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत बताया है।
भारत-चीन रिश्तों पर पीएम मोदी का दृष्टिकोण
पीएम मोदी ने कहा कि चीन भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दोनों देशों के बीच व्यापार वृद्धि के संभावनाओं पर चर्चा हुई। उन्होंने खुलासा किया कि "भारत और चीन के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए एक नई योजना बनाई जा रही है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।"
इन सकारात्मक योजनाओं में व्यापारिक रिश्तों को मजबूती प्रदान करना, लोगों के बीच सांस्कृतिक विनिमय को बढ़ावा देना, और सुरक्षा मुद्दों पर आपसी सहमति बनाना शामिल है। पीएम मोदी का मानना है कि ये उपाय दोनों देशों को एक नई दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेंगे।
अर्थव्यवस्था और व्यापार
भारत-चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। हाल ही में दोनों देशों के बीच व्यापारिक आदान-प्रदान में वृद्धि दर्ज की गई है। पीएम मोदी ने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा व्यापारिक सहयोग और भी मजबूत हो।" उन्होंने निर्यात क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता के साथ-साथ दोनों देशों के निवेश संबंधों को भी रेखांकित किया।
समापन विचार
यह बैठक न केवल भारत-चीन संबंधों के लिए एक नया अध्याय खोलती है बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी का यह बयान यह दर्शाता है कि भारत चीन के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। भविष्य में भारतीय विदेश नीति में सुधार की यह दिशा एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
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