जातीय जनगणना: कांग्रेस के श्रेय लेने पर उपेंद्र कुशवाहा की दो टूक, RLM प्रमुख ने कह दी बड़ी बात

Caste Census in Bihar: केंद्र सरकार के जातीय जनगणना कराने के निर्णय पर कांग्रेस श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, जिस पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने निशाना साधा है. गुरुवार (01 मई, 2025) को वे सासाराम में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कांग्रेस अपने शासनकाल में क्यों जातीय जनगणना नहीं करा सकी थी? उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पिछले दिनों पार्टी शिविर में जाति जनगणना और बढ़ी जनसंख्या के आधार पर लोकसभा, विधानसभा परिसीमन को लेकर प्रस्ताव लाया गया था. केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना की मांग पूरी कर दी, लेकिन लोकसभा, विधानसभा परिसीमन की मांग को लेकर आरएलएम किसी स्तर तक जाएगी. उन्होंने लोकसभा, विधानसभा के परिसीमन की मांग करते हुए कहा कि अगर नया परिसीमन हो तो बिहार से 40 के बदले 60 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचेंगे, वैसे ही विधानसभा में भी संख्या बढ़ जाएगी. सभी वर्गों का हो रहा नुकसान: कुशवाहा इस संबंध में आरएलएम प्रमुख ने आगे कहा कि इससे सभी वर्गों को नुकसान हो रहा है. औसतन 10 लाख मतदाता मिलकर एक सांसद चुनते हैं, जबकि कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां 30 लाख लोग मिलकर एक सांसद चुन रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि रोहतास जिले के विक्रमगंज में 25 मई को संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली से वातावरण बनाने का कार्य किया जाएगा. दूसरी रैली मुजफ्फरपुर में भी होगी. 'संविधान में परिसीमन का प्रावधान बनाया गया' कुशवाहा ने कहा कि दक्षिण के कुछ राज्यों ने लोकसभा और विधानसभा परिसीमन का विरोध किया है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा की बढ़ती जनसंख्या पर परिसीमन को लेकर पूरी तरह से वातावरण बनाया जाएगा. हमारे संविधान में परिसीमन का प्रावधान बनाया गया है.  उन्होंने कहा कि जनसंख्या के आधार पर जो लोकसभा सीटें तय होती हैं, वह अभी नहीं है. देश में एक सांसद के चुनाव पर मतदाताओं की संख्या सामान्य होनी चाहिए. उन्होंने परिसीमन को लेकर कहा कि महिलाओं के शिक्षित होने से जनसंख्या नियंत्रण हो सकता है. यह आम तौर पर देखा जाता है कि शिक्षित महिलाएं छोटे परिवार में विश्वास करती हैं. यही बिहार में भी देखने को मिल रहा है. यह भी पढ़ें- 'पहलगाम आतंकी हमला भूलकर तेजस्‍वी यादव...', क्यों भड़की चिराग पासवान की पार्टी?

May 2, 2025 - 09:37
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जातीय जनगणना: कांग्रेस के श्रेय लेने पर उपेंद्र कुशवाहा की दो टूक, RLM प्रमुख ने कह दी बड़ी बात
जातीय जनगणना: कांग्रेस के श्रेय लेने पर उपेंद्र कुशवाहा की दो टूक, RLM प्रमुख ने कह दी बड़ी बात

जातीय जनगणना: कांग्रेस के श्रेय लेने पर उपेंद्र कुशवाहा की दो टूक, RLM प्रमुख ने कह दी बड़ी बात

Netaa Nagari

लेखक: प्रिया शर्मा, टीम नेतानागरी

भूमिका

भारत में जातीय जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है, जिसका राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव है। इस विषय पर कांग्रेस पार्टी का श्रेय लेने के प्रयासों पर प्रतिक्रिया देते हुए, उपेंद्र कुशवाहा ने स्पष्ट रूप से अपनी राय रखी है। आइये, जानते हैं इस पर उनके बयान और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

उपेंद्र कुशवाहा का बयान

राजद्रोह और समाजवाद के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस के विचारों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "जातीय जनगणना का विकल्प सिर्फ एक राजनीतिक हथियार बन रहा है। कांग्रेस इससे श्रेय लेना चाहती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इसे हमारे जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ही आकार दिया है।" कुशवाहा का ये वक्तव्य बताता है कि वे कांग्रेस की नीति को लेकर कितने सतर्क हैं।

जातीय जनगणना का महत्व

जातीय जनगणना सिर्फ एक आकड़ात्मक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों की पहचान और अधिकारों को सुनिश्चित करने का माध्यम है। इस संदर्भ में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "जातीय जनगणना इसलिए आवश्यक है ताकि सभी वर्गों को उनके अधिकार और आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।" इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह जनगणना सामाजिक समरसता के लिए भी आवश्यक है।

RLM प्रमुख की राय

जहां एक ओर उपेंद्र कुशवाहा के बयान ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है, वहीं RLM के प्रमुख ने भी इस पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "अगर राजनीति में जातीय जनगणना का श्रेय लेने की कोशिशें होती रहीं, तो इससे समाज में विभाजन बढ़ेगा। हमें एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।" इसके अलावा, उन्होंने जातीय जनगणना के फायदे और इसे लागू करने की महत्वपूर्णता को रेखांकित किया।

निष्कर्ष

जातीय जनगणना पर उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिक्रिया न केवल कांग्रेस के राजनीतिक खेल को उजागर करती है, बल्कि यह समाज में एकता और समानता की आवश्यकता को भी प्रस्तुत करती है। ये आवश्यक है कि हम एकजुट होकर इस मुद्दे पर सोचें और किसी भी राजनीतिक लाभ से परे जा कर समाज की भलाई के लिए प्रयास करें।

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