बम धमकियों पर सख्त हाई कोर्ट, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस, पूछा- बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों?

Bomb Threats In Delhi Schools: देश की राजधानी के स्कूल इन दिनों डर और अनिश्चितता के साये में हैं. फर्जी बम धमकियों की लगातार खबरों की वजह से अभिभावकों और बच्चों को डर का माहौल है. वे मानसिक रूप से दबाव में हैं. वहीं प्रशासन की लापरवाही ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार के मुख्य सचिव और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने कहा कि यह कोई सामान्य मामला नहीं है. जब स्कूल जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों में बार-बार ऐसी झूठी धमकियां मिल रही हैं तो समुचित और समन्वित प्रणाली की तत्काल आवश्यकता है. दिल्ली HC कोर्ट ने पूछा-SOP अब तक क्यों नहीं बनी ? याचिकाकर्ता वकील अर्पित भार्गव ने अपनी याचिका में कहा है कि 14 नवंबर 2024 को हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि दिल्ली सरकार और पुलिस को एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करनी है, जिससे इन आपात स्थितियों में फौरन और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके. आदेश के मुताबिक आठ हफ्ते के भीतर योजना बननी थी, पर 14 जनवरी 2025 तक भी कोई ठोस पहल नहीं हुई. '4600 स्कूल, सिर्फ 5 बम स्क्वॉड' दिल्ली पुलिस ने खुद स्वीकार किया है कि राजधानी में 4,600 से अधिक स्कूल हैं, लेकिन केवल 5 बम निष्क्रियकरण दस्ते और 18 बम पहचान टीमें हैं. हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए इसे गंभीर चूक बताया है. अदालत ने कहा कि ऐसी संवेदनशील परिस्थितियों में इतने सीमित संसाधन बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं. डर का वातावरण, व्यवस्था का अभाव याचिका में कहा गया है कि चाहे धमकियां असली हों या झूठी, हर बार स्कूलों को खाली कराया जाता है, बच्चों में घबराहट फैलती है, पढ़ाई बाधित होती है और अभिभावकों में दहशत का माहौल बनता है. बिना SOP के हर बार अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है, जिससे अव्यवस्था फैलती है. 19 मई को अगली सुनवाई, अधिकारियों को तलब किया गया अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख तय की है और स्पष्ट निर्देश दिया है कि सरकार और पुलिस के शीर्ष अधिकारी स्वयं उपस्थित होकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया है कि कोर्ट की अवमानना (Contempt of Courts) के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. इसे भी पढ़ें: आरके पुरम में तेज रफ्तार कार ने ली व्यक्ति की जान, CCTV कैमरे की मदद से पुलिस ने आरोपी को दबोचा

May 1, 2025 - 18:37
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बम धमकियों पर सख्त हाई कोर्ट, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस, पूछा- बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों?
बम धमकियों पर सख्त हाई कोर्ट, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस, पूछा- बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों?

बम धमकियों पर सख्त हाई कोर्ट, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस, पूछा- बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों?

लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेटा नगरी

दिल्ली में बम धमकियों के बढ़ते मामलों को लेकर हाई कोर्ट ने एक सख्त संदेश भेजा है। न्यायालय ने दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस भेजते हुए बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट ने जानना चाहा कि आखिर बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। यह कार्रवाई तब की गई जब राजधानी में बम से धमकाने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं।

बच्चों की सुरक्षा पर सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट ने बम धमकियों के मामलों की गंभीरता को देखते हुए, समाज में सुरक्षा के मुद्दे पर चिंता जताई। बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता ऐक्ट में बदलना आवश्यक हो गया है। न्यायालय ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि वे इस समस्या का समाधान क्यों नहीं कर पा रहे हैं।

धमकी भरे फोन कॉल्स का बढ़ता सिलसिला

राजधानी में हाल के दिनों में बम धमकियों के फोन कॉल्स की संख्या में वृद्धि हुई है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह कॉल्स स्कूलों, कॉलेजों और अन्य सार्वजनिक स्थलों को निशाना बनाते हैं। इससे न केवल बच्चों का मनोबल टूटता है, बल्कि अभिभावकों के बीच भी चिंता का माहौल उत्पन्न हो रहा है।

दिल्ली सरकार की भूमिका

दिल्ली सरकार को इस स्थिति में प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। ऐसे भयावह कॉल्स का तुरंत समाधान करना बेहद जरूरी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा में कोई कमी न आए। इसके लिए समाज के सभी वर्गों को जागरूक करने की आवश्यकता है। साथ ही, इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करने की भी आवश्यकता है।

हाई कोर्ट का सख्त रुख

दिल्ली हाई कोर्ट का यह कदम एक स्पष्ट संकेत है कि बच्चों की सुरक्षा किसी भी कीमत पर सुनिश्चित की जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा है कि यदि बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो यह समाज के लिए बहुत ही चिंताजनक है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि कानून प्रणाली को कार्यात्मक और सशक्त होना आवश्यक है।

समाज की जिम्मेदारी

हम सभी को इस मामले में सजग रहना होगा। यदि हम सभी एकजुट होकर सरकार और सुरक्षा निकायों पर दवाब डालें, तो सही दिशा में परिवर्तन लाया जा सकता है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों के साथ इस विषय पर चर्चा करनी चाहिए और उन्हें इस तरह की परिस्थिति में क्या करना है, इसकी जानकारी देनी चाहिए।

निष्कर्ष

दिल्ली हाई कोर्ट का यह कदम न केवल बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता को बढ़ाने का कार्य करेगा, बल्कि यह समाज के लिए एक सशक्त संदेश भी होगा। अब वक्त है कि हम सभी मिलकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।

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