जानिए आखिर क्यों पाकिस्तान कर रहा है आतंकवाद फ़ैलाने जैसा 'गंदा काम'?
जब अंतर्राष्ट्रीय महकमे में पाकिस्तान को आतंकवाद पैदा करने की फैक्ट्री मान लिया गया है, तब भी यदि उसके खिलाफ कोई मजबूत वैश्विक कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसा सिर्फ इसलिए कि वह दुनियावी हथियार और सुरक्षा उपकरण निर्माता कम्पनियों और उनके संरक्षक मूल राष्ट्रों के हाथों का खिलौना बन चुका है। ये देश कोई और नहीं बल्कि अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ़्रांस, इजरायल, जर्मनी, तुर्किये आदि जैसे देश हैं जिन्हें मौत का सौदागर कहना ज्यादा उचित रहेगा!दरअसल, यह बात मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि इसका एक क्लू पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयानों से मिला है, जिसके बाद अपने पाठकों को ‘ह’ से ‘हलंत’ तक की बात समझा रहा हूँ| वैसे तो भारतीय नेतृत्व के लिए भी यह बात जानना-समझना जरुरी है! हालाँकि उसके पिछले एक दशक के रूख से यही प्रतीत होता है कि वह सबकुछ समझ रहा है और बार-बार दुनिया को यह नसीहत भी दे रहा है कि यह युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध का समय है।ऐसे में संभव है कि भारत को युद्ध की जाल में उलझाकर चीन को बर्बाद करना अमेरिका-ब्रिटेन समेत नाटो देशों की यह एक नई चाल हो, जैसा कि उन्होंने रूस के खिलाफ यूक्रेन को भड़का कर अपना नापाक लक्ष्य पूरा किया। चूँकि चीन-रूस के प्रगाढ़ रिश्तों से अमेरिका-चीन के रिश्ते खटाई में पड़ते जा रहे हैं, वहीं भारत का नेतृत्व रूस, अमेरिका और चीन से एकसमान रिश्ते रखना चाहता है ताकि युद्ध की बजाय विकास को गति दी जा सके। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय जगत के सामने कटोरा लेकर खड़ा रहने वाले देश पाकिस्तान को ‘उनके’ ही इशारे पर पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिलवा दिया, ताकि मोदी सरकार के सब्र की बांध टूटे, फिर वह पाकिस्तान पर हमला करे।इसे भी पढ़ें: पाक को सबक सिखाना एवं आतंकवाद को उखाड़ना होगातत्पश्चात पाकिस्तान को बचाने चीन आएगा और जब ऐसा होगा तो भारत-चीन के बीच भड़कने वाले युद्ध में पश्चिमी देश भारत का साथ देंगे और फिर जैसे यूक्रेन को उसकी कीमती खनिज सम्पदा के लिए ब्लैक मेल किया कुछ वैसा ही भारत के साथ भी करेंगे। हालाँकि भारत ने इस बार कूटनीतिक सर्जिकल लड़ाई को अपना नया हथियार बनाया और ताबड़तोड़ पांच प्रतिबन्ध उसपर थोप दिए। आगे सबक सिखाने की तैयारी में भारतीय नेतृत्व जुटा हुआ है। इसी बीच घबराए पाकिस्तान ने यानी उसके रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जो अर्द्धसत्य स्वीकार किया है, वह हैरान करने वाला बयान समझा जा रहा है। लेकिन इसके पीछे की एक और कड्वी सच्चाई जिसे वे चालाकी पूर्वक छिपा लिए, वह है अमेरिका का मजबूत अंतर्राष्ट्रीय विकल्प बनते जा रहे चीन और उसके समर्थक उत्तरपूर्वी देशों और मध्य पूर्व के देशों का नाम, जो हर भारतीय को जानना चाहिए! क्योंकि यदि उन्होंने ऐसी साफगोई दिखा दी होती तो चीन के साथ परवान चढ़ रहे रिश्ते खराब हो जाते!यहाँ यह भी संभव है कि भारत के कड़े रूख के मद्देनजर उन्होंने जानबुझकर अमेरिका, ब्रिटेन आदि का नाम रणनीतिक रूप से लिया है, क्योंकि पाकिस्तान के साथ उनके रिश्ते अब वैसे प्रगाढ़ नहीं रहे जैसे कि पहले हुआ करता था! ऐसा इसलिए कि पाकिस्तान अब उनके प्रबल प्रतिद्वंद्वी चीन के खेमे में जा चुका है। आज चीन के साथ रूस, उत्तर कोरिया, तुर्की, ईरान, जर्मनी आदि जैसे देश हैं, जिनमें से कई के साथ भारत के समझदारी भरे रिश्ते हैं। हालाँकि उनका यह बयान भारत और रूस के लिए आंख खोलने वाला है।भारत को पता होना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय हथियार लॉबी दशकों से उसके पीछे पड़ी हैं। यहाँ के लोग भी यह महसूस कर रहे होंगे कि भारत में बढ़ते आतंकवादी हमलों, नक्सली हमलों और अंडरवर्ल्ड के गैंगवार के बाद हमारी सरकार ने आधुनिक हथियार और सुरक्षा उपकरण खरीदी। चूँकि आतंकवाद का ‘बाप’ पाकिस्तान और नक्सलवाद का बाप ‘चीन’ भारत के पड़ोसी हैं, इसलिए भारत इससे ज्यादा प्रभावित होता आया है| हमारी 'मुर्ख सरकारें' भी फर्जी धर्मनिरपेक्षता, मन्दिर-मस्जिद, आरक्षण और सामाजिक न्याय, भाषा और क्षेत्र के नाम पर भारतीयों को बरगलाती रहीं और आतंकवाद, नक्सलवाद और संगठित अपराध के खिलाफ भारतीयों में सद्प्रेरणा पैदा नहीं कीं, क्योंकि विदेशी पूंजीपतियों के एजेंट भारतीय पूंजीपति भी यही चाहते थे। नई आर्थिक नीति की आड़ में इनलोगों ने भारत के जमे जमाये उद्योगों को मार दिया और अमेरिका के शह पर गुणवत्ता हीन चीनी सामानों से भारतीय बाजार को पाट दिया। जबतक मोदी सरकार, मनमोहन सरकार की ‘देशद्रोही’ कारगुजारियों को समझ पाई और ताबड़तोड़ काउंटर वाले फैसले लिए। इससे परेशान चीनी-अमेरिकी पूंजीपतियों के गिरोह ने कृत्रिम कोरोना महामारी पैदा कर दी। भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन गलवान घाटी में घुस आया।हालाँकि मोदी सरकार ने दृढ़ता पूर्वक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों का मुकाबला करते हुए आपदा को अवसर में बदल दिया। उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध और दक्षिण चीन सागर विवाद के बीच भारत ने संतुलनकारी रूख अपनाया। यही बात बार बार अमेरिका और पश्चिमी देशों को खटक रही है। अभी हाल ही में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में खनिज सम्पदा निकालने में अमेरिका ने जो दिलचस्पी दिखाई है, उसके लिंक भी देर-सबेर कश्मीर कांड से जुड़ जाएंगे।चूँकि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने दो टूक स्वीकार किया है कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को धन मुहैया करा रहा है और उनका समर्थन कर रहा है। ख्वाजा आसिफ ने एक बातचीत के दौरान कहा- हम करीब 3 दशकों से अमेरिका के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं। ख्वाजा आसिफ ने अपनी इस प्रवृति के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया। ख्वाजा ने एक बयान में माना कि पाक पिछले तीन दशकों से आतंकवाद को पाल रहा है। रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को धन मुहैया करा रहा है और उनका समर्थन कर रहा है।मसलन वायरल हो रहे इस आशय के एक वीडियो क्लिप में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री स्काई न्यूज के यल्दा हकीम से बातचीत कर रहे हैं, जब वह उनसे पूछती हैं, 'आप मानते हैं सर, कि पाकिस्तान का इन आतंकी संगठन

जानिए आखिर क्यों पाकिस्तान कर रहा है आतंकवाद फैलाने जैसा 'गंदा काम'?
Netaa Nagari, लेखिका: सुमिता शर्मा, बृजेश कौर, टीम नेतानगरि
समाज में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए आतंकवाद और अन्य घातक गतिविधियों का अंत करना आवश्यक है। हाल ही में, पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप चर्चा का विषय बना हुआ है। इस लेख में हम जानेंगे कि पाकिस्तान आखिर क्यों इस तरह के 'गंदे काम' कर रहा है और इसका असर हमारे क्षेत्र पर क्या पड़ रहा है।
आतंकवाद का इतिहास और पाकिस्तान का रोल
पाकिस्तान का इतिहास आतंकवाद से भरा हुआ है। स्वतंत्रता के बाद से, उसने आतंकवाद को अपने राजनीतिक एजेंडे में शामिल किया है। यह अक्सर अपने पड़ोसी मुल्कों, खासकर भारत, के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहता है। यह नीतिगत रूप से तंत्रों का इस्तेमाल कर अपने हित सिद्ध करने में लगा हुआ है।
आधुनिक संदर्भ में आतंकवाद का प्रचार
आधुनिक समय में, तकनीक और संचार के साधनों का इस्तेमाल करके आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन सोशल मीडिया का उपयोग कर युवाओं को भड़काने में लगे हैं। इससे न सिर्फ आंतरिक सुरक्षा में बाधा आती है, बल्कि क्षेत्रीय शांति में भी कमी आती है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
पाकिस्तान का आतंकवाद को बढ़ावा देने का यह कदम ना सिर्फ भारत बल्कि खुद पाकिस्तान के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रहा है। इससे उसकी अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि खराब हो रही है। समाज में भय, हिंसा और अशांति का माहौल बन रहा है।
भारत का ठोस कदम और वैश्विक समाज की ज़िम्मेदारी
भारत इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठाता रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाना, देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हालांकि, वैश्विक समुदाय को भी इस दिशा में एकजुट होकर काम करना चाहिए।
निष्कर्ष
पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद फैलाने जैसा काम ना सिर्फ हमारे क्षेत्र की शांति को खतरे में डालता है, बल्कि उसकी अपनी सुरक्षा और विकास को भी प्रभावित करता है। इस वास्तविकता को सभी को समझना होगा और इस समस्या का मिलकर समाधान निकालना होगा।
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Keywords
Terrorism, Pakistan, Security, South Asia, Global Politics, Counterterrorism, India-Pakistan Relations, Social Media Terrorism, International Community, Regional PeaceWhat's Your Reaction?






