कटिहार के स्कूल में कबाड़ की तरह फैली है परीक्षा सामग्री, जूते-चप्पल से शिक्षक रौंद रहे क्वेश्चन पेपर
Katihar News: बिहार के कटिहार से एक बेहद हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां महेश्वरी एकेडमी स्कूल के मैदान में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के जरिए भेजी गई परीक्षा सामग्री फैली हुई है. यहां जिले में आयोजित होने वाले वार्षिक परीक्षा के क्वेश्चन और कॉपी की ढेर लगी हुई है. शिक्षक जूते और चप्पल से इस पर चढ़कर अपने स्कूल में आयोजित होने वाले परीक्षा की कॉपी क्वेश्चन चुन रहे हैं. 17 मार्च से 9वीं एवं 11वीं की होनी है परीक्षा दरअसल बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के जरिए 9वीं एवं 11वीं के वार्षिकोत्सव परीक्षा का संचालन सोमवार 17 मार्च से जिले के विभिन्न विद्यालयों में किया जाना है, जिसको लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना ने विभिन्न जिलों में क्वेश्चन कॉपी भेज दी है. कटिहार महेश्वरी अकैडमी स्कूल के प्रांगण में क्वेश्चन कॉपी मैदान में ही फैला दिया गया है, जहां जिले के विभिन्न स्कूलों के प्रिंसिपल शिक्षक अपने-अपने स्कूल के लिए कोडिंग किया हुआ कॉपी और क्वेश्चन चुन रहे हैं. कॉपी क्वेश्चन मैदान में फेंके जाने के कारण शिक्षकों को अपने-अपने स्कूल का कोड चुनने में काफी समस्या हो रही है. वहीं अधिकांश ऐसे शिक्षक हैं, जो जूता और चप्पल पहने हुए ही क्वेश्चन कॉपी की ढेर पर चढ़कर अपने स्कूल का कोडिंग किया हुआ क्वेश्चन कॉपी चुन रहे हैं. मामले में स्कूल कर्मी का क्या है कहना? इधर कटिहार में सुबह से ही मौसम में परिवर्तन होने की वजह से आसमान में बादल छाया हुआ है और बूंदाबांदी भी चल रही है. ऐसे में अगर तेज मूसलाधार बारिश हो जाए तो इस कॉपी और क्वेश्चन का क्या होगा? यह कहना मुश्किल है. इस समस्या की शिक्षा विभाग को कोई खबर नहीं है. इस संबंध में विभागीय कर्मी आदेश पाल अनिल कुमार का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और जिला शिक्षा कार्यालय को लेनी चाहिए, लेकिन सभी बेपरवाह हैं. ये भी पढ़ें: 'डाकखानों से इतने लव लेटर लीक...', यात्रा के पहले ही दिन कन्हैया कुमार का नीतीश सरकार पर जोरदार हमला

कटिहार के स्कूल में कबाड़ की तरह फैली है परीक्षा सामग्री, जूते-चप्पल से शिक्षक रौंद रहे क्वेश्चन पेपर
नेटा नागरी - हाल ही में कटिहार जिले के एक सरकारी स्कूल में परीक्षा सामग्री का ऐसा भयानक दृश्य सामने आया है कि जिसे देखकर शिक्षा प्रणाली की स्थिति पर सवाल उठने लगा है। इस घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया है जब शिक्षकों ने स्कूली परीक्षा के क्वेश्चन पेपर को कबाड़ मानते हुए जूते-चप्पल से रौंदना शुरू कर दिया। इस मामले ने पठन-पाठन की गुणवत्ता और छवि को धूमिल कर दिया है।
परीक्षा सामग्री का असामान्य हालात
कटिहार के एक सरकारी स्कूल में देखा गया कि परीक्षा की सामग्री, जिसमें क्वेश्चन पेपर, उत्तर पत्रिकाएँ और अन्य संबंधित कागजात बिखरे हुए थे, सही तरीके से सुरक्षित नहीं किए गए थे। जूते-चप्पल से रौंदे जाने वाले क्वेश्चन पेपर देखकर यह स्पष्ट हो गया कि स्कूल प्रबंधन का इस ओर ध्यान नहीं है। यह घटना न सिर्फ बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि शिक्षा को भी गिरावट की ओर ले जा रही है।
शिक्षकों की जिम्मेदारी
शिक्षक छात्रों के लिए एक आदर्श होते हैं, लेकिन इस मामले में उनके आचरण ने सभी का ध्यान खींचा है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक की भूमिका के महत्व को देखते हुए, यह स्थिति उतनी ही शर्मनाक है। शिक्षकों को इस प्रकार की अपमानजनक कार्रवाई से बचना चाहिए, क्योंकि यह बच्चों के मानसिक विकास और उनकी शिक्षा के स्तर को प्रभावित कर सकती है।
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी
इस घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी सवाल उठाती है। क्या विभागीय अधिकारियों को इस प्रकार की अव्यवस्थाओं के प्रति संवेदनशील नहीं होना चाहिए? इस विषय पर सरकारी अधिकारियों की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है, जो यह दर्शाता है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता
अब समय आ गया है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। शासन और प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना होगा। यदि हम भविष्य की पीढ़ी को एक बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं, तो हमें आवश्यक संसाधनों की सुरक्षा तथा सही प्रबंधन का ध्यान रखना होगा।
निष्कर्ष
कटिहार के सरकारी स्कूल की इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं। हमें चाहिए कि हम ऐसे मामलों को नजरअंदाज न करें और सही रास्ते पर चलने का प्रयास करें। शिक्षा को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। हमारी आने वाली पीढ़ी की सफलता इस पर निर्भर करती है।
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