7 साल से बेड़ियों में बंधा शख्स, छुड़ाने गई टीम तो मां ने किया हंगामा; जादू-टोना का आरोप

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में एक शख्स सात सालों से बेड़ियों में बंधा हुआ था। मामले की जानकारी मिलने के बाद एक एनजीओ और पुलिस की टीम ने उसे बंधन से मुक्त कराया।

Jan 25, 2025 - 15:02
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7 साल से बेड़ियों में बंधा शख्स, छुड़ाने गई टीम तो मां ने किया हंगामा; जादू-टोना का आरोप
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में एक शख्स सात सालों से बेड़ियों में बंधा हुआ था। मामले की जान

7 साल से बेड़ियों में बंधा शख्स, छुड़ाने गई टीम तो मां ने किया हंगामा; जादू-टोना का आरोप

नेता Nagari

लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेता नगरी

परिचय

छत्तीसगढ़ से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक युवक पिछले 7 साल से मानसिक रूप से बीमार बताया जा रहा है और उसे बेड़ियों में बंधा रखा गया है। जब सिटी की एक टीम उसे मुक्त कराने गई, तो उसके परिवार की ओर से हंगामा शुरू हो गया। मां ने आरोप लगाया कि उनका बेटा जादू-टोने का शिकार हो गया है। इस घटना ने क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटनास्थल और पृष्ठभूमि

यह घटना छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव की है, जहाँ एक युवक को उसके परिवार के सदस्य आपस में विवाद के कारण बंधक बनाकर रखे हुए थे। स्थानीय निवासी बताते हैं कि युवक को पहले से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी, लेकिन पिछले 7 सालों से स्थिति और बिगड़ गई। उसकी मां ने आरोप लगाया है कि युवक को कुछ अज्ञात तंत्र-मंत्र का शिकार बनाया गया है और इसीलिए वह स्वस्थ नहीं हो पा रहा है।

टीम का प्रयास

एक मानवाधिकार सेल की टीम ने युवक को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे, मामला बिगड़ गया। युवक की मां ने जोर-जोर से हंगामा शुरू कर दिया और टीम के सदस्यों के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें उनके बेटे को बिना किसी चिकित्सा के छुड़ाने की अनुमति नहीं है। टीम ने समझाया कि यह मानवाधिकार का मामला है, लेकिन मां ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए टीम के प्रयासों का विरोध किया।

समाज का दृष्टिकोण

इस घटना ने गांव में जादू-टोने और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर चर्चा को जन्म दिया है। कई लोगों का मानना है कि यदि उचित चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए तो युवक की स्थिति में सुधार हो सकता है। वहीं कुछ लोग इसे एक पारिवारिक मामला मानते हैं और आरोप लगाते हैं कि ये सब बातें केवल मां का अपने बेटे को बचाने की एक कोशिश हैं।

निष्कर्ष

यह कहानी केवल एक व्यक्ति के जीवन की नहीं, बल्कि समाज में जादू-टोने और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति दृष्टिकोण की भी है। क्या आत्मिक विश्वास और पारिवारिक बंधन एक स्वस्थ जीवन से अधिक महत्वपूर्ण हैं? इसे समाज को एक गहरे स्तर पर समझने की आवश्यकता है। हम सभी को चाहिए कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए सही समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं। यदि आपके पास इस घटना के संबंध में कोई जानकारी है, तो कृपया साझा करें।

अपने विचार देने के लिए हमसे संपर्क करें और इस चर्चा में शामिल हों। ज्यादा अद्य_updates के लिए, www.netaanagari.com पर जाएँ।

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