मोहन भागवत पर दिए बयान पर संजय निरुपम का पलटवार, 'उद्धव ठाकरे का कंडीशनल हिंदुत्व...'
Maharashtra Politics: शिवसेना यूबीटी के सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत के मोहन भागवत को लेकर दिए गए बयान पर सियासत तेज हो गई है. अब इस बयान पर शिवसेना शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने उनपर पलटवार किया है. साथ ही उन्होंने उद्धव ठाकरे की पार्टी पर भी निशाना साधा. संजय निरुपम ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "उद्धव ठाकरे का कंडीशनल हिंदुत्व! उबाठा के भोंपू संजय राउत ने कहा है कि चूंकि संघ के प्रमुख मोहन भागवत कुंभ स्नान करने नहीं गए, इसलिए वो लोग भी नहीं गए. भागवत जी गए थे या नहीं, मुझे मालूम नहीं है. मेरा सवाल उबाठा से है. हिंदुत्व के प्रश्न पर उबाठा पिछलग्गू क्यों हो गया है? क्या उनका हिंदुत्व कंडीशनल हो गया है." उद्धव ठाकरे का कंडीशनल हिंदुत्व !उबाठा के भोंपू संजय राउत ने कहा है कि चूँकि संघ के प्रमुख मोहन भागवत कुंभ स्नान करने नहीं गए, इसलिए वो लोग भी नहीं गए।भागवत जी गए थे या नहीं,मुझे मालूम नहीं है।मेरा सवाल उबाठा से है।हिंदुत्व के प्रश्न पर उबाठा पिछलग्गू क्यों हो गया है ?… — Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) March 3, 2025 शिवसेना यूबीटी से किया सवालउन्होंने आगे लिखा, "क्या संघ का अनुसरण करके उबाठा अपने हिंदुत्व को प्रमाणित करना चाहता है. क्या उबाठा वाले भूल गए कि शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का ज्वलंत हिंदुत्व खुद अपनी लकीर खींचता था? उबाठा को स्वीकार कर लेना चाहिए कि कांग्रेस के मुस्लिम वोटों पर कब्जा जमाने के लिए वो लोग हिंदुत्व को तिलांजलि देने का रोज नया बहाना ढूंढ रहे हैं." संजय राउत ने क्या कहा था?बता दें कि शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने रविवार (2 मार्च) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "एकनाथ शिंदे कमाल की चीज है? खुद को हिंदूवादी कहने वाले उद्धव ठाकरे कुंभ क्यों नहीं गए, ये शिंदे का सवाल है. बहुत अच्छा. शिंदे को ये सवाल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से करने की हिम्मत दिखानी चाहिए! क्या भाजपा के बॉस हिंदू नहीं हैं? ये भी पढ़ें महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री की बेटी से छेड़खानी का मामला, पुलिस ने 3 संदिग्धों को हिरासत में लिया

मोहन भागवत पर दिए बयान पर संजय निरुपम का पलटवार, 'उद्धव ठाकरे का कंडीशनल हिंदुत्व...'
Netaa Nagari: संजय निरुपम ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर जोरदार पलटवार किया है। इस विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में तीखी बहस छेड़ दी है। निरुपम का कहना है कि उद्धव ठाकरे का हिंदुत्व 'कंडीशनल' है, जो सच्चे हिंदुत्व के मूल्य को कमजोर करता है। इस लेख में हम इस मुद्दे की गंभीरता और इसके राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करेंगे।
विवाद की पृष्ठभूमि
हाल ही में, मोहन भागवत ने एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने हिंदुत्व के विभिन्न परिभाषाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा था कि हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक पहचान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। इस पर संजय निरुपम ने प्रतिक्रिया देते हुए ठाकरे के हिंदुत्व को कंडीशनल करार दिया।
संजय निरुपम का बयान
निरुपम ने कहा, “उद्धव ठाकरे का हिंदुत्व कंडीशनल है। जब यह सत्ता में होते हैं, तब वे हिंदुत्व का राग अलापते हैं। लेकिन जब सत्ता से बाहर होते हैं, तब उनकी पहचान बदल जाती है।” उनके इस बयान ने ठाकरे समर्थकों के बीच हलचल मcha दी है। निरुपम का यह बयान एक बार फिर सावरकरवाद और ठाकरे के हिंदुत्व के विचारधाराओं के बीच की लड़ाई को उजागर करता है।
राजनीतिक निहितार्थ
यह विवाद सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीती में गहराई से जुड़ा हुआ है। बीजेपी और शिवसेना के बीच के संबंध आजकल खट्टे दिख रहे हैं। उद्धव ठाकरे को अपने चुनावी आधार को मजबूत करने की आवश्यकता है, खासकर उस समय जब उनकी पार्टी को अन्य क्षेत्रीय दलों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
भविष्य का दृष्टिकोण
इस राजनीतिक माहौल में, क्या उद्धव ठाकरे अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएंगे या निरुपम के बयानों का असर उनकी छवि पर पड़ेगा? यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन एक बात निश्चित है, हिंदुत्व की परिभाषा पर यह बहस निश्चित रूप से आगे चलकर कई महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े करेगी।
हालांकि, इस विवाद से दोनों पक्षों के लिए एक अवसर भी उत्पन्न हो सकता है। यदि वे अपने विचारधाराओं को स्पष्ट करें और एक ऐसा संवाद स्थापित करें, जिसमें विभिन्न मतों का सम्मान हो, तो इससे राजनीति में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
मोहन भागवत और संजय निरुपम के बीच का यह विवाद केवल राजनीतिक अदावत नहीं है, बल्कि यह विचारधाराओं की लड़ाई भी है। ऐसे में, हमें यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा कैसे विकसित होता है। अपने विचार साझा करने के लिए, और अधिक जानने के लिए netaanagari.com पर जाएं।
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