बांका में 100 साल की बुजुर्ग महिला की मौत पर जश्न, परिजनों ने नाचते गाते हुए निकाली शव यात्रा
Banka 100 Year Old Woman Death: बांका जिले के कटोरिया प्रखंड अंतर्गत मौथाबड़ी पंचायत के थेबरी गांव से सोमवार को एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक वृद्ध महिला की शव यात्रा में लोग मातम नहीं, बल्कि डीजे पर बज रहे अश्लील भोजपुरी गानों की धुनों पर नाचते-झूमते चल रहे थे. इस शव यात्रा में अर्थी के आगे-आगे डीजे और पीछे अश्लील भोजपुरी गानों पर नाचते परिजनों को देख हर कोई हैरान था. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो रहा है. 100 साल पर मौत के कारण मनाई खुशी दरअसल रविवार को थेबरी ग्राम निवासी मोती यादव की 100 वर्षीय पत्नी नदिया देवी की मौत हो गई. नदिया देवी की मौत के बाद परिजन घर के एक सदस्य कम होने से दुखी तो थे, लेकिन उन्होंने नदिया देवी की मौत पर फैसला लिया कि वे अपनी आयु पूरी करके गई हैं, इसलिए ये मातम मनाने का समय नहीं है. वहीं परिजनों ने जब शव यात्रा निकाली, तो फैसला किया कि कोई दुखी नहीं होगा, बल्कि हंसी-खुशी दादी को अंतिम विदाई दी जाएगी. जब सड़क पर नदिया देवी की शव यात्रा निकली तो परिवार के पुरुष सदस्यों के अलावे काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं. इस शव यात्रा में डीजे का इंतजाम किया गया था. डीजे पर बजते अश्लील भोजपुरी गानों की धुनों पर परिवार के सभी सदस्य नाचते-झूमते हुए चल रहे थे. वहीं इस शव यात्रा को देखकर लोग काफी हैरान थे, लेकिन परिवार के लोग वृद्ध महिला को हंसी-खुशी के साथ अंतिम विदाई देना चाहते थे. श्मशान घाट पहुंचकर बुजुर्ग महिला के शव का अंतिम संस्कार कर सभी ने हाथ जोड़कर अंतिम विदाई दी. स्थानीय लोगों ने की घटना की निंदा इस सम्बंध में परिजनों ने बताया कि 100 वर्ष की उम्र पार करने के बाद उनकी दादी को स्वर्ग मिला है, इसलिए मातम नहीं मनाया गया. इधर इस पूरे प्रकरण पर समाज के कई प्रबुद्धजनों ने शव यात्रा में डीजे पर अश्लील भोजपुरी गाने के ठुमके लगाने वालों की घोर निंदा की है. साथ ही इसे मानवीय संवेदना पर आघात एवं शव यात्रा का अपमान बताते हुए दिवंगत की आत्मा को दुखी करने जैसा कृत्य बताया. ये भी पढ़ें: Bihar News: गया में डायन बताकर पूर्व वार्ड सदस्य की हत्या, पति पर भी हो चुका है जानलेवा हमला

बांका में 100 साल की बुजुर्ग महिला की मौत पर जश्न, परिजनों ने नाचते गाते हुए निकाली शव यात्रा
Netaa Nagari - एक अनोखी और विचलित करने वाली घटना में, बांका जिले में 100 साल की बुजुर्ग महिला की मृत्यु के बाद उनके परिवार ने ऐसी शव यात्रा निकाली, जिसमें नाचते-गाते लोग शामिल हुए। यह दृश्य सोचने पर मजबूर कर देने वाला था।
परिवार का उत्सव जैसा जश्न
बांका में रहने वाली सुमित्रा देवी ने अपनी ज़िंदगी का लंबा सफर तय किया। जब उन्होंने इस संसार को छोड़ा, तो उनके परिवार ने ग़म की बजाय उत्सव का माहौल बना लिया। परिजनों का मानना है कि सुमित्रा देवी ने जीवन को बहुत खुशी से जिया, इसलिए उनकी शव यात्रा को जश्न की तरह मनाना चाहिए।
शव यात्रा का अनोखा तरीका
शव यात्रा के दौरान, परिवार के सदस्य और मित्र भोजपुरी गीतों पर नाचते और गाते रहे। यह नजारा देखने के लिए कई लोग इकट्ठा हो गए। कुछ लोगों ने बताया कि सुमित्रा देवी हमेशा खुश रहती थीं और उनके जीवन का उद्देश्य दूसरों को खुश रखना था। शव यात्रा के बाद, उन्होंने सुमित्रा देवी की याद में प्रार्थना की और अपने दुख को ऊर्जा में बदल दिया।
सामाजिक पहलू और परंपराएं
भारतीय संस्कृति में मृत्यु को एक समापन समझा जाता है, लेकिन इस घटना ने समाज में एक नया दृष्टिकोण पेश किया है। समुद्र से परे, जहां लोग दुखी होते हैं, वहां यह घटना परिवार की एकजुटता और जीवन को मनाने का प्रतीक बन गई। पैतृक परंपराओं के अनुसार, इसे सकारात्मकता की दृष्टि से देखना चाहिए।
समापन
इस घटना ने न केवल परिवार के सदस्यों, बल्कि पूरे समुदाय में एक नई सोच का संचार किया है। जैसे सुमित्रा देवी ने अपने जीवन में खुशी बाँटी, अब उनके परिवार ने उनकी याद में खुशी मनाई। यह घटना सभी को सिखाती है कि हमें जीवन को जश्न के रूप में जीना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
इस अनोखी घटना ने हमें यह भी समझाया कि सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखना और अपने प्रियजनों की यादों को मनाना कितना महत्वपूर्ण है। समाज में यह संदेश फैलाना आवश्यक है कि मृत्यु का अर्थ केवल खत्म होना नहीं है, बल्कि यह एक नया प्रारंभ भी हो सकता है।
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