आरक्षण समिति के कार्यकाल में विस्तार पर सज्जान लोन ने पूछा सवाल, सरकार ने दिया ये जवाब
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर की सियासत आरक्षण के ईर्द-गिर्द घूम रही है. जम्मू और कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन आरक्षण नीति पर लगातार मुखरता से आवाज उठा रहे हैं. शनिवार को उन्होंने आरक्षण के आंकड़ों पर चिंता जताई. सज्जाद गनी लोन ने कहा कि सबसे बड़े दोषी कश्मीरी अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में कश्मीरी छात्रों की रैंकिंग का अच्छा नहीं होना प्रतिभा की कमी की नहीं है आरक्षण का अभिशाप है. उन्होंने बताया कि सिर्फ मौजूदा सरकार जिम्मेदार नहीं है. 1989 से सिलसिला चल रहा है. राष्ट्रीय पार्टियों बीजेपी या कांग्रेस की राष्ट्रीय नीति है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आज विधानसभा में सरकार ने बताया कि तीन सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति के लिए समय-सीमा तय नहीं की गई है. सामाजिक कल्याण मंत्री सकीना इटू सज्जाद गनी लोन के सवाल का जवाब दे रही थीं. उन्होंने बताया कि आरक्षण नीति के खिलाफ शिकायतों की जांच करने के लिए पिछले साल समिति का गठन किया गया था. सज्जाद गनी लोन के सवाल पर बोली सरकार समिति मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद को रिपोर्ट सौंपने जा रही है. पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार द्वारा आरक्षित श्रेणी में और अधिक समुदायों को जोड़ने और केंद्र शासित प्रदेश में आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बन गया है. समिति के लिए समय-सीमा तय नहीं की गई जम्मू-कश्मीर में आरक्षण 70 प्रतिशत तक बढ़ाने के केंद्र के कदम पर आपत्तियां बढ़ रही हैं. मंत्री ने लोन के जवाब में कहा, 'कैबिनेट उप समिति का गठन आरक्षण नियमों के संबंध में पेश की गई शिकायतों की जांच करने के लिए किया गया है. हालांकि, रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई विशेष समयसीमा तय नहीं की गई है.' लोन ने पूछा था कि क्या मौजूदा आरक्षण नीति की समीक्षा करने के लिए समिति को छह महीने का विस्तार दिया गया है. जम्मू-कश्मीर में सरकारी डिपार्टमेंट पर बिजली विभाग का 1370 करोड़ बकाया, आमलोगों को चुकाने के लिए खास ऑफर

आरक्षण समिति के कार्यकाल में विस्तार पर सज्जान लोन ने पूछा सवाल, सरकार ने दिया ये जवाब
Netaa Nagari - इस लेख में हम बात करेंगे आरक्षण समिति के कार्यकाल में बढ़ावे पर सज्जान लोन द्वारा उठाए गए सवाल और सरकार द्वारा दिए गए उत्तर के बारे में। यह विषय न केवल राजनैतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के लिए भी इसका महत्व है।
समिति का कार्यकाल और इसके महत्व
आरक्षण समिति का उद्देश्य विभिन्न जातियों और समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त करना है। इस समिति की स्थापना के पश्चात इसके कार्यकाल को निर्धारित किया गया था। हाल ही में, इस समिति के कार्यकाल में विस्तार पर सज्जान लोन द्वारा सवाल उठाया गया, जिसने कई राजनीतिक दलों और समाज के वर्गों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है।
सज्जान लोन के सवाल
सज्जान लोन, जो कि एक प्रमुख राजनीतिक नेता हैं, ने अपने ट्वीट में इस विषय पर सवाल उठाया कि क्या सरकार असल में आरक्षण समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की योजना बना रही है। उन्होंने यह सवाल रखा कि इस विस्तार से समाज के किस वर्ग को लाभ होगा और इसके पीछे क्या कारण हैं।
सरकार का जवाब
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, सरकार के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि आरक्षण समिति के कार्यकाल में विस्तार का उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि सभी वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व मिले। सरकार का मानना है कि इस विस्तार से आरक्षण के मौजूदा कानूनों की समीक्षा की जा सकेगी और आवश्यक सुधार किए जा सकेंगे। यह जानकारी भी साझा की गई जो यह बताती है कि समाज में समानता लाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
समाज पर पड़ने वाला प्रभाव
आरक्षण समिति के कार्यकाल के विस्तार का सीधा प्रभाव उन समुदायों पर पड़ेगा जो लंबे समय से आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं। इसका उद्देश्य न केवल नौकरी और शिक्षा में अवसर प्रदान करना है, बल्कि लोगों के जीवन स्तर को भी ऊँचा उठाना है।
निष्कर्ष
आरक्षण समिति का कार्यकाल बढ़ाना वास्तव में एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जो विभिन्न समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है। सज्जान लोन द्वारा उठाए गए सवाल और सरकार का जवाब इस बात की पुष्टि करते हैं कि आरक्षण का मुद्दा देश में एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है। आगे चलकर, यह देखना होगा कि सरकार किस प्रकार इस मुद्दे को आगे बढ़ाती है और समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
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