'पाकिस्तान से युद्ध करेंगे भी या नहीं', संजय राउत का पीएम मोदी पर तंज- 'वॉर की बात से भटकाने के लिए...'

Sanjay Raut on PM Modi: पहलगाम हमले के बाद से महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टी शिवसेना UBT लगातार केंद्र सरकार से जवाबी कार्रवाई की मांग कर रही है. जहां एक तरफ PM मोदी लगातार सेना प्रमुखों के साथ बैठकें कर रहे हैं. वहीं शिवसेना (UBT) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए सवाल उठाया है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध सचमुच होगा? यह सवाल तब उठाया गया जब प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक जाति आधारित जनगणना कराने का ऐलान किया, जिससे पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की चर्चा का रुख पूरी तरह बदल गया. शिवसेना यूबीटी का आरोप है कि यह कदम महज एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था, जिसने धार्मिक विवादों को तूल दिया और जाति आधारित चर्चा को प्रमुख बना दिया. युद्ध की बात से भटकाने के लिए जातीय गणना का फैसला- संजय राउतशिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में संजय राउत ने लिखा, "जब भारत-पाक युद्ध की संभावना पर चर्चा हो रही थी, उसी समय प्रधानमंत्री मोदी ने जाति जनगणना के फैसले की घोषणा की. इससे युद्ध की चर्चा का रास्ता पूरी तरह से बदल गया. अब लोग धर्म के बजाय जाति की बात कर रहे हैं और यह BJP की राजनीति का हिस्सा है." उनका कहना था कि युद्ध के लिए जो माहौल मोदी ने तैयार किया, वही अब राजनीतिक फायदे के लिए जातिवाद की ओर मोड़ा गया है. पाकिस्तान को धमकाने के लिए बिहार को चुना- संजय राउतराउत ने आरोप लगाया कि मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी देने के लिए बिहार की धरती का चयन किया. हालांकि, पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई. इसके बजाय मोदी चुनाव प्रचार के लिए बिहार पहुंच गए, जबकि देश में आक्रोश फैल चुका था. राउत ने यह भी सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री को दिल्ली में रहकर सर्वदलीय बैठक में भाग लेना चाहिए था, बजाय इसके कि वह प्रचार में व्यस्त रहते. इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकवादियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, जबकि पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी ‘थर-थर कांपते’ हुए दिखाए जा रहे हैं. राउत ने इसे सत्ताधारी BJP की विफलता करार दिया और कहा कि युद्ध के समय देश को एकजुट होकर सच का सामना करना चाहिए, लेकिन BJP नफरत की राजनीति में लिप्त है. सुरक्षा व्यवस्था की कमी साफ नजर आ रही है- संजय राउतसाथ ही, शिवसेना ने देश की खुफिया व्यवस्था (इंटेलिजेंस) की विफलता पर भी सवाल उठाए. राउत ने कहा कि जिस तरह से कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था की कमी नजर आई, वह एक गंभीर मसला है. कश्मीर में गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया. शिवसेना का आरोप है कि BJP सरकार पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं चाहती, बल्कि वह घरेलू संघर्ष और नफरत की राजनीति में व्यस्त है. राउत ने यह भी कहा कि विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे यह साबित होता है कि वे सरकार के साथ खड़े हैं, लेकिन नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. उन्होंने अंत में कहा कि यदि युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से होना चाहिए. "क्या मोदी और शाह पाकिस्तान के साथ युद्ध का जोखिम उठा पाएंगे?" यह सवाल राउत ने उठाया, जो अब जनता के बीच गंभीर चर्चा का विषय बन गया है.

May 4, 2025 - 09:37
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'पाकिस्तान से युद्ध करेंगे भी या नहीं', संजय राउत का पीएम मोदी पर तंज- 'वॉर की बात से भटकाने के लिए...'
'पाकिस्तान से युद्ध करेंगे भी या नहीं', संजय राउत का पीएम मोदी पर तंज- 'वॉर की बात से भटकाने के लिए...'

‘पाकिस्तान से युद्ध करेंगे भी या नहीं’, संजय राउत का पीएम मोदी पर तंज- ‘वॉर की बात से भटकाने के लिए...’

लेखिका: सुषमा शर्मा, टीम नेटानगरि

देश में चल रही राजनीतिक चर्चाओं के बीच, शिवसेना नेता संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। उन्होंने पाकिस्तान से युद्ध की संभावना पर सवाल उठाते हुए कहा, "क्या हम वास्तव में युद्ध के लिए तैयार हैं? या यह बेवजह की बातें हैं, जो हमें महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने के लिए की जा रही हैं?" उनकी यह टिप्पणी राजनीतिक गलियारों में छा गई है।

संजय राउत का बयान

संजय राउत ने यह बयान उस वक्त दिया जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति चल रही थी। राउत ने कहा, “जब देश में महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दे गंभीर हो रहे हैं, तो ऐसे में युद्ध की बात करना एक distraction है।” उन्होंने पीएम मोदी से स्पष्ट सवाल किए कि क्या युद्ध का कोई ठोस आधार है या यह केवल राजनीति का खेल है।

युद्ध और कूटनीति का महत्व

भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक रूप से कई युद्ध हुए हैं, लेकिन एक शांतिपूर्ण समाधान हमेशा वांछनीय रहा है। क्या सच में हमें युद्ध की ओर बढ़ना चाहिए, या फिर कूटनीतिक वार्ता द्वारा मुद्दों का समाधान संभव है, यह एक अहम प्रश्न है। राउत के इस बयान ने एक बार फिर से इस मुद्दे पर बहस को जन्म दिया है।

राजनीतिक दृष्टिकोण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संजय राउत का यह बयान चुनावी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने इशारा किया कि अगर सरकार गंभीर मुद्दों पर ध्यान नहीं देती, तो लोकलुभावन घोषणाओं से ही मतदाता को प्रभावित नहीं किया जा सकेगा। राउत का यह तंज उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो इस समय को अपने स्वार्थ के लिए भुना रहे हैं।

वास्तविकता क्या है?

पाकिस्तान से युद्ध की बातें केवल एक राजनीतिक रणनीति लगती हैं। वास्तविकता यह है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतियों को आगे लाना और शांति स्थापित करना ही सबसे आधुनिक और समझदारी भरा कदम है। युद्ध केवल विनाश लाता है, और इसे टालना ही सर्वोत्तम है।

निष्कर्ष

संजय राउत का बयान केवल एक व्यक्तिगत विचार नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है कि हमें अपने देश के अंदर ज्यादा गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। अगर युद्ध के डर से हम समस्याओं से मुंह मोड़ते हैं, तो इसका परिणाम देश के लिए अच्छा नहीं होगा। हमें अपने नेताओं से यह अपेक्षा करनी चाहिए कि वे समाधान पर ध्यान दें, न कि अस्थायी राजनीति पर।

यह महत्वपूर्ण है कि हम ऐसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएं और एकजुटता के साथ अपने देश के विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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