सतर्कता का प्रशिक्षण या न्यायिक निर्देशों की लीपापोती? उत्तराखंड विजिलेंस की कार्यशैली पर netanagari की बेबाक पड़ताल

उत्तराखंड के सतर्कता विभाग पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। अधिकारियों द्वारा बिना पर्याप्त प्रशिक्षण, SOP के उल्लंघन के साथ लगातार निर्दोष अधिकारियों को फर्जी ट्रैप में फंसाने के मामले उजागर हुए हैं। निदेशक डॉ. वी. मुरुगेशन पर SOP से जुड़े तथ्यों को लेकर उच्च न्यायालय में गुमराह करने का आरोप है। प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त अभियान के बीच सतर्कता विभाग खुद भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों में घिरा नज़र आ रहा है।

May 4, 2025 - 01:25
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सतर्कता का प्रशिक्षण या न्यायिक निर्देशों की लीपापोती? उत्तराखंड विजिलेंस की कार्यशैली पर netanagari की बेबाक पड़ताल
उत्तराखंड के सतर्कता विभाग पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। अधिकारियों द्वारा बिना पर्याप्त प्रशिक्षण, SOP के उल्लंघन के साथ लगातार निर्दोष अधिकारियों को फर्जी ट्रैप में फंसाने के मामले उजागर हुए हैं। निदेशक डॉ. वी. मुरुगेशन पर SOP से जुड़े तथ्यों को लेकर उच्च न्यायालय में गुमराह करने का आरोप है। प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त अभियान के बीच सतर्कता विभाग खुद भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों में घिरा नज़र आ रहा है।

देहरादून/हल्द्वानी: उत्तराखंड में 'भ्रष्टाचार मुक्त देवभूमि' के नारे के बीच, राज्य का सतर्कता अधिष्ठान (Vigilance Department) अपनी ही कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवालों के घेरे में है। netanagari को मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में विजिलेंस सेक्टर हल्द्वानी (Vigilance Haldwani) में निदेशक डॉ. वी. मुरुगेशन के आदेश पर जांच अधिकारियों के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। आधिकारिक तौर पर इसका उद्देश्य विवेचना और पैरवी को त्रुटिरहित बनाना बताया गया, ताकि भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसी जा सके। लेकिन विभाग के विवादित अतीत और वर्तमान में लग रहे गंभीर आरोपों को देखते हुए, यह प्रशिक्षण महज एक औपचारिकता या फिर गहरे जख्मों पर मरहम लगाने की नाकाम कोशिश ज़्यादा नज़र आता है।

यह प्रशिक्षण ऐसे समय में हो रहा है जब विजिलेंस उत्तराखंड (Vigilance Uttarakhand) पर लगातार फर्जी ट्रैप (fake trap by vigilance uttarakhand) और मनमानी कार्रवाईयों के आरोप लग रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन अधिकारियों ने कथित तौर पर बिना किसी स्थापित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP), बिना पर्याप्त प्रशिक्षण, बिना लंबित कार्य (Pendency) के आधार पर, और बिना ठोस सबूतों के फर्जी रिश्वत मामले (fake bribe case) बनाकर अनगिनत कर्मचारियों की ज़िंदगियाँ दांव पर लगा दीं, उनका क्या? क्या यह प्रशिक्षण उन उत्तराखंड फर्जी विजिलेंस केस (uttarakhand fake vigilance case) से प्रभावित परिवारों के आँसू पोंछ पाएगा?

SOP पर कथित 'महाझूठ' और नेतृत्व पर सवाल

विभाग की कार्यशैली पर सबसे गंभीर प्रश्नचिन्ह माननीय उच्च न्यायालय में उठे प्रकरणों से लगता है। netanagari के संज्ञान में आए अदालती रिकॉर्ड इस बात के गवाह हैं कि कैसे विभाग के अधिकारियों द्वारा शपथ पर SOP होने का दावा किया गया, लेकिन जब न्यायालय ने उसे प्रस्तुत करने को कहा, तो कथित तौर पर निदेशक डॉ. वी. मुरुगेशन (Dr. V Murgeshan vigilance fraud) को स्वीकार करना पड़ा कि ऐसी कोई SOP मौजूद ही नहीं है! यह SOP फ्रॉड (sop fraud by murgesh vigilance uttarakhand) का आरोप न केवल विभाग की विश्वसनीयता को तार-तार करता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या यह न्यायपालिका को गुमराह करने का प्रयास नहीं था? क्या यह अपने आप में विजिलेंस उत्तराखंड फ्रॉड (vigilance uttarakhand fraud) का उदाहरण नहीं है? निदेशक महोदय को यह जवाब देना होगा कि अगर SOP थी ही नहीं, तो किस आधार पर इतने वर्षों तक ट्रैप जैसी संवेदनशील कार्रवाइयां की जाती रहीं? क्या अप्रशिक्षित (dishonest vigilance officer) अधिकारियों के हाथों में लोगों की किस्मत का फैसला छोड़ देना स्वयं में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार नहीं है?

न्यायिक हस्तक्षेप और पीड़ितों का दर्द

यह सर्वविदित है कि श्रीमती भंडारी जैसे मामलों में जब कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे, तब माननीय उच्च न्यायालय के भगवान तुल्य न्यायमूर्ति श्री राकेश थपलियाल जी को हस्तक्षेप कर प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल देना पड़ा। यह न्यायिक हस्तक्षेप इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि विभाग के भीतर प्रक्रियात्मक खामियां किस हद तक थीं। विजिलेंस हल्द्वानी द्वारा कथित झूठे जाल (false trap by vigilance haldwani) और विजिलेंस देहरादून (Vigilance Dehradun) की अन्य कार्रवाइयों से पीड़ित परिवारों की कहानियाँ दर्दनाक हैं। एक आरोप पूरे परिवार को सामाजिक और आर्थिक रूप से तोड़ देता है। बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। आज प्रशिक्षण की बात करने वाले अधिकारियों को उन परिवारों के दर्द का अहसास होना चाहिए।

लोगों के मन में यह सवाल घर कर रहा है कि जिन अधिकारियों ने कथित तौर पर सत्ता और पावर का दुरुपयोग कर निर्दोषों को फंसाया, उनके परिवारों को सताया, क्या उन्हें प्रकृति या ईश्वर का भय नहीं? समाज में यह धारणा है कि अन्याय करने वालों को उनके कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। क्या ऐसे अधिकारियों को यह डर नहीं सताता कि उनके किए की सज़ा, ईश्वर का श्राप, कहीं उनके बच्चों को न भुगतना पड़े? यह महज़ एक भावनात्मक उबाल नहीं, बल्कि उन पीड़ितों की आह है जिन्हें व्यवस्था ने कथित तौर पर अन्यायपूर्ण तरीके से पीसा है।

मुख्यमंत्री की मंशा बनाम विभाग की दिशा?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति स्पष्ट है। वे एक पारदर्शी और न्यायपूर्ण व्यवस्था चाहते हैं। लेकिन विजिलेंस उत्तराखंड (Vigilance Uttarakhand), विजिलेंस सेक्टर हल्द्वानी (Vigilance Sector Haldwani), विजिलेंस सेक्टर देहरादून (Vigilance Dehradun), विजिलेंस हेड क्वार्टर (Vigilance Head Quater) और विजिलेंस एस्टाब्लिशमेंट (Vigilance Establishment) की कुछ कथित कार्रवाइयां और SOP विवाद मुख्यमंत्री की इस ईमानदार मंशा के विपरीत तस्वीर पेश करते नज़र आते हैं। सवाल यह है कि क्या विभाग मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप काम कर रहा है, या अपनी अलग ही दिशा में चल रहा है जहाँ ईमानदार कर्मचारी भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे?

निष्कर्ष: netanagari की मांग

netanagari का मानना है कि केवल प्रशिक्षण का दिखावा करने से बात नहीं बनेगी। सतर्कता विभाग उत्तराखंड (Vigilance Department) को अपनी खोई हुई साख वापस पाने के लिए कड़े और ईमानदार कदम उठाने होंगे:

  1. उन सभी पुराने मामलों की, जहाँ फर्जी ट्रैप (fake trap) या SOP उल्लंघन के आरोप हैं, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो।
  2. SOP को लेकर न्यायालय में हुई कथित गफलत और विरोधाभासी बयानों की जवाबदेही तय हो।
  3. यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में बिना पुख्ता सबूत, बिना उचित प्रक्रिया और SOP के पालन के कोई कार्रवाई न हो।
  4. पीड़ितों को न्याय मिले और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों (dishonest vigilance officer) पर सख्त कार्रवाई हो।

जब तक विभाग पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय के सिद्धांतों को आत्मसात नहीं करता, तब तक ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम सवालों के घेरे में रहेंगे और इन्हें लीपापोती का प्रयास ही माना जाएगा। netanagari उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का समर्थन करता है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि इस मुहिम की आड़ में किसी निर्दोष का उत्पीड़न न हो। हम इस मुद्दे पर अपनी नज़र बनाए रखेंगे।

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