भूखा सोया, गाली और मार खानी पड़ती थी, करंट लगाते थे, अमेरिका से लौटे युवकों ने सुनाई अपनी पीड़ा

Deported From America To Punjab: अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत आए युवकों ने अपना दर्द बयां किया है कि उन्होंने अमेरिका जाने के दौरान किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अमेरिका से डिपोर्ट होकर अमृतसर, कुरुक्षेत्र और पटियाला पहुंचे युवकों ने अपनी पीड़ा बताई है.  अमेरिका से डिपोर्ट किए गए दो युवकों को अमृतसर पुलिस रात 8.30 बजे के करीब टांडा पुलिस डीएसपी दफ्तर लेकर पहुंची और यहां विधायक जसवीर सिंह राजा ने उन्हें उनके  परिवार के हवाले किया. इस मौके पर दोनों ने बताया किउन्होंने एजेंट के साथ यहां से यूरोप के वीजे पर और वहां से सीधी मेक्सिको की फ्लाइट की बात कही गई थी लेकिन एजेंट ने यहां से यूरोप पहुंचकर आगे डोंकी लगाकर जंगलों से पैदल चलाकर और समुद्र के रास्ते मेक्सिको पहुंचाया जहां से वह 22 जनवरी को मैक्सिको बॉर्डर क्रॉस कर अमेरिका में दाखिल हुए वहां पर उन्हें आज रिपोर्ट कर वापस अमृतसर भेज दिया गया और उन्होंने बताया कि उनके खाने पीने के लिए कोई इंतजाम नहीं था. 'कई बार भूखे ही सोना पड़ता था, गाली सुनी' कभी कभार उनको ब्रेड पानी में खानी पड़ती थी और कई बार भूखे ही सोना पड़ता था और उन्होंने बताया कि उनके कई साथी रास्ते में ही दम तोड़ गए, जो लड़का रास्ते में बीमार हो जाता था उसे वह वहीं पर छोड़ जाते थे और कई जो कोई ऊंची आवाज में बात करता था तो वह उसको गोली भी देते थे. अमेरिका से डिपोर्ट किए गए खुशप्रीत सिंह ने बताया कि 45 लाख रुपये देकर अमेरिका जाने का सपना देखा था और अब वापस अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है. पासपोर्ट पर इमीग्रेशन ऑफ इंडिया की स्टैंप लगाई गई.  खुशप्रीत सिंह का गांव हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर है. चम्मु कला से बाहर निकलते ही, 2 किलोमीटर की दूरी पर पटियाला जिला शुरू हो जाता है. रोते हुए पिता की तस्वीरें सामने आई है. पिता बात करते हुए फफक फफक कर रो पड़े. खुशप्रीत के पिता जसवंत सिंह (57 साल) ने बताया कि उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि एजेंट उनके बेटे को डोंकी के जरिए भेजेगा. एजेंट ने बड़ी लालच दिखाई. उन्होंने कहा कि अमेरिका भेजने के लिए मेरे बेटे को दिल्ली हवाई अड्डे से पहले मुंबई भेजा गया और फिर उसके बाद जंगलों और समुद्र के रास्ते अमेरिका भेजा गया.  करंट भी लगाया गया, एजेंट परिजनों से पैसे मांगते रहे 18 साल के युवक खुशप्रीत सिंह ने बताया कि 23 अगस्त 2024 में दिल्ली हवाई अड्डे से उसे जहाज में बिठाया गया था और 22 जनवरी 2025 को अमेरिका पहुंचे थे, मगर पहुंचते ही उन्हें पकड़ लिया गया है, उसके बाद 12 दिन तक अलग-अलग जगह कैंप में रखा गया. इस दौरान उसे यातनाएं भी दी गई यहां तक की कई बार करंट भी लगाया गया और बार-बार एजेंट परिजनों से पैसे मांगते रहे. वहीं अमृतसर के सलेमपुरा गांव के रहने वाले दलेर सिंह भी अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों में शामिल हैं. दलेर सिंह ने कहा कि वे पंजाब से दुबई गए थे अगस्त महीने में और एजेंट ने बताया था कि उन्हें लीगल तरीके से अमेरिका ले जाया जाएगा. हालांकि दुबई से उन्हें धीरे-धीरे अलग देशों से आगे ले जाया गया और पनामा के रास्ते अमेरिका ले जाया गया. रास्ते में उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा. जंगल और दलदल के रास्ते वे गए. रास्ते में लूटा भी जाता था लोगों को. रास्ते बहुत लोग मर भी जाते हैं. उन्होंने कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है. पंजाब के नौजवानों से यही अपील है कि अगर विदेश जाना है तो लीगल तरीके से ही जाएं. सरकार को भी चाहिए कि रोजगार के अवसर यहीं पैदा करें ताकि नौजवान विदेश जाने के बारे में न सोचें. इसे भी पढ़ें: 'हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां...', अमेरिका से वापस भारत भेजे गए पंजाब के शख्स ने सुनाई आपबीती

Feb 6, 2025 - 18:37
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भूखा सोया, गाली और मार खानी पड़ती थी, करंट लगाते थे, अमेरिका से लौटे युवकों ने सुनाई अपनी पीड़ा
भूखा सोया, गाली और मार खानी पड़ती थी, करंट लगाते थे, अमेरिका से लौटे युवकों ने सुनाई अपनी पीड़ा

भूखा सोया, गाली और मार खानी पड़ती थी, करंट लगाते थे, अमेरिका से लौटे युवकों ने सुनाई अपनी पीड़ा

Netaa Nagari - अमेरिका में काम करने के लिए गए भारत के कुछ युवकों ने अपनी दर्दनाक अनुभवों को साझा किया है। इन युवाओं ने बताया कि उन्हें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे उन्होंने भूखे रहकर, गाली और मार खाकर अपना समय बिताया।

युवाओं की कहानी: अमेरिका में संघर्ष

अमेरिका जाकर काम करने का सपना देखने वाले युवा जब वहाँ पहुंचे, तो उन्हें वास्तविकता का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि काम की कमी और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। "भूखा सोना पड़ा, कभी-कभी दो-तीन दिन तक खाना नहीं मिला," एक युवा ने कहा। इस कठिन दौर में उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट भी होती रही।

अत्याचार और शोषण

इन्हीं युवाओं में से एक ने बताया कि उन्हें करंट लगाकर भी सिखाया जाता था। "कई बार हमें करंट लगाकर यह बताया जाता था कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। यह हमारे लिए एक बड़े डर की बात थी," उन्होंने कहा। इस तरह के अत्याचारों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाला।

भारत लौटने का निर्णय

इस अनुभव के बाद, इन युवाओं ने भारत लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, "हमें यह समझ में आ गया था कि हमें अपने देश में रहकर भी मेहनत करने का अवसर मिल सकता है, जहाँ हमें इज्जत मिलेगी।" अमेरिका से लौटने के बाद, ये युवा अब अपने अनुभवों को साझा कर रहे हैं ताकि दूसरों को इस स्थिति में ना पड़े।

समाज का दायित्व

इस कहानी ने हमें यह भी सोचने पर मजबूर किया है कि समाज और सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें यह तय करना होगा कि हम अपने युवाओं को बेहतर अवसर प्रदान करें ताकि वे अपनी प्रतिभा का सही इस्तेमाल कर सकें।

निष्कर्ष

अमेरिका से लौटे इन युवाओं की कहानी हमारे समाज में जागरूकता फैलाती है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि एक सुखद भविष्य के लिए हमें अपने युवाओं का कार्य में सहयोग करना चाहिए। ऐसे कई युवा हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और वे deserve करते हैं एक बेहतर जीवन।

kam sabdo me kahein to, अमेरिका में काम करने वाले भारतीय युवाओं को अपने अनुभवों के तहत अत्याचार और शोषण का सामना करना पड़ा।

Keywords

Immigrant struggles, Indian youth experiences, America, labor exploitation, return to India, social responsibility, mental health, job opportunities, youth awareness.

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