'अमेरिकी सेना ने बेड़ियों में बांधा, यातनाएं दी', सोनीपत के निशांत ने सुनाई आपबीती
Haryana News: डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों पर सख्त है. 104 भारतीयों को लेकर अमृतसर एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना का विमान उतरा. अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों में ज्यादातर हरियाणा और पंजाब के युवा शामिल थे. हरियाणा और पंजाब पुलिस ने युवाओं को घरों पर भिजवाया. सोनीपत के गांव खानपुर खुर्द निवासी निशांत को भी वापस भेजा गया है. उन्होंने आपबीती सुनाते हुए खौफनाक मंजर याद को याद किया. निशांत ने बताया कि अमेरिकी सेना ने भारतीयों के साथ बहुत दुर्व्यवहार किया. खाने के लिए बीफ दिया गया. बेड़ियों से बांधकर जहाज के जरिए 55 घंटे में भारत लाया गया. उन्होंने बताया कि डंकी रूट से अमिरेका जाने में हर दिन मौत नजर आ रही थी. हमारे साथ गए कई युवाओं की डंकी रूट पर जान चली गई. उन्होंने बताया कि परिवार ने विदेश भेजने के लिए 45 लाख रुपये खर्च कर दिए. निशांत ने कहा, परिवार की आमदनी का स्रोत खेती है. डिपोर्ट किए गए सोनीपत के युवा की आपबीती पिता का सहारा बनने के लिए अमेरिका गया. तीन तीन छोटी बहनों की पढ़ाई का खर्च उठाना चाहता था. परिवार ने करनाल के नूरन खेड़ा निवासी राजेश नरवाल से संपर्क किया. झांसे में आकर परिवार ने राजेश नरवाल को 45 लाख रुपये दिए. किसान नरेंद्र के तर्क सुनकर हरियाणा सरकार भी सोचने को मजबूर हो जाएगी. उन्होंने बताया कि परिवार में चार बच्चे हैं. तीन बेटियां और एक बेटा है. बेटियों को तैयारी के बावजूद सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है. अमेरिका भेजने के लिए पिता ने लिया था कर्ज बेटे को अमेरिका भेजने के लिए 45 लाख रुपये का कर्ज लिया था. सोचा था बेटे की कमाई से घर की आर्थिक स्थिति ठीक होगी. बेटियों की पढ़ाई से लेकर घर चलाने में मदद मिलेगी. गलत तरीके से भेजने का अंजाम गलत होता है. अमेरिका ने भारतीयों के साथ मानवाधिकार का उल्लंघन किया है. बेटे के घर सुरक्षित लौटने पर परिवार खुश भी है. नितिन अंतिल की रिपोर्ट ये भी पढ़ें- 'वेलेंटाइन डे पर नहीं बल्कि, प्यार....', बोले हरियाणा के मंत्री अनिल विज

‘अमेरिकी सेना ने बेड़ियों में बांधा, यातनाएं दी’, सोनीपत के निशांत ने सुनाई आपबीती
Netaa Nagari
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेतानगरि
परिचय
सोनीपत के निवासी निशांत ने हाल ही में एक दिल दहला देने वाली कहानी साझा की है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी सेना द्वारा अपनी गिरफ्तारी और यातनाओं का विवरण दिया है। उनकी यह आपबीती न केवल उनकी व्यक्तिगत त्रासदी को दर्शाती है, बल्कि यह अमेरिका के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर भी कई सवाल खड़े करती है।
अमेरिकी सेना द्वारा गिरफ्तारी
निशांत ने बताया कि कैसे उन्हें अमेरिका में अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें एक न सुनाए जाने वाले मानक प्रक्रिया का सामना करना पड़ा, जिसने उनकी मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया। उन्होंने कहा, "मैंने अपनी आँखों से निर्दोष लोगों को बेड़ियों में बंधे और यातनाएं सहन करते हुए देखा।" यह अनुभव न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक भयावह सपना बन गया।
यातनाएं और शारीरिक चोटें
निशांत ने बताया कि उन्हें अमेरिकी सैनिकों द्वारा कई प्रकार की यातनाओं का सामना करना पड़ा। शारीरिक कोटि की चोटों के अलावा, मानसिक दबाव ने उनकी स्थिति को और अधिक कठिन बना दिया। उनका यह बयान इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि कैसे कई सैनिक अपने देश की सेवा के बजाय मानवता के खिलाफ अपराध कर रहे हैं।
भारतीय सरकार की भूमिका
इस घटना के बाद निशांत ने भारतीय सरकार से अपील की है कि वो अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा, "सरकार को हमारे मामलों में सख्त रवैया अपनाना चाहिए ताकि भविष्य में किसी और को ऐसी यातनाओं का सामना न करना पड़े।"
सामाजिक मीडिया पर प्रतिक्रिया
निशांत की कहानी के बाद, सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रियाएं आईं हैं। अनेक लोग उनकी कहानी को साझा कर रहे हैं और इसे मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ एक बड़ी घटना मान रहे हैं। इस घटना ने अमेरिकी सेना की अमानवीय कार्यप्रणाली के खिलाफ एक जागरूकता लाने का कार्य किया है।
निष्कर्ष
सोनीपत के निशांत की आपबीती न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह अमेरिका के मानवाधिकार उल्लंघनों की ओर ध्यान खींचती है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें हर हाल में व्यक्ति की गरिमा का सम्मान करना चाहिए, और हमें अपने नागरिकों की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित करनी चाहिए। अगर हमें ऐसी घटनाओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो शायद भविष्य में हमें और अधिक निशांतो की कहानियों का सामना करना पड़ेगा।
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