16 अगस्त का इतिहास : दंगों से बंगाल की धरती हुई लाल नयी, 72 घंटों तक में 6 हजार से अधिक लोगों ने गवाई थी अपनी जान
दिल्ली। देश के बंटवारे के समय पंजाब में हुए खूनी दंगों के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन आजादी से ठीक एक बरस पहले 16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में हुए सांप्रदायिक दंगों ने बंगाल की धरती को लाल कर दिया। मुस्लिम लीग ने उस दिन को ‘‘डायरेक्ट एक्शन डे’’ के तौर पर मनाने का ऐलान किया, जिसके बाद पूर्वी बंगाल में दंगों की आग दहक उठी। इन दंगों की शुरुआत पूर्वी बंगाल के नोआखाली जिले से हुई थी और 72 घंटों तक चले इन दंगों में छह हजार से अधिक लोग मारे गए। दंगों में 20 हजार से...

16 अगस्त का इतिहास : दंगों से बंगाल की धरती हुई लाल नयी, 72 घंटों तक में 6 हजार से अधिक लोगों ने गवाई थी अपनी जान
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लेखिका: सुमिता शर्मा, श्वेता गुप्ता
टीम नेटआनागरी
दिल्ली। देश के बंटवारे के समय पंजाब में हुए खूनी दंगों के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन आजादी से ठीक एक बरस पहले 16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में हुए सांप्रदायिक दंगों ने बंगाल की धरती को लाल कर दिया। मुस्लिम लीग ने उस दिन को ‘‘डायरेक्ट एक्शन डे’’ के तौर पर मनाने का ऐलान किया, जिसके बाद पूर्वी बंगाल में दंगों की आग दहक उठी। इन दंगों की शुरुआत पूर्वी बंगाल के नोआखाली जिले से हुई थी और 72 घंटे तक चले इन दंगों में छह हजार से अधिक लोग मारे गए।
दंगों का कारण और असर
देश के बंटवारे की पृष्ठभूमि में हुए ये दंगे केवल धर्मीय असहमति का परिणाम नहीं थे, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक स्थिति और विभाजन के समय की संवेदनशीलता भी थी। इस दौरान भड़की हिंसा में 20 हजार से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए और एक लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए। 16 अगस्त की घटनाएँ एक काला अध्याय हैं जो हमें साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की याद दिलाती हैं।
दंगे की समय रेखा
दंगे की शुरुआत 16 अगस्त की सुबह हुई जब मुस्लिम लीग ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वे अपनी मांगों को वास्तविकता में लाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसके बाद, पूर्व बंगाल के कई क्षेत्रों में दंगे भड़क उठे। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस और फौजी बलों को तनाव को नियंत्रित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। 72 घंटों के अंदर, यह हिंसा इतनी बढ़ गई कि विशिष्ट समुदायों के बीच गहरी दरारें उत्पन्न हो गईं।
इतिहास का पहचान
16 अगस्त के दंगों के इतिहास में दर्ज कुछ और महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है। इस दिन से पहले अमेरिका के युद्धों और प्राकृतिक आपदाओं के यादगार क्षण भी दर्ज हैं। 1691 में अमेरिका में योर्कटाउन, वर्जीनिया की खोज, 1777 में ब्रिटेन को बेनिंगटन के युद्ध में हराने जैसी घटनाएँ हमें बताती हैं कि कैसे समय और इतिहास बदलते हैं।
भविष्य के लिए संदेश
हमें पिछले अनुभवों से सीख लेने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता की भावना को बढ़ावा देना इस बुरे अध्याय को समाप्त करने का एक उपाय हो सकता है।
इन दंगों की स्मृति हमें यह याद दिलाती है कि धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर तोड़ने के बजाय हमें जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
इन दंगों की विशेषताएँ और उनके पीछे का कारण आज भी शोध का विषय हैं। इतिहासकारों और राजनीतिज्ञों के लिए यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जिससे हमें समाज की विविधताओं को समझने में मदद मिल सकती है।
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