डल्लेवाल-पंढेर समेत कई किसान नेता हिरासत में, शंभू और खनौरी बॉर्डर के आसपास इंटरनेट बंद
एक किसान नेता ने दावा किया कि सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह दल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को बुधवार को पंजाब पुलिस ने मोहाली में हिरासत में ले लिया है।

डल्लेवाल-पंढेर समेत कई किसान नेता हिरासत में, शंभू और खनौरी बॉर्डर के आसपास इंटरनेट बंद
Netaa Nagari - इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि किसान आंदोलन के दौरान डल्लेवाल, पंढेर और कई अन्य किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है, जिसके चलते शंभू और खनौरी बॉर्डर के आसपास इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। यह कदम सरकार की ओर से उठाया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके। इस घटनाक्रम से किसानों में काफी रोष उत्पन्न हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
किसान संगठनों ने पिछले कुछ दिनों में अपने विरोध प्रदर्शनों को तेज किया है। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर कई किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने वहां सुरक्षा बढ़ा दी है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बड़ा विरोध या जन आंदोलन ना हो सके। यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब किसान अपनी मांगों को लेकर أكثر संगठित हैं।
किसानों की मांगें
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि प्रस्तावित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही है, जो उनके अनुसार किसानों के लिए हानिकारक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे शांति से अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे, चाहे सरकार कितनी भी कोशिशें कर ले। उनके अनुसार, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की आवाज सुनें।
इंटरनेट बंद करने का प्रभाव
इंटरनेट सेवाओं का निलंबन किसानों के लिए एक कठिन चुनौती साबित हो रहा है। जानकारी की कमी से किसान आंदोलनों में भाग लेने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर किसानों की आवाज़ को फैलाने में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। इससे किसानों के बीच निराशा और भी बढ़ रही है।
सरकार का बयान
इस मामले में, राज्य सरकार ने कहा है कि सुरक्षा कारणों से ही इंटरनेट बंद किया गया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, इंटरनेट सेवाएं फिर से बहाल की जाएंगी। लेकिन किसानों का मानना है कि यह कदम उनकी आवाज दबाने के लिए उठाया गया है।
किसान आंदोलन का भविष्य
किसान संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगों की पूर्ति के लिए लगे रहेंगे। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान नेता आने वाले दिनों में और बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। यह तो स्पष्ट है कि किसान अपनी आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि किसानों की मांगें और अधिकार उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं। सरकार को चाहिए कि वे किसानों की समस्याओं पर ध्यान दे और बात-चीत के माध्यम से इस संकट का समाधान निकाले।
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