अयोध्या की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दी ये सफाई

UP News: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज बुधवार (19 मार्च) को तकरीबन डेढ़ घंटे सुनवाई हुई. अदालत में आज हुई सुनवाई में हिंदू पक्ष की तरफ से दो अंतरिम अर्जियां दाखिल की गईं.  हालांकि दोनों ही अर्जियों पर आज सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट अब 3 अप्रैल को सुनवाई करेगा. सूट नंबर 13 के हिंदू पक्षकार ठाकुर केशव देव जी महाराज विराजमान मंदिर कटरा केशव देव की तरफ से अंतरिम अर्जी दाखिल की गई.  इस अर्जी में कहा गया कि 13.37 एकड़ की विवादित जमीन में से तकरीबन ढाई एकड़ जगह पर बनाई गई शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए. हिंदू पक्ष की तरफ से यह दलील दी गई कि अयोध्या समेत तमाम दूसरे मामलों में भी अदालत ने विवादित जगह या विवादित ढांचा करार दिया था.  हालांकि मुस्लिम पक्षकारों ने इस पर कड़ा एतराज जताया. अदालत ने मुस्लिम पक्षकारों को अपनी लिखित आपत्ति 3 अप्रैल तक दाखिल करने को कहा है. हालांकि सुनवाई के दौरान सूट नंबर 13 के पक्षकार की तरफ से कहा गया कि मस्जिद को विवादित ढांचा करार दिया जाए.  हिंदू पक्षकार इसे खुद ही मस्जिद मान रहे हैं- मुस्लिम पक्ष इस पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि हिंदू पक्षकार इसे खुद ही मस्जिद मान रहे हैं. एक अन्य अंतरिम अर्जी सूट नंबर 17 के हिंदू पक्षकार भगवान श्री कृष्ण ठाकुर केशव देव जी महाराज विराजमान की तरफ से दाखिल की गई.  इसमें सूट नंबर 17 को रिप्रेजेंटेटिव केस घोषित करने की अपील की गई.  हालांकि इस पर दूसरे हिंदू पक्षकारों ने ही आपत्ति जताई. उनकी तरफ से कहा गया कि जब हाई कोर्ट सभी 18 मुकदमों पर एक साथ सुनवाई कर रहा है तो किसी एक मुकदमे को रिप्रेजेंटेटिव सूट नहीं माना जा सकता. अदालत इस बिंदु पर भी अब 3 अप्रैल को ही सुनवाई करेगा.  अयोध्या विवाद की तर्ज पर सीधे तौर पर सुनवाई कर रहा HC रिप्रेजेंटेटिव सूट का मतलब यह होगा कि उस मुकदमे में पेश की गई दलीलें सभी हिंदू पक्षकारों को मंजूर है. जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई. मथुरा के मंदिर-मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर सीधे तौर पर सुनवाई कर रहा है.  अभी तक मुकदमों का ट्रायल नहीं हुआ शुरू हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई डेढ़ दर्जन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है. हालांकि अभी तक मुकदमों का ट्रायल शुरू नहीं हो सका है. 'आक्रांताओं के नाम पर मेला नहीं लगने देंगे' संभल में नेजा मेले विवाद पर बोले अरविंद राजभर

Mar 19, 2025 - 20:37
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अयोध्या की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दी ये सफाई
अयोध्या की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दी ये सफाई

अयोध्या की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दी ये सफाई

Netaa Nagari - इस समय देश के धार्मिक स्थलों को लेकर विवादों की स्थिति बढ़ती जा रही है। हाल ही में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले की सुनवाई ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस विषय पर मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है, जानने के लिए हम विस्तार से चर्चा करेंगे।

मामले का पृष्ठभूमि

श्रीकृष्ण जन्मभूमि भारत के अयोध्या के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल मानी जाती है। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह स्थान न केवल हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लिए भी इसे लेकर कई विवाद हैं। इस मामले में सुनवाई का मुद्दा इसलिए उठा क्योंकि कुछ हिंदू संगठनों ने यहाँ पर मंदिर निर्माण का दावा किया है।

मुस्लिम पक्ष की सफाई

इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि वे इस स्थान पर पहले से रह रहे हैं और यह उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है। मुस्लिम प्रतिनिधियों ने कहा कि वे संविधान के अनुसार अपने अधिकारों का सम्मान करते हैं और किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधियों का विरोध करेंगे।

सुनवाई का महत्व

बातचीत के दौरान मुस्लिम पक्ष ने न्यायालय से भी अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई को निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया के साथ किया जाए। यह सुनवाई न केवल धार्मिक संवेदनाओं से जुड़ी है, बल्कि यह कई सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को भी छूती है। अगर यह मामला सुलझाने में विफल रहता है, तो देश में एक बार फिर से धार्मिक तनाव बढ़ सकता है।

विवाद का समाधान कैसे हो?

विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच संवाद और सहिष्णुता का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। संवाद का माध्यम स्थापित करना, आपसी समझदारी पैदा करना और कानून का पालन करना इन विवादों का समाधान कर सकता है।

निष्कर्ष

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे सभी को संवेदनशीलता से लेना चाहिए। यह सुनवाई भविष्य में साम्प्रदायिक सौहार्द और शांति में सुधार कर सकती है। सभी पक्षों को बातचीत के माध्यम से अपने विचार रखकर एक सकारात्मक और सहिष्णु वातावरण बनाने की आवश्यकता है।

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