झारखंड वन विभाग पेश करेगा डॉल्फिन अभयारण्य के लिए नया प्रस्ताव, WII की टीम जल्द करेगी साहिबगंज का दौरा
Jharkhand News: झारखंड वन विभाग साहिबगंज जिले में गंगा के एक हिस्से को डॉल्फिन अभयारण्य के रूप में नामित करने के लिए एक नया प्रस्ताव तैयार कर रहा है. जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय जलीय पशु की रक्षा करना और इको-पर्यटन को बढ़ावा देना है. एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की एक टीम डॉल्फिन अभयारण्य के लिए जनवरी के आखिर या फरवरी के पहले हफ्ते तक साहिबगंज का दौरा करने वाली है. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के आर्टिकल 1 के तहत संरक्षित डॉल्फिन साहिबगंज में गंगा नदी के 80 किलोमीटर के हिस्से में पाई जाती है. साहिबगंज के प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) प्रबल गर्ग ने बताया कि अभयारण्य क्षेत्र को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन यह प्रोजेक्ट लगभग 40 किलोमीटर के हिस्से को कवर करेगा, जहां अधिकांश डॉल्फिन पाई जाती हैं. इस अभयारण्य की तर्ज पर होगा तैयारएक अधिकारी ने बताया कि इसे बिहार के विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि साहिबगंज डिवीजन ने चार से पांच साल पहले अभयारण्य के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव सौंपा था. हालांकि, अभयारण्य की घोषणा के बाद नदी संबंधी गतिविधियों के नियमन पर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण सहित कई संस्ताओं द्वारा उठाई गई चिंताओं के कारण प्रस्ताव रुक गया था. प्रबल गर्ग ने कहा कि इन चिंताओं को दूर करते हुए विभाग ने एक नया प्रस्ताव तैयार करने का फैसला किया है, जिसमें जलमार्ग क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया है. बता दें केंद्र ने पहले ही एक राष्ट्रीय जलमार्ग मार्ग निर्धारित किया है, जिनमें वाराणसी (उत्तर प्रदेश) और हल्दिया (पश्चिम बंगाल) के बीच 1,390 किलोमीटर लंबा हिस्सा है जो साहिबगंज से होकर गुजरता है. यहां 120 से 140 डॉल्फिन आबादी का अनुमानउन्होंने कहा कि हमारी रणनीति अभयारण्य के लिए साइड चैनलों और बैकवाटर क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है, जिससे मुख्य चैनल शिपिंग के लिए खुला रह सके. 2023 में किए गए भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक सर्वे में झारखंड में गंगा के किनारे लगभग 120 डॉल्फिन की आबादी का अनुमान लगाया गया था. वर्तमान में यहां 120 से 140 डॉल्फिन आबादी का अनुमान है, लेकिन हमें लगता है कि इनकी संख्या 150 के करीब हो सकती है. उन्होंने कहा कि साहिबगंज का दौरा करने वाली WII टीम अभयारण्य का आकलन करेगी और प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए जरूरी डेटा पेश करेगी. एक बार अभयारण्य घोषित होने के बाद वन विभाग इस क्षेत्र में इको-पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है. पूर्व राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य डी एस श्रीवास्तव ने अभ्यारण की स्थापना में देरी पर चिंता व्यक्त की. 2022 में केंद्र सरकार को प्रस्ताव सौंपा गया थाउन्होंने कहा कि इससे डॉल्फिन की आबादी को खतरा है अप्रैल 2022 में राज्य वन विभाग ने साहिबगंज में गंगा नदी के दो हिस्सों को 'डॉल्फिन सफारी' के रूप में बनाने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भी सौंपा था. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभाग ने सफारी परियोजना के लिए राजमहल में सिंघीदान और साहिबगंज में ओझाटोली को संभावित स्थलों के रूप में पहचाना था, लेकिन केंद्र की मंजूरी अभी भी लंबित है. Jharkhand: रांची में बन रहा विधायकों का नया आशियाना, क्या-क्या मिलेंगी सुविधाएं? CM हेमंत सोरेन ने दिए ये निर्देश

झारखंड वन विभाग पेश करेगा डॉल्फीन अभयारण्य के लिए नया प्रस्ताव, WII की टीम जल्द करेगी साहिबगंज का दौरा
Netaa Nagari
दौड़ी हुई खबरों के अनुसार, झारखंड वन विभाग एक नई पहल के तहत डॉल्फिन अभयारण्य के लिए एक नया प्रस्ताव पेश करने जा रहा है। इसमें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) की एक टीम भी शामिल होगी, जो जल्द ही साहिबगंज का दौरा करेगी। यह निर्णय झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डॉल्फिन अभयारण्य की आवश्यकता
डॉल्फिन, जो प्रमुख जल जीवों में से एक हैं, का संरक्षण आवश्यक हो गया है। झारखंड में नदी के पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए डॉल्फिन का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि डॉल्फिन अभयारण्य के निर्माण से न केवल जैविक विविधता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे पर्यटन उद्योग को भी संभावित लाभ पहुँचेगा।
WII की टीम का दौरा
WII की टीम साहिबगंज का दौरा करेगी, जहाँ वे स्थानीय मनोबल और पारिस्थितिकी के अनुकूल उपायों को समझने के लिए स्थितियों का अध्ययन करेगी। इस टीम में विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो डॉल्फिन के संरक्षण और उनकी पैदाइश की जरूरतों का अध्ययन करेंगे। वे अपनी रिपोर्ट के माध्यम से विवरण प्रस्तुत करेंगे, जिससे नई योजना तैयार की जा सके।
अभयारण्य प्रस्ताव का उद्देश्य
वन विभाग का लक्ष्य इससे डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों के लिए एक सुरक्षित और संरक्षित स्थल तैयार करना है। इस अभयारण्य में उन सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा, जो डॉल्फिन के लिए अनुकूल हैं। इसके चलते न केवल डॉल्फिन की संख्या बढ़ने की संभावना है, बल्कि जल पारिस्थितिकी के अन्य जीवों में भी संतुलन बने रहने की संभावना है।
निष्कर्ष
अगर झारखंड वन विभाग और WII की टीम द्वारा योजनाएं सफल होती हैं, तो यह डॉल्फिन संरक्षण का एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह सिर्फ एक जलीय जीव की रक्षा नहीं करेगा बल्कि इससे पर्यावरण प्रेमियों, स्थानीय समुदाय और पर्यटन को भी नया अवसर प्रदान करेगा। अकसर पर्यावरण मंत्रालय और वन विभाग के बीच अच्छे सामंजस्य से ही ऐसी योजनाओं में सफलता मिलती है। भारतीय पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए यह एक सराहनीय प्रयोग होने की उम्मीद है।
झारखंड वन विभाग के इस नये प्रस्ताव पर आपकी क्या राय है? क्या यह पर्यावरण के लिए एक अच्छी पहल सिद्ध होगी? हमें अपनी राय कमेंट सेक्शन में बताएं।
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