वक्फ बिल पर संजय सिंह बोले, '2013 में कांग्रेस-BJP ने मिलकर इसे पास कराया, अब दोबारा...'

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 2 अप्रैल को वक्फ संसोधन बिल को लोकसभा में लाएगी. इससे पहले इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बैठक की. इस बैठक का हिस्सा आप सांसद संजय सिंह भी रहे. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि वो जेपीसी के मेंबर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ये देश के अमन-चैन और शांति को बिगाड़ने के लिए लाया जा रहा है. झगड़ा कराने के उद्देश्य से लाया जा रहा है. बीजेपी विवाद प्रायोजित करेगी- संजय सिंह संजय सिंह ने कहा, "गांव-गांव में भारतीय जनता पार्टी विवाद प्रयोजित कराएगी. मकदस सिर्फ झगड़ा है और कुछ नहीं." सांसद से जब पूछा गया कि आप किस आधार पर ये आरोप लगा रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा, "वक्फ में संसोधन के लिए वक्फ कानूनों को सशक्त और मजबूत करने के लिए के रहमान कमेटी के नेतृत्व में कई सालों तक चर्चा हुई. उस कमेटी ने 2011 में अपनी एक रिपोर्ट तैयार की." बीजेपी की घोषणापत्र का किया जिक्र आप सांसद ने आगे कहा, "उस कमेटी के कुछ सुझाव थे. उसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने 2009 में अपने मैनिफेस्टो में लिखा कि वक्फ की संपत्तियों पर जो अवैध कब्जा किया गया उसको मुस्लिम धार्मिक गुरुओं के साथ बातचीत करके उसको हटाने का काम करेंगे. इसके बाद 2013 में एक बिल आता है. इसी कमेटी के सुझावों के आधार पर एक वक्फ संसोधन बिल आता है. जब ये बिल आता है तो इस बिल का सपोर्ट राज्यसभा में मुख्तार अब्बास नकवी करते हैं. लोकसभा में शहनवाज हुसैन इसे सपोर्ट करते हैं. सहमति से कांग्रेस और बीजेपी ने 2013 में वक्फ संसोधन बिल पास कर दिया." सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने दिया शपथ पत्र- आप सांसद इस बार सहमति क्यों नहीं बन पा रही? इस पर उन्होंने कहा, "2013 में जब इसे कांग्रेस और बीजेपी सभी ने मिलकर पास कर दिया तो उसमें कुछ सुझाव थे. उसमें लिखा था कि वक्फ की संपत्तियों का कंप्यूटराइजेशन होगा. यानि इसको ऑनलाइन किया जाएगा. इसको सूचीबद्ध किया जाएगा. 2014 में मोदी जी की सरकार आ गई. अब तक देश में उन्हीं की सरकार है. कई राज्यों में उनकी सरकारें हैं. इन सभी सरकारों ने दिन रात सारी मेहनत करके सारी संपत्तियों को डिजिटाइज कर दिया. मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 100 फीसदी संपत्तियां डिजिटाइज्ड हैं. ये बात मोदी सरकार ने मंत्री ने कहा. आपने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दिया." जब कोर्ट में मान लिया तो दोबारा कागज क्यों मांग रहे- संजय सिंह संजय सिंह ने सवाल उठाते हुए आगे कहा, "जब इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मान लिया. फिर दोबारा कागज क्यों मांग रहे हो आप?" जब उनसे सवाल किया कि सरकार पारदर्शिता लाने के लिए कोई कदम उठा रही है तो इसमें दिक्कत क्या है? इस पर उन्होंने कहा, "सर्वे के बाद वक्फ की संपत्तियां तय होती हैं. उसके बाद वक्फ उनको रजिस्टर्ड करता है. बिल में सरकार ने झगड़े का रास्ता खोल रखा है."

Apr 1, 2025 - 21:37
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वक्फ बिल पर संजय सिंह बोले, '2013 में कांग्रेस-BJP ने मिलकर इसे पास कराया, अब दोबारा...'
वक्फ बिल पर संजय सिंह बोले, '2013 में कांग्रेस-BJP ने मिलकर इसे पास कराया, अब दोबारा...'

वक्फ बिल पर संजय सिंह बोले, '2013 में कांग्रेस-BJP ने मिलकर इसे पास कराया, अब दोबारा...'

लेखक: रोशनी वर्मा, टीम नेतागरी

राजनीतिक बयानों की धारा में एक बार फिर वक्फ बिल के मसले पर विवाद गहरा गया है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने हाल ही में कांग्रेस और बीजेपी को निशाने पर लिया। उनका कहना है कि वक्फ बिल 2013 में कांग्रेस और बीजेपी की मिलीभगत से पारित किया गया था। यह बयान उस समय आया है जब वक्फ बिल को लेकर चर्चा तेज है।

वक्फ बिल का इतिहास

वक्फ बिल का इतिहास काफी पुराना है और यह विभिन्न प्रकार के धर्मार्थ ट्रस्टों और उनके प्रबंधन से जुड़ा हुआ है। इस बिल को पहले भी कई बार लागू करने की कोशिश की गई है, लेकिन हर बार इसके पीछे राजनीति की परछाई नजर आती है। यदि हम 2013 के समय को देखें, तो उस समय कांग्रेस और बीजेपी के बीच में यह बिल लगातार चर्चा का विषय बना रहा।

संजय सिंह का आरोप

संजय सिंह ने कहा, “कांग्रेस और बीजेपी ने मिलकर वक्फ बिल को पास कराया था, जिसका नुकसान भारतीय मुसलमानों को उठाना पड़ा। अब जब हम इसे फिर से उठाते हैं, तो यह सवाल उठता है कि वे क्यों इस विषय से भाग रहे हैं।” उन्होंने इसे राजनीति का खेल करार देते हुए कहा कि यह बिल यदि सही तरीके से लागू किया जाए तो समाज के लिए फायदेमंद होगा।

क्या है वक्फ बिल?

वक्फ बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और उन्हें सही दिशा में उपयोग में लाना है। इसके अंतर्गत वक्फ संपत्तियों के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन करने का प्रस्ताव है, जो इन संपत्तियों के रखरखाव और उपयोग को सही तरीके से सुनिश्चित करेगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

संजय सिंह के इन बयानों के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी के नेता इस मामले में अपनी-अपनी सफाई दे रहे हैं। जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे एक बार फिर से उठाकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच की गहरी गठबंधन की ओर इशारा किया है। उनकी नजर में यह एक सुनहरा अवसर है जब वे अलग-अलग दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर सकते हैं।

निष्कर्ष

संजय सिंह के बयानों ने वक्फ बिल के प्रति जनता का ध्यान आकर्षित किया है। अब यह देखना है कि राजनीतिक दल इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इस बार वक्फ बिल को लेकर कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं। राजनीतिक दृष्टिकोन से यह एक महत्वपूर्ण समय है, जिससे न केवल मुसलमान समुदाय को बल्कि पूरे समाज को लाभ हो सकता है।

कुल मिलाकर, वक्फ बिल पर संजय सिंह के बयानों ने एक बार फिर से इस मुद्दे को गरमा दिया है। जब राजनीति वक्फ या किसी धर्मार्थ ट्रस्ट से जुड़ती है, तो परिणाम हमेशा महत्वपूर्ण होते हैं। भविष्य में इस पर और बहस होने की उम्मीद की जा सकती है।

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