एकनाथ शिंदे के करीबी संजय शिरसाट का बड़ा बयान, बोले- 'शिवसेना के टूटने का आज भी दुख, मैं चाहता हूं कि...'
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय शिरसाट ने शनिवार (1 फरवरी) को शिवसेना के विभाजन पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे शिवसेना के टूटने का दुख आज भी है. मैं चाहूंगा कि दोनों शिवसेना एक साथ आ जाएं. एकनाथ शिंदे की शिवसेना से सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा है कि अगर दोनों शिवसेना एक साथ आ जाती हैं तो यह बहुत खुशी की बात होगी. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कल जो मैंने कहा है मैं उससे पीछे नहीं हटने वाला क्योंकि वह सच है. शिवसेना के दो टुकड़े मंजूर नहीं है. विभाजन क्यों हुआ इसका कारण सब को पता है. 'साथ आएंगे तो होगी खुशी'क्या दोनों भविष्य में एक साथ आएंगे क्या? इस सवाल के जवाब में संजय शिरसाट ने कहा, "अगर साथ आते हैं तो खुशी की बात है. लेकिन मैं इसके लिए अलग से प्रयास करूंगा ऐसा नहीं है. उनको एक साथ आना है या नहीं, शिंदे साहब क्या निर्णय लेंगे और उद्धव साहब क्या निर्णय लेंगे मैं कोई विद्वान नहीं हूं जो कहूंगा." संजय राउत ने किया था दावासंजय शिरसाट ने ये बयान ऐसे समय में दिया है, जब हाल ही में उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने दावा किया था कि बीजेपी के कुछ नेता शिवसेना यूबीटी से गठबंधन चाहते हैं. संजय राउत ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल और सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर के बीच यहां बातचीत के बाद ये दावा किया था. 2019 के बाद अलग हुए दोनों के रास्ते बता दें कि बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना साल 2019 तक साथ रहीं. वहीं 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों पार्टियां अलग हो गईं. इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बैनर तले सीएम बनने के लिए कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया.

एकनाथ शिंदे के करीबी संजय शिरसाट का बड़ा बयान, बोले- 'शिवसेना के टूटने का आज भी दुख, मैं चाहता हूं कि...'
प्रस्तावना: एकनाथ शिंदे के करीबी सहयोगी संजय शिरसाट ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने शिवसेना के विभाजन को लेकर अपनी भावनाएं साझा की हैं। इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं में भी उत्सुकता पैदा की है। 'Netaa Nagari' की टीम इस महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दे पर गहराई से चर्चा करेगी।
संजय शिरसाट का बयान
शिरसाट ने कहा, "शिवसेना के टूटने का आज भी मुझे दुख है। हमारी पार्टी की नींव मजबूत थी, लेकिन कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हुईं जिन्होंने हमें इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया।" उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी फिर से एकजुट हो और इसके मूल सिद्धांतों की ओर वापस लौटे।
शिवसेना का इतिहास
शिवसेना की स्थापना 1966 में हुई थी, और यह पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। पार्टी की ताकत और उसकी विचारधारा ने उसे राज्य में एक मजबूत पहचान दी है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में पार्टी के भीतर के मतभेदों ने इसे दो हिस्सों में बांट दिया। इस विभाजन के राजनीतिक प्रभाव को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
संजय शिरसाट का मत
संजय शिरसाट ने आगे कहा, "शिवसेना की एकता न केवल हमारे कार्यकर्ताओं के लिए आवश्यक है, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीति में भी महत्वपूर्ण है। यदि हमें सही दिशा में आगे बढ़ना है, तो पार्टी के सभी सदस्यों को एकत्र होना होगा।" उनका मत है कि अगर शिवसेना फिर से एकजुट होती है, तो यह पुरानी बीमारी को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
शिरसाट के इस बयान पर राजनीतिक वातावरण में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं। कई राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह बयान बताता है कि शिवसेना के भीतर अब भी एकता की उम्मीद जिंदा है। वहीं, कुछ अन्य नेताओं का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में एकता की राह पर चलना आसान नहीं होगा।
निष्कर्ष
संजय शिरसाट का बयान इस बात का प्रतीक है कि शिवसेना के भीतर एकता की चाहत अब भी मौजूद है। यह देखते हुए कि पार्टी में क्या नया मोड़ आ सकता है, सभी की नजरें आगामी चुनावों पर हैं। वे चाहते हैं कि शिवसेना का इतिहास और उसका जिद्दी वैभव फिर से लौटकर आए। 'Netaa Nagari' की टीम सभी राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर रखेगी। इसके लिए हमसे जुड़े रहें। For more updates, visit netaanagari.com.
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