हिंद महासागर में दिखे आरा के 45 हजार प्लॉट, टेंशन में जमीन मालिक, जानिए पूरा मामला
Bihar News: आरा के 14 प्रखंड के 4 हजार प्लॉट हिंद महासागर में दिख रहे हैं. इससे जिले के जमीन मालिकों की नींद उड़ गई है. सबसे बड़ी संख्या में किसान परेशान हैं. डिजिटल क्रॉप सर्वे में कृषि विभाग का डीसीएस एप कुछ ऐसा ही दिखा रहा है. भोजपुर जिले के खेतों में लगे फसल का ऑन स्पॉट डिजिटल क्रॉप सर्वे हो रहा है. इस क्रम में कृषि विभाग के कर्मी पीरो प्रखंड में प्लॉट का सर्वे करने गए. हिंद महासागर में दिख रही प्लॉट की लोकेशन एक प्लॉट का सत्यापन करने पर लोकेशन चेक किया गया. उस दौरान एप में उस प्लॉट का लोकेशन 2827568.23 मीटर यानी 2827.56823 किलोमीटर दूर पड़ोसी देश श्रीलंका के नजदीक हिंद महासागर में दिखा रहा था. इसी प्रकार जगदीशपुर प्रखंड की बिचला जंगल महाल पंचायत तेंदुनी के भी एक प्लॉट का लोकेशन हिंद महासागर में दिखा रहा था. कुछ अन्य खेतों के प्लॉट के सत्यापन में भी ऐसे मामले आए. बताया जा रहा है कि ये गड़बड़ी अक्षांश और देशांतर में हुई तकनीकी खराबी के कारण हुई है. जिला भूमि संरक्षण विभाग प्लॉट के डिजिटल सर्वे के डेटा को विभागीय साइट पर अपलोड कर रहा है. जिन प्लॉटों के अक्षांश और देशांतर में गड़बड़ी है उन्हें अपलोड नहीं किया जा सका. जिस स्थान पर, जिस मौजा और खेसरा के कागजों में उल्लेख है, वह उस जगह पर नहीं दिख रहा है बल्कि वह सीधे हिंद महासागर में दिख रहा है. 20 दिसंबर से चल रहा डिजिटल क्रॉप सर्वे बता दें कि यह डिजिटल क्रॉप सर्वे 20 दिसंबर से चल रहा है. इसका उद्देश्य किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करना है. इसके जरिए जरूरतमंद किसानों को सरकारी योजनाओं का सही लाभ दिया जा सकेगा. कृषि विभाग को 31 जनवरी तक 10 लाख प्लॉट का डिजिटल सर्वे पूरा करने का लक्ष्य दिया है. एक प्लॉट के सर्वे के लिए पांच रुपये का बोनस दिया जा रहा है. 24 जनवरी तक 95000 प्लॉट का डिजिटल सर्वे हो चुका है. इनमें से 45 हजार प्लॉट में अक्षांश और देशांतर की गड़बड़ी पाई गई है. ये वो प्लॉट हैं जिन्हें राजस्व विभाग ने सर्वे के बाद ऑनलाइन किया है. कृषि विभाग यह सर्वे कर रहा है कि किस प्लॉट में रबी या खरीफ की फसल हो रही है. यह जानकारी अक्षांश और देशांतर के अनुसार इकट्ठी की जा रही है. सॉफ्टवेयर के कारण हुई गड़बड़ी जिला कृषि पदाधिकारी शत्रुघ्न साहू ने बताया कि सभी प्रखंडों में डिजिटल सर्वे किया जा रहा है. इनमें प्रखंड अंतर्गत कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक आदि कर्मियों को लगाया गया है. यह उन्हीं प्लाटों का सर्वे किया जा रहा है, जिनका परिमार्जन ऑनलाइन हो सका है. जो गड़बड़ी सामने आई है वह सॉफ्टवेयर के कारण हुई है. इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं है. उन्होंनेकहा कि हमारे इंजीनियर और डिपार्टमेंट की टीम उसी पर काम कर रही है. जैसे ही यह गड़बड़ी ठीक कर दी जाएगी उसके बाद सर्वे को आगे जारी रखा जाएगा. जो सरकार के द्वारा लक्ष्य व समय दिया गया है उसी के अनुरूप काम होगा. इसमें ज्यादा कोई परेशान होने वाली बात नहीं है अगर किसान अपने एप को फिर से रिफ्रेश करेंगे तो हो सकता है उन्हें सब कुछ ठीक मिले. यह भी पढ़ें: Nawada News: बिहार के नवादा में 19 लाख रुपये की लूट, बदमाशों ने गोली भी चलाई, एक व्यक्ति घायल

हिंद महासागर में दिखे आरा के 45 हजार प्लॉट, टेंशन में जमीन मालिक, जानिए पूरा मामला
Netaa Nagari
लेखिका: सृष्टि शर्मा, टीम नीतानागरी
परिचय
हिंद महासागर में आरा के 45 हजार प्लॉट के अचानक सामने आने से स्थानीय जमीन मालिकों में तनाव का माहौल है। यह घटना न केवल स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर रही है, बल्कि इसने सरकार के लिए भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं। इस लेख में हम हालात की गंभीरता, जमीन मालिकों की चिंताओं और संभावित उपायों पर चर्चा करेंगे।
क्या है मामला?
हाल ही में, एक वैज्ञानिक शोध में पता चला कि हिंद महासागर में आरा के करीब 45,000 प्लॉट समुद्र की सतह पर उभर आए हैं। यह घटना प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और समुद्री जल स्तर में वृद्धि के कारण हुई है। यह प्लॉट पहले पानी के नीचे थे, लेकिन अब उनकी जानकारी जमीनी स्तर पर भी आ गई है।
जमीन मालिकों की चिंता
इस खुलासे ने उन जमीन मालिकों को तनाव में डाल दिया है, जिनकी संपत्ति ने हाल के वर्षों में मूल्यवृद्धि का अनुभव किया था। स्थानीय निवासी और मालिक चिंतित हैं कि अगर सरकार इन प्लॉट्स पर अपने अधिकार स्थापित करती है, तो उनकी संपत्ति की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है। मालिकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकारी अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और विभागीय बैठकें आयोजित कर रहे हैं। सरकार ने कहा है कि वे जमीन मालिकों की चिंताओं को समझते हैं और इस मामले में उचित निर्णय लेंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को जल्द ही इसका समाधान निकालना होगा ताकि मौजूदा तनाव को कम किया जा सके।
संभावित हल
विशेषज्ञों का सुझाव है कि मिट्टी की गुणवत्ता, संभावित वाणिज्यिक उपयोग और पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण किया जाए। इसके साथ ही, मुआवजे की आकार-प्रणाली को स्पष्ट किया जाना चाहिए ताकि जमीन मालिकों को नुकसान से बचाया जा सके।
निष्कर्ष
हिंद महासागर में आरा के 45,000 प्लॉट का मुद्दा एक जटिल और गंभीर समस्या है जो सरकार, जमीन मालिकों और पर्यावरण पर प्रभाव डालती है। सभी पक्षों के लिए यह आवश्यक है कि वे एक-दूसरे की चिंताओं को समझें और मिलकर समाधान खोजें। अगर सभी ठीक से काम करें, तो इस मुद्दे का हल संभव है।
इस विषय पर और जानकारी के लिए, कृपया हमारे वेबसाइट netaanagari.com पर जाएं।
Keywords
Hind Mahasagar, Aara Plots, Land Owners Stress, Government Response, Environmental Impact, Land CompensationWhat's Your Reaction?






