'सिर्फ हिन्दुओं की बात करूंगा', धीरेंद्र शास्त्री ने बांका में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का लिया प्रण

Dhirendra Shastri: बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर हैं. रविवार को बिहार के बांका पहुंचे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बार फिर धर्म और हिन्दू को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जात पात की दीवार भेद भाव की दीवार को मिटा डालो.  मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचे हैं धीरेंद्र शास्त्री बांका के धोरैया प्रखंड के गौरा गांव में श्री श्री 1008 सहस्त्र चंडी महायज्ञ सह मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. मंदार महाकुंभ नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री भी पहुंचे हैं, जहां उन्होंने अपने भक्तों से कहा कि हमें बताओ जो सनातन का विरोध करेगा, हिन्दुओं का विरोध करेगा. हमारे मंदिरों का विरोध करेगा तो जवाब कौन-कौन देगा. आगे उन्होंने कहा कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रण कौन-कौन लेगा? उन्होंने कहा कि जात पात की दीवार भेद भाव की दीवार को मिटा डालो. मंदिरों के बाहर लिखा रहता है कि जूते चप्पल बाहर उतारकर आओ लेकिन में चाहता हूं कि मंदिरों के बाहर लिखा रहे कि जात पात को भुला कर अंदर आओ. आप सभी कहो हम सब हिन्दू एक हैं. मैं हिन्दू हूं, सिर्फ हिन्दुओं की बात करूंगा.  इससे पहले गोपालगंज में भी उन्होंने हिंदू राष्ट्र बनाने की वकालत की थी. उन्होंने कहा कि भारत पर पहला अधिकार हिंदूओं का है. बाबा बागेश्वर ने कहा है, "बिहार से हिन्दू राष्ट्र का बिगुल बजेगा. कागजों पर नहीं, हिन्दुओं के दिल में हिन्दू राष्ट्र बनाना है. ताकी सनातन, संत, हिन्दुओं पर कोई उंगली न उठाए, मंदिरों को तोड़े न हिन्दुओं को जातियों में तोड़ें"   चुनावी साल में बिहार आने पर राजनीति गरमाई वहीं चुनावी साल में उनके बिहार आने पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है. इस पर राजनीति भी तेज है. उनके बयान को लेकर आरजेडी नेता ने तो उनकी गिरफ्तारी तक की मांग की है. इस पर बाबा बागेश्वर ने कहा कि मैं पहली बार बिहार नहीं आया हूं. पहले भी आता रहा हूं. मेरे आने से कुछ लोगों को मिर्ची लग रही है, तो अब चुनाव के बाद आउंगा. उन्होंने कहा कि मैं किसी पार्टी से नहीं हूं कि राजनीति की बात करूंगा में हिंदू और हिंदूओं की बात करता हूं.   ये भी पढ़ेंः कन्हैया कुमार से घबराई RJD? तेजस्वी यादव को बताया बिहार की उम्मीद

Mar 9, 2025 - 18:37
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'सिर्फ हिन्दुओं की बात करूंगा', धीरेंद्र शास्त्री ने बांका में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का लिया प्रण
'सिर्फ हिन्दुओं की बात करूंगा', धीरेंद्र शास्त्री ने बांका में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का लिया प्रण

‘सिर्फ हिन्दुओं की बात करूंगा’, धीरेंद्र शास्त्री ने बांका में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का लिया प्रण

Netaa Nagari | लेखन टीम: साक्षी शर्मा, मेधा वर्मा

परिचय

भारत में धर्म, संस्कृति और राजनीति हमेशा से intertwined (परस्पर जुड़े) रहे हैं। इसी कड़ी में, हाल ही में धीरेंद्र शास्त्री का एक बयान सुर्खियों में रहा है। उन्होंने बांका में एक रैली के दौरान देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रण लिया। इस लेख में हम इस विषय पर चर्चा करेंगे, उनके विचार की गहराई को समझेंगे, और यह भी जानेंगे कि इस प्रकार के बयान का आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

धीरेंद्र शास्त्री का बयान

धीरेंद्र शास्त्री, जो कि एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक नेता हैं, ने कहा, “मैं सिर्फ हिन्दुओं की बात करूंगा।” उनके इस बयान ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय है कि हिन्दुओं को एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। उनका यह बयान खासकर उन मुद्दों पर केंद्रित था, जिनका हिन्दू समाज सामना कर रहा है। धीरेंद्र शास्त्री ने मुस्लिमों और अन्य धर्मों की तुलना में हिन्दुओं के मुद्दों को प्राथमिकता देने की बात की।

खास बातें

धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी बातों में यह भी सत्यापित किया कि जब तक हिन्दू एकजुट नहीं होंगे, तब तक उनकी संस्कृति और पहचान को खतरा बना रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दू धर्म केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है जो पूरी तरह से स्वतंत्रता के लिए खड़ी रह सकती है। उनकी वक्तव्य का उद्देश्य हिन्दू समुदाय में एकजुटता और स्वाभिमान लाना है।

समाज पर प्रभाव

धीरेंद्र शास्त्री की इस प्रकार की बातें जहाँ कुछ लोगों को प्रेरित कर सकती हैं, वहीं दूसरी ओर, अन्य धर्मों के लोगों में असुरक्षा का अनुभव हो सकता है। ऐसे बयानों से भारत की विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के बीच संवाद और सहयोग को चुनौती मिल सकती है।

निष्कर्ष

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान सामने आया है कि हिन्दू समुदाय को एकजुट करना आवश्यक है। जबकि यह एक विचारधारा और पहचान के लिए खड़ा होता है, यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि एक बहुलवादी समाज में सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। यदि हम एक संतुलित दृष्टिकोण नहीं अपनाते, तो इससे केवल विभाजन बढ़ सकता है। हमें चाहिए कि हम एकता में ही शक्ति देखें और हर धर्म और समुदाय का सम्मान करें।

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