राम रहीम को फिर मिली पैरोल, हनीप्रीत खुद गाड़ी लेकर जेल से लेने पहुंचीं

सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को फिर पैरोल मिल गई है।

Jan 28, 2025 - 08:37
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राम रहीम को फिर मिली पैरोल, हनीप्रीत खुद गाड़ी लेकर जेल से लेने पहुंचीं
सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को फिर पैरोल मिल गई है।

राम रहीम को फिर मिली पैरोल, हनीप्रीत खुद गाड़ी लेकर जेल से लेने पहुंचीं

नेता नगरी - डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह को एक बार फिर पैरोल मिल गई है। इस बार उनकी बेटी हनीप्रीत ने खुद गाड़ी लेकर उन्हें जेल से लेने पहुंचीं। यह मामला तेजी से चर्चा में आया है, और इससे जुड़ी कई जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं।

राम रहीम की पैरोल का विवरण

राम रहीम को हरियाणा की सरकार द्वारा 40 दिवसीय पैरोल दी गई है। यह पैरोल उनकी मांग पर दी गई है, जबकि वह रोहतक के सुनारिया जेल में बंद थे। उनका यह पैरोल कई सवाल भी खड़े कर रहा है, खासकर सरकार की नीतियों और प्रबंधन को लेकर। पहले भी राम रहीम को पैरोल मिलती रही हैं, जो विभिन्न विवादों का कारण बन चुकी हैं।

हनीप्रीत का जेल से लेने आना

हनीप्रीत ने खुद गाड़ी लेकर अपने पिता को लेने जेल पहुंची। यह दृश्य न केवल भावनात्मक था, बल्कि इसे लेकर कई लोगों की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिलीं। हनीप्रीत ने राम रहीम से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत की और उनके चेलों ने भी उनका स्वागत किया। इस मौके पर हनीप्रीत ने कहा कि उनके पिता का स्वास्थ्य ठीक है और वे समाज के लिए काम करने के लिए तैयार हैं।

सामाजिक प्रतिक्रियाएं

राम रहीम की पैरोल पर सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया है, जबकि अन्य इसे राजनीतिक खेल करार दे रहे हैं। ऐसे समय में जब देश की न्याय व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, यह मामला और अधिक गंभीरता से देखे जाने की आवश्यकता है।

राम रहीम के केस का इतिहास

साल 2017 में राम रहीम को बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराया गया था और उन्हें 20 साल की सजा सुनाई गई थी। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे हैं, और उनके अनुयायियों ने भी विवादास्पद गतिविधियों में भाग लिया है। इन सभी घटनाओं ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को एक विवादास्पद शख्सियत बना दिया है।

निष्कर्ष

राम रहीम की पैरोल एक बार फिर से सवाल उठाने वाली विषय बन गई है। क्या यह राजनीतिक दबाव है या एक पितृ संबंध की कहानी? अभी ये स्पष्ट नहीं है, लेकिन समाज को देखना होगा कि यह किस दिशा में आगे बढ़ेगा। जब तक राम रहीम समाज के लिए उपयोगी नहीं होते, तब तक उनकी गतिविधियों पर नज़र रखना आवश्यक है। यह कहना असंभव है कि क्या और कब बदलाव आएगा।

इस प्रकार, राम रहीम के पैरोल का मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अधिक अपडेट के लिए, विजिट करें netaanagari.com.

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