रंग लगवाने से मना करने पर छात्र हंसराज की हत्या, लाइब्रेरी में बेल्टों से पीटा
Dausa News: राजस्थान के दौसा जिले में होली के नाम पर एक युवक की जान ले ली गई. यहां एक 25 साल के युवक को इसलिए पीट-पीटकर मार डाला गया, क्योंकि उसने होली का रंग लगवाने से मना कर दिया था. इस खौफनाक वारदात को तीन लोगों ने अंजाम दिया है. वारदात बुधवार (12 मार्च) शाम को दौसा के रलवास गांव में हुई. यहां लाइब्रेरी में बैठकर 25 वर्षीय हंसराज एग्जाम की तैयारी कर रहा था. तभी तीन लोग अशोक, बबलू और कालूराम जबरन उसे रंग लगाने के लिए पहुंच गए. हंसराज ने जब रंग लगवाने से मना किया तो, तीनों आरोपियों ने उसे गिराकर लातों और बेल्ट से बेरहमी से मारा. बेल्टों से पीटने के बाद दबाया गलान्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बेरहमी से पीटने के बाद तीनों आरोपियों में से एक ने हंसराज की गला घोंटकर हत्या कर दी. एएसपी दिनेश अग्रवाल बताया कि हत्या मामले की जांच में अब तक यह जानकारी सामने आई है. हंसराज के परिवार ने सरकार के सामने रखीं तीन मांगेंमृतक हंसराज के आक्रोशित परिवार और गांव वालों ने उसका शव रखकर प्रदर्शन किया. बुधवार की देर रात एक बजे तक प्रदर्शन करते हुए नेशनल हाईवे जाम कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने 50 लाख रुपये सहायता राशि की मांग की है. इसके अलावा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आरोपियों की गिरफ्तारी की भी मांग की है. पुलिस द्वारा आश्वासन मिलने के बाद हंसराज के शव का अंतिम संस्कार किया गया. यह भी पढ़ें: Rajasthan: टीकाराम जूली का राजस्थान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पर तंज, 'इन्हें उर्दू शब्द से तो इतनी चिढ़ है कि...'

रंग लगवाने से मना करने पर छात्र हंसराज की हत्या, लाइब्रेरी में बेल्टों से पीटा
Netaa Nagari
लेखक: साक्षी शर्मा, टीम नेता नगरी
परिचय
हाल ही में, एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। एक छात्र, हंसराज, जो रंग लगवाने से मना कर रहा था, उसे लाइब्रेरी में बुरी तरह से पीटा गया और यह घटना उसकी हत्या का कारण बन गई। इस लेख में, हम इस घटना के पीछे के कारण, शैक्षणिक माहौल और बढ़ती हिंसा पर एक नजर डालेंगे।
घटना का विवरण
यह मामला हाल ही में एक कॉलेज में सामने आया, जहाँ छात्रों के बीच रंग लगवाने को लेकर विवाद हुआ। हंसराज ने अपने सहपाठियों से कहा कि वह रंग नहीं लगवाना चाहता, जिसके बाद उस पर गुस्सा उतारा गया। आरोप है कि कुछ छात्रों ने उसे लाइब्रेरी में बुलाया और वहां उसे बेल्टों से बेरहमी से पीटा। यह न केवल हिंसा का एक गंभीर मामला है बल्कि यह एक ऐसी मानसिकता को दर्शाता है, जहां सहिष्णुता की कमी है।
शिक्षण संस्थानों में बढ़ती हिंसा
शिक्षण संस्थानों में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई जा रही है। छात्रों के बीच आपसी मतभेदों को हल करने के लिए संवाद की कमी के कारण ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता का अभाव है, जिससे छात्र अपने गुस्से और तनाव को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, छात्रों और समाज के विभिन्न वर्गों से तीखी प्रतिक्रियाएँ मिली हैं। कई संगठनों ने शिक्षा मंत्रालय से अपील की है कि वे इस विषय पर ठोस कदम उठाएँ। साथ ही, सोशल मीडिया पर भी इस घटना की चर्चा जोरों पर है। कई लोगों ने हैशटैग #JusticeForHansraj के तहत अपनी आवाज उठाई है।
अंत में
हंसराज की हत्या ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि हमें अपनी युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है। शैक्षणिक संस्थानों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों में सहिष्णुता और संवाद की संस्कृति को बढ़ावा दें। इसके बिना हम ऐसे ही न माने जाने वाली घटनाओं का सामना करते रहेंगे। हमें एकजुटता से आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसा दु:खद अनुभव पुनः न हो।
kam sabdo me kahein to यह लेख हंसराज की हत्या के संबंध में बढ़ती हिंसा और शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
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