गाजीपुर में आंगनवाड़ी भर्ती में घोटाला! खुद को गरीब बताकर सरकारी कर्मचारियों की रिश्तेदारों ने ली नौकरी
UP News: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की जांच में अब तक कुल 14 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं. इन सभी ने कम आय और गरीबी का झूठा प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी नौकरी हासिल की थी. इस जानकारी के सामने आने से हड़कंप मच गया है. सबसे चौंकाने वाला मामला मुख्य विकास अधिकारी (CDO) के निजी स्टेनो की बेटी का है, जिसने फर्जी कागजों के जरिए नौकरी हासिल की. जानकारी के अनुसार, मुख्य विकास अधिकारी (CDO) के निजी स्टेनो की बेटी पूजा ने अपने पति के सरकारी शिक्षक होने के बावजूद मात्र 42 हजार सालाना आय का प्रमाण पत्र लगाकर आंगनवाड़ी पद के लिए आवेदन किया और नियुक्ति भी पा ली. उनका चयन मनिहारी ब्लॉक के चौकड़ी गांव में हुआ था. जब मामला उजागर हुआ, तो विवादों से बचने के लिए उसने त्यागपत्र दे दिया. CDO की अध्यक्षता में हुई थी भर्ती प्रक्रियागाजीपुर में आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया की निगरानी खुद मुख्य विकास अधिकारी ने की थी. वे इस चयन समिति के अध्यक्ष भी थे. चयन प्रक्रिया के दौरान सैकड़ों आवेदन आए, जिनमें से कई में फर्जीवाड़ा सामने आया है. शिकायत के बाद विभाग ने जब दस्तावेजों की जांच शुरू की, तो 14 लोगों के फर्जी प्रमाण पत्रों का पता चला. कई अभ्यर्थियों ने अपने परिवार की वास्तविक आर्थिक स्थिति छिपाई. इनमें सरकारी शिक्षक, सेना के जवान, पुलिसकर्मी, ग्राम प्रधान, कोटेदार और अन्य प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार शामिल हैं. सभी ने खुद को गरीब दिखाकर आंगनवाड़ी पद हासिल करने की कोशिश की. इस मामले के सामने आने से हड़कंप मच गया है. फर्जी आय प्रमाण पत्रों के जरिए की गई इन नियुक्तियों में जिन लेखपालों ने प्रमाण पत्र जारी किए, उनकी भूमिका भी अब जांच के दायरे में है. सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही इन पर भी कार्रवाई हो सकती है. मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार वैश्य ने कहा, “जांच में जिन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं, उनकी नियुक्ति निरस्त की जाएगी. साथ ही जिन कर्मचारियों ने गलत प्रमाण पत्र जारी किए हैं, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी. किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी." उत्तर प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की भर्ती स्थानीय महिलाओं के लिए एक अहम अवसर माना जाता है. यह योजना खासकर गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को आर्थिक सहायता और समाज सेवा का मौका देती है. लेकिन, यदि इसमें फर्जीवाड़ा होता है, तो इसका नुकसान उन महिलाओं को होता है जो वास्तव में इसके लिए पात्र होती हैं. गाजीपुर में सामने आए इस फर्जीवाड़े से यह साफ है कि पारदर्शिता के दावों के बावजूद अभी भी सरकारी भर्तियों में सुधार की सख्त जरूरत है. जनता की नजरें अब प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं. यूपी में बिजली का होने जा रहा है निजीकरण? अखिलेश यादव बोले- 'मोटा चंदा वसूलने की मंशा'

गाजीपुर में आंगनवाड़ी भर्ती में घोटाला! खुद को गरीब बताकर सरकारी कर्मचारियों की रिश्तेदारों ने ली नौकरी
Tagline: Netaa Nagari
लेखिका: साक्षी वर्मा, शालू राखी, टीम नेतागनरी
परिचय
गाजीपुर में आंगनवाड़ी सेविकाओं की भर्ती में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला सामने आया है। सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों ने खुद को गरीब बताकर इस अवसर का लाभ उठाया, जिससे यह प्रश्न उठता है कि क्या हमारा सरकारी तंत्र इतने बड़े घोटाले को रोकने में सक्षम है? इस घटनाक्रम ने न केवल स्थानीय लोगों में रोष पैदा किया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया है कि क्या अवसरों का फायदा उठाने वाले इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।
घोटाले का खुलासा
यह घोटाला तब प्रकाश में आया जब कुछ अभ्यर्थियों ने चयन प्रक्रिया में गड़बड़ियों की शिकायत की। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कई ऐसे लोग जिन्हें चयनित किया गया, वे वास्तव में गरीब नहीं थे, बल्कि सरकारी कर्मचारियों की रिश्तेदारियाँ थीं। इन लोगों ने दस्तावेज तैयार कर खुद को गरीब बताने का प्रयास किया।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने इस मामले पर विरोध प्रदर्शन भी किया। लोग यह मांग कर रहे हैं कि भर्ती प्रकिया की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। एक स्थानीय निवासी, रामकृष्ण ने कहा, "यदि हमारे बच्चों को सरकारी नौकरी से वंचित किया जा रहा है, तो यह बहुत अन्याय है।"
सरकारी कार्रवाई
इस मामले पर अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई ठोस बयान जारी नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला विकास अधिकारी ने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह केवल एक आश्वासन है?
भविष्य की चुनौतियाँ
झरोखे से देखने पर यह स्पष्ट है कि आंगनवाड़ी सेविकाओं की भर्ती में घोटाले का यह मामला केवल एक बिंदु है। भविष्य में ऐसे अदृश्य घोटाले को रोकने के लिए जरूरी है कि सरकारी तंत्र को अधिक सख्त और पारदर्शी बनाया जाए। इसके अलावा, समाज में जागरूकता बढ़ाना भी आवश्यक है ताकि लोग इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकें।
निष्कर्ष
गाजीपुर में आंगनवाड़ी भर्ती में हुए इस घोटाले ने स्पष्ट कर दिया है कि हमारी नीतियों में क्षेत्रीय स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। क्या समय आ गया है कि हम सरकारी तंत्र में इन खामियों को दूर करने के लिए कदम उठाएं? केवल तभी हम एक पारदर्शी और जिम्मेदार सरकारी प्रणाली की स्थापना कर सकते हैं।
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