'बॉर्डर पर रहने वाले लोग बिना हथियार के सिपाही हैं', जम्मू में बंकरों की सफाई में जुटी महिलाएं

Pahalgam Terror Attack: भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद तनातनी का असर आप बॉर्डर पर भी दिख रहा है. जम्मू में बॉर्डर पर अब लोग बंकर साफ कर रहे हैं ताकि किसी आपातकालीन स्थिति में गोलीबारी से बचा जा सके.  पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी का असर भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी देखा जा रहा है. जम्मू में भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आरएसपुरा सेक्टर में पाकिस्तान सीमा से सटे आखिरी गांव त्रैवा में लोग बंकरों की सफाई में जुड़ गए हैं. इस गांव में सरकार द्वारा सार्वजनिक बंकर और निजी बंकर बनाए गए हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बिगड़े रिश्तों के बीच इस गांव के लोग आप यह बंकर साफ करने में लगे हैं. लोग अपना घर का काम निपटाना के बाद वह गांव के सभी बंकर साफ किया जा रहे हैं.  त्रैवा गांव की सरपंच बलबीर कौर के मुताबिक पुलवामा हमले की तस्वीर कोई भी हिंदुस्तानी भूल नहीं सकता. उनके मुताबिक इस हमले के बाद पूरे गांव में गुस्सा है और गांव के लोग भी अब सरकार के साथ खड़े हैं ताकि पाकिस्तान से बदला लिया जा सके.  उनके मुताबिक जैसे ही भारत ने पाकिस्तान पर प्रतिबद्ध लगाएं और दोनों देशों में तनातनी बढ़ गई के बीच गांव में खुशी का माहौल है. उनके मुताबिक जहां महिलाएं गांव के सभी बंकर साफ कर रही हैं, वही गांव के पुरुष फसल काटने में लगे हैं ताकि जल्द से जल्द दोनों का निपटा है जा सके. बकौल बलवीर कौर इस गांव के लोगों को हालातों से डर नहीं लगता. उन्होंने बताया कि बॉर्डर पर रहने वाले लोग बिना हथियार के सिपाही हैं और अगर यही डर गए तो सरकार के हाथ मजबूत कैसे होंगे. उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में गांव के लोगों का यह फर्ज बनता है कि वह सरकार के साथ खड़े रहे और इसी के चलते गांव के सभी बंकर साफ किया जा रहे हैं. वहीं त्रैवा गांव की तरीका का कहना है कि उन्होंने घर के सारे काम निपटाए हैं और अब वह अन्य महिलाओं के साथ बंकरों की सफाई में जुटी है. उनके मुताबिक पाकिस्तान जैसे पड़ोसी से न केवल वह बल्कि पूरा गांव तंग आ गया है और अब वक्त आ गया है जब पाकिस्तान को उसके किए की सजा दे दी जानी चाहिए.  त्रैवा गांव के लोगों के मुताबिक इस गांव की अधिकतर बंकर साफ कर लिए गए हैं और बचे कुछ बंकरों को आने वाले कुछ दिनों में साफ कर लिया जाएगा. इसे भी पढ़ें: उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के इस कदम पर उठाए सवाल, कहा- 'पहलगाम आतंकी हमले की...'

Apr 26, 2025 - 21:37
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'बॉर्डर पर रहने वाले लोग बिना हथियार के सिपाही हैं', जम्मू में बंकरों की सफाई में जुटी महिलाएं
'बॉर्डर पर रहने वाले लोग बिना हथियार के सिपाही हैं', जम्मू में बंकरों की सफाई में जुटी महिलाएं

‘बॉर्डर पर रहने वाले लोग बिना हथियार के सिपाही हैं’, जम्मू में बंकरों की सफाई में जुटी महिलाएं

लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

जम्मू-कश्मीर की महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे केवल घर की देखभाल ही नहीं करतीं, बल्कि देश की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हाल ही में, सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं बंकरों की सफाई में जुट गई हैं। इस कार्य से ना सिर्फ उनके घरों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि यह क्षेत्र की सामूहिक सुरक्षा का एक अहम हिस्सा भी बनता है।

महिलाओं की मेहनत

जम्मू में, जंगली जीव-जंतु और कठिन मौसम दोनों के बावजूद, ये महिलाएं दिन-रात काम कर रही हैं। बंकरों की सफाई से उनका उद्देश्य है कि उनके परिवारों को सुरक्षित रखा जा सके। महिलाएं न केवल अपने परिवारों के साथ, बल्कि अपने समुदाय के साथ भी मिलकर काम कर रही हैं। इन्हें ‘बिना हथियार के सिपाही’ कहा जा सकता है। ये महिलाएं अपनी जान की परवाह किए बिना न केवल अपने बंकरों को साफ कर रही हैं बल्कि सामुदायिक जागरूकता अभियान भी चला रही हैं।

सुरक्षा और आजीविका

इस अभियान के माध्यम से महिलाओं को न केवल अपने बंकरों को सुरक्षित रखने का अवसर मिला है, बल्कि इससे उनकी आजीविका में भी सुधार हुआ है। कई महिलाएँ बंकरों की सफाई के साथ-साथ अनाज और फसल की खेती में भी जुटी हैं। इससे न केवल परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, बल्कि यह उन्हें समाज में एक नई पहचान भी दिला रहा है।

संवेदनशीलता और एकता का प्रतीक

इन महिलाओं का यह अभियान न केवल अपनी सुरक्षा के लिए है, बल्कि यह अपने समुदाय के प्रति एकजुटता का प्रतीक भी है। जम्मू क्षेत्र के ये बंकर सिर्फ शारीरिक सुरक्षा का स्थान नहीं हैं, बल्कि यहां पर रहने वाले लोगों की विभिन्न भावनाओं का संगम हैं। महिलाएं यह समझती हैं कि एकजुटता में ताकत है।

निष्कर्ष

जम्मू में बंकरों की सफाई में जुटी महिलाएं केवल एक अभियान का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे सीमाओं की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने वाली सिपाही हैं। उनकी मेहनत और समर्पण हमें यह सिखाता है कि सच्चे योद्धा वे होते हैं जो न केवल हथियारों से, बल्कि अपने कार्यों और लगातार प्रयास से अपने देश की रक्षा करते हैं। महिलाओं की इस ताकत को पहचानना और सम्मान देना हमारी जिम्मेदारी है।

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