बिहार में विधायक को मारने की साजिश? आवास के बाहर लगे नेम प्लेट बोर्ड को तोड़ा, शंकर सिंह ने मांगी CM से सुरक्षा

Bihar News: पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक शंकर सिंह (MLA Shankar Singh) के पटना स्थित सरकारी आवास के बाहर लगे नेम प्लेट बोर्ड को गुरुवार (27 फरवरी) की रात को किसी ने तोड़ दिया. विधायक ने इसका सीधा-सीधा आरोप अपने विपक्षी प्रतिद्वंदियों पर लगाया है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें आशंका है कि बीमा भारती (Bima Bharti) और गोपालपुर विधानसभा से जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल (Gopal Mandal) ने इस तरह का कारनामा किया है. शंकर सिंह ने कहा कि उन्हें मारने की साजिश रची जा रही है.   निर्दलीय विधायक ने कहा कि जिस दिन नेम प्लेट बोर्ड लगाया जा रहा था उस दिन गोपाल मंडल बीमा भारती के घर गए थे. बोर्ड लगाने वाले से गोपालपुर विधायक ने पूछताछ की थी. शंकर सिंह ने कहा है कि जब हम बाहर निकले हुए थे तो इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया है. हम लोग किसी से डरने वाले नहीं हैं. अगर आमने-सामने लड़े तो औकात दिखा देंगे. 'यह सब विधायक लायक नहीं है' जेडीयू विधायक गोपाल मंडल पर हमला बोलते हुए निर्दलीय विधायक शंकर सिंह ने कहा, "ये लोग कुकुरमुत्ता है. सत्ता में है लेकिन यह सब विधायक लायक नहीं है. गोपाल मंडल तो हमेशा विवादों में रहते हैं. जातिवाद करते हैं. कई बार जातिसूचक गालियां भी देते हैं." उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से गोपाल मंडल को पार्टी से निष्कासित करने का आग्रह किया.  विधायक शंकर सिंह ने गोपाल मंडल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे कई बार सरकारी अधिकारियों, अफसरों के साथ मारपीट कर चुके हैं. डॉक्टर के साथ मारपीट की है, ट्रेन में नंगे घूमते की घटना आई है, इन सब को देखते हुए तो मुख्यमंत्री उन्हें तुरंत निष्कासित करें.  'मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात' गोपाल मंडल से क्यों विवाद है इस पर शंकर सिंह ने कहा कि बीमा भारती और गोपाल मंडल दोनों रिश्तेदार हैं. बीमा भारती के कारण गोपाल मंडल हम पर अदावत करता है. उन्होंने कहा बताया है कि शुक्रवार (28 फरवरी) को हम थाने में लिखित आवेदन देंगे. मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे कि हमारे आवास पर हमला किया गया है. उन्होंने सीएम से सुरक्षा मांगी है. बता दें कि रुपौली विधानसभा से पूर्व में विधायक रहीं बीमा भारती जेडीयू को छोड़कर आरजेडी में शामिल हुई थीं. उन्होंने पूर्णिया से 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गई थीं. इसके बाद रुपौली सीट से बीमा भारती ने उपचुनाव लड़ा, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी. शंकर सिंह इलाके में बाहुबली के रूप में जाने जाते हैं. वे पहले भी विधायक रह चुके हैं. यह भी पढ़ें: Watch: 'नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री', तेजस्वी यादव बोले- 'बीजेपी JDU को खा जाएगी'

Feb 28, 2025 - 10:37
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बिहार में विधायक को मारने की साजिश? आवास के बाहर लगे नेम प्लेट बोर्ड को तोड़ा, शंकर सिंह ने मांगी CM से सुरक्षा
बिहार में विधायक को मारने की साजिश? आवास के बाहर लगे नेम प्लेट बोर्ड को तोड़ा, शंकर सिंह ने मांगी CM से सुरक्षा

बिहार में विधायक को मारने की साजिश? आवास के बाहर लगे नेम प्लेट बोर्ड को तोड़ा, शंकर सिंह ने मांगी CM से सुरक्षा

लेखिका: सविता शर्मा, टीम नेता नगरी

बिहार की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है, जहां विधायक शंकर सिंह ने मुख्यमंत्री से सुरक्षा की मांग की है। हाल ही में उनके आवास के बाहर लगे नाम प्लेट बोर्ड को तोड़ने की घटना ने सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

घटना का विवरण

शंकर सिंह, जो कि स्थानीय निवासियों के बीच काफी लोकप्रिय विधायक माने जाते हैं, ने अपने आवास के बाहर लगे नेम प्लेट बोर्ड को बर्बाद होते देखा। यह घटना केवल एक नेम प्लेट के तोड़ने तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसे विधायक के प्रति बढ़ती असुरक्षा का प्रतीक भी माना जा रहा है।

सुरक्षा की मांग

इस घटना के बाद शंकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तत्काल सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने चिंता जताई कि उनकी जान को खतरा हो सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी उचित कार्रवाई की अपेक्षा की है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोग इस घटना को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह राजनैतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकता है। इस साजिश ने आम जनता के बीच विधायक की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय नेताओं ने इस मामले की जांच की मांग की है।

क्या है असल वजह?

हालाँकि, यह पता लगाना जरूरी होगा कि इस साजिश की असल वजह क्या है। क्या यह किसी व्यक्तिगत दुश्मनी का परिणाम है या फिर राजनीतिक प्रतिशोध? फिलहाल, इस मामले में जांच जारी है और प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखने का आश्वासन दिया है।

निष्कर्ष

यह घटना बिहार की राजनीति को एक बार फिर से गर्मा रही है। विधायक शंकर सिंह की सुरक्षा को लेकर की गई मांग इस बात का संकेत है कि राजनीतिक असुरक्षा की एक नई लहर आ रही है। इस स्थिति को नियंत्रण में लाना और स्थानिय नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।

हालांकि, स्थानीय लोगों में भी इस स्थिति को लेकर उथल-पुथल है। क्या प्रशासन इस मामले में सक्षम होगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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