कांग्रेस की रैली से पहले एमपी में सियासत तेज, CM मोहन बोले- 'वे आंबेडकर के साथ अपनी दुश्मनी नहीं भूले'
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के महू में कांग्रेस की प्रस्तावित 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' रैली से पहले मुख्यमंत्री मोहन यादव और विपक्षी दल ने शनिवार को डॉक्टर बीआर आंबेडकर को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साधा. विपक्षी दल ने कहा है कि उसका अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्रीय मंत्री अमित शाह आंबेडकर का अपमान करने के लिए माफी नहीं मांगते और इस्तीफा नहीं देते. जबकि मोहन यादव ने मांग की कि कांग्रेस बीआर आंबेडकर का अनादर करने के लिए माफी मांगे. विपक्षी दल ने दावा किया कि उसके कार्यक्रम को पटरी से उतारने के लिए बाधाएं खड़ी की जा रही हैं, जिसमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी समेत अन्य नेता शामिल होने वाले हैं. ग्वालियर में भारतीय जनता पार्टी के 'संविधान गौरव अभियान' में मोहन यादव ने कहा, "गांधी परिवार की चार पीढ़ियां गुजर गईं, लेकिन वे आंबेडकर के साथ अपनी दुश्मनी नहीं भूले हैं." मोहन यादव ने किया ये दावामोहन यादव ने कहा कि डॉ. आंबेडकर को योग्यता और क्षमता के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई और संविधान में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को शामिल करके उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई. मुख्यमंत्री ने कहा, "जवाहरलाल नेहरू जी को डर था कि उनसे ज्यादा काबिल कोई व्यक्ति आगे निकल सकता है. कल्पना कीजिए कि अगर आंबेडकर जी आगे बढ़ते तो क्या होता. यह यात्रा निकालने के बजाय कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए क्योंकि आंबेडकर जी की आत्मा उनके (राहुल गांधी के) परदादा नेहरू जी की वजह से आहत हुई थी." उन्होंने कहा कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने आंबेडकर के लिए कुछ नहीं किया. इसके विपरीत बीजेपी ने हमेशा आंबेडकर के योगदान का सम्मान किया. आंबेडकर ने अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन नेहरू ने यह सुनिश्चित करने के लिए बाधाएं खड़ी कीं कि वह लोकसभा न पहुंचें. मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर संविधान का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया और कहा कि जब एक अदालत ने कांग्रेस की प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) को अयोग्य घोषित कर दिया, तो देश में आपातकाल लगा दिया गया. कांग्रेस नेता ने किया पलटवारमध्य प्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह ने महू में मीडिया से कहा कि राज्य की बीजेपी नीत सरकार पार्टी की 27 जनवरी की "मेगा रैली" के रास्ते में बाधाएं पैदा कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह को डॉ. आंबेडकर पर अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए. बता दें पिछले साल संसद सत्र के दौरान आंबेडकर पर शाह की टिप्पणी के बाद से कांग्रेस केंद्रीय गृह मंत्री पर निशाना साध रही है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब लोकसभा में सांसदों को निलंबित किया गया और राहुल गांधी की संसद सदस्यता छीन ली गई, तब बीजेपी को संविधान की याद नहीं आई. उन्होंने कहा कि हालांकि, 400 सीट पार करने का नारा देने वाली बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मात्र 240 सीट मिलने के बाद ही संविधान की ताकत का एहसास हुआ. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने बहुत कम समय में इस आयोजन के लिए भव्य तैयारियां की हैं, जिससे बीजेपी हताश है. कांग्रेस नेता ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि बीजेपी इस आयोजन को विफल करने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है. इसके बावजूद, लाखों कांग्रेसी और डॉ. आंबेडकर के अनुयायी संविधान की रक्षा के लिए 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' रैली में उनकी जन्मस्थली महू में एकत्र होंगे. ये भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में बार फिर बदला मौसम, कल हो रही थी गर्मी, आज तापमान में 5 डिग्री की गिरावट

कांग्रेस की रैली से पहले एमपी में सियासत तेज, CM मोहन बोले- 'वे आंबेडकर के साथ अपनी दुश्मनी नहीं भूले'
लेखिका: सुमित्रा शर्मा, टीम नेटानगरी
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की आगामी रैली से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री मोहन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि पार्टी नेता आंबेडकर के प्रति अपनी दुश्मनी को नहीं भूले हैं। यह बयान तब आया है जब कांग्रेस ने अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने के लिए सभी दलों को कड़ी टक्कर देने का निर्णय किया है।
Political Background
मध्यप्रदेश की राजनीति में अबकी बार की कांग्रेस रैली के अर्थ शाब्दिक रूप में व्यापक हैं। यह रैली एक ऐसे समय में हो रही है जब विधानसभा चुनावों में केवल कुछ महीने बचे हैं। कांग्रेस नेता इस रैली को अपनी ताकत दिखाने का एक बड़ा मंच मान रहे हैं। CM मोहन का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच की खाई अभी भी गहरी है।
सीएम मोहन के बयान का विश्लेषण
सीएम मोहन का कहना है कि कांग्रेस नेताओं को आंबेडकर के योगदान और उनके विचारों को समझने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने हमेशा आंबेडकर के साथ दुश्मनी रखी है, और अब जब चुनाव करीब हैं, तो उनकी बातें सिर्फ़ दिखावा हैं।" यह बयान स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि बीजेपी आंबेडकर के विचारों को लेकर कितना गंभीर है।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने इस रैली में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का निर्णय लिया है। पार्टी का उद्देश्य है कि वे जनता के बीच अपनी पहुंच बढ़ाएं और चुनावी रणनीतियों को मजबूती दें। कांग्रेस नेता मानते हैं कि आंबेडकर के विचारों के साथ जुड़े मुद्दे अब भी सामयिक हैं और पार्टी इन्हें अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाएगी।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस सियासी हलचल का न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक प्रभाव भी पड़ सकता है। मोहन के बयान ने एक बार फिर आंबेडकर के विचारों और उनके प्रति समाज की सोच को दर्शाया है। कांग्रेस ने भी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि वे इस संवेदनशील मुद्दे को सही तरीके से उठाएं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, एमपी में सियासत के इस नए मोड़ ने चुनावी माहौल को और भी रोमांचक बना दिया है। सीएम मोहन का बयान और कांग्रेस की तैयारियों से जाहिर होता है कि इस बार चुनावी रणक्षेत्र में सभी दल अपनी पूरी ताकत के साथ उतरने वाले हैं। इसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में यह राजनीति और भी गहराने वाली है।
फिर से याद दिलाते चलें कि कांग्रेस की रैली मध्यप्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। इस पर और अपडेट्स के लिए, विजिट करें netaanagari.com।
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