दिल्ली चुनाव में 24 सीटों पर कम अंतर से हुई हार-जीत, कांग्रेस और AIMIM ने खराब किया AAP का प्लान? समझें
Delhi Election Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को बीजेपी ने बड़ा झटका दिया. हालांकि कई ऐसी सीटें हैं, जहां हार और जीत का अंतर काफी कम रहा. 70 में से 24 सीटें ऐसी हैं, जहां 10 हजार से कम वोटों से फैसला हुआ. 2020 में ऐसी सीटों की संख्या 17 थी. हार जीत में वोटों के अंतर कम होने की बड़ी वजह कांग्रेस के वोटों में दो फीसदी की बढ़ोतरी, दलबदलू उम्मीदवार और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की तरफ से उतारे गए कैंडिडेट्स रहे. संगम विहार और त्रिलोकपुरी में 500 से कम वोटों से जीत का अंतर तय हुआ. 2020 के चुनाव में इतने कम अंतर वाली कोई सीट नहीं थी. पिछली बार की तरह एक विधानसभा क्षेत्र जंगपुरा में 500 से 1000 के बीच जीत का अंतर रहा. 10 हजार से कम वोटों के अंतर से तय की गई 24 सीटों में से बीजेपी ने 16 और AAP ने आठ सीटें जीतीं. 2020 में आप ने ऐसी 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी. चार सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. 500 से कम वोटों से यहां हुई हार जीतसंगम विहार में जीत हार का अंतर मात्र 344 वोट का रहा. वहीं त्रिलोकपुरी में 392 वोटों से हार जीत हुई. जंगपुरा में 675 वोट से बीजेपी के उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह ने मनीष सिसोदिया को हराया. संगम विहार में बीजेपी के चंदन कुमार चौधरी को 344 वोटों से जीत मिली. उन्होंने आप के दिनेश मोहनिया को हराया. त्रिलोकपुरी में बीजेपी के रवि कांत ने 392 वोटों से आप की अंजना प्राचा को हराया. किन सीटों पर 1000 से 5000 के बीच रहा हार जीत का अंतर? तिमारपुर में 1168 वोट, पटेल नगर में 4049 वोट, दिल्ली कैंट में 2029 वोट, राजेंद्र नगर में 1231 वोट, नई दिल्ली में 4089 वोट, मालवीय नगर में 2131 वोट, महरौली में 1782 वोट, अंबेडकर नगर में 4230 वोट, ग्रेटर कैलाश में 3188 वोट और कालकाजी में 3521 वोट से फैसला हुआ. 5 हजार से 10 हजार के बीच इन सीटों पर हुई हार जीतनरेला में 8596, मंगोलपुरी में 6255, सदर बाजार में 6307, करोलबाग में 7430, हरीनगर में 6632, विकासपुरी में 9915, द्वारका में 7829, पालम में 8952, छतरपुर में 6239, कोंडली में 6293 और गोकुलपुर में 8207 वोट से हार-जीत हुई. आप का प्लान फेलआम आदमी पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए 20 से अधिक विधायकों का टिकट काट दिया था. हालांकि ये रणनीति उसकी फेल रही. बीजेपी ने उन 17 विधानसभा क्षेत्रों में से 15 सीटों पर जीत दर्ज की, जहां से आप ने मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया था और नए चेहरों पर दांव लगाया. हालांकि, AAP ने किरारी और बदरपुर में बीजेपी को हरा दिया. किरारी में AAP ने बीजेपी से आए नेता को टिकट दिया था और उन्होंने 21,871 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. कांग्रेस ने करीब 15 सीटों पर आप का खेल खराब किया. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का प्रभाव ओखला और मुस्तफाबाद के मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में काफी रहा. AIMIM ने जेल में बंद शिफा उर रहमान खान (ओखला) और ताहिर हुसैन (मुस्तफाबाद) को मैदान में उतारा था. मुस्तफाबाद में मुस्लिम वोट विभाजित हो गए और बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने 17,578 वोटों से जीत दर्ज की. AAP नेओखला सीट बरकरार रखी. यहां मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह खान की जीत का अंतर 71,827 से घटकर 23,639 मतों पर आ गया. दोनों सीटों पर कांग्रेस चौथे स्थान पर खिसक गई और AIMIM उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे. AAP विधायक अमानतुल्लाह खान पर FIR, घर पर मौजूद नहीं, ट्रेस कर रही पुलिस, क्या है मामला?

दिल्ली चुनाव में 24 सीटों पर कम अंतर से हुई हार-जीत, कांग्रेस और AIMIM ने खराब किया AAP का प्लान? समझें
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेता नगरी
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2023 में 24 सीटों पर परिणाम बेहद सनसनीखेज रहे। इस बार की हार-जीत के अंतर को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है। जहां एक ओर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सत्ता में वापस आने का दावा किया, वहीं कांग्रेस और AIMIM ने उनकी योजनाओं को कमजोर कर दिया है। चलिए, इस मुद्दे की गहराई में जाते हैं और समझते हैं कि आखिरकार क्या हुआ।
चुनावी विश्लेषण: कड़े मुकाबले की ओर बढ़ते कदम
इस बार के चुनाव में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 24 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर बहुत कम था। इससे स्थिति यह बनी कि इन सीटों पर कोई भी पार्टी जीत हासिल करने में सफल नहीं हो पाई। AAP ने 2020 में रिकॉर्ड जीत हासिल की थी, जबकि इस बार उसे चुनौती मिली। कांग्रेस और AIMIM ने अप्रत्याशित रूप से कुछ सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और AAP के वोट बैंक को विभाजित किया।
कांग्रेस और AIMIM की भूमिका
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव में अपने प्रत्याशियों के माध्यम से AAP की योजनाओं को सबसे अधिक प्रभावित किया। पहले से ही कमज़ोर हो रही कांग्रेस ने कुछ सीटों पर अपना प्रभाव दिखाया, जिससे AAP को नुकसान हुआ। AIMIM ने दिल्ली में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की, जिससे एंटी-बीजेपी दृष्टिकोन को एकजुट करने में मदद मिली।
जनता की जागरूकता: क्या बदला चुनावी माहौल?
दिल्ली की जनता ने इस बार सवाल उठाए हैं। उन्हें चुनावी वादे व योजनाओं पर सुशासन की कमी नजर आ रही है। AAP की सीधी टक्कर में कांग्रेस और AIMIM ने एक विकल्प दिया, जिससे वोटरों ने सोच-समझकर मतदान किया। इस बार दिल्ली में चुनावी माहौल में तीखी दृष्टि नज़र आई, जो आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष: आगे की राह
दिल्ली चुनाव में सुबह के बाद शाम का रंग बदलते हुए दिखाई दे रहा है। आगामी चुनावों में AAP को अपनी योजनाओं को अधिक सतर्कता से क्रियान्वित करना होगा और जनता के विश्वास को पुनः प्राप्त करना होगा। कांग्रेस और AIMIM से मिली चुनौती को AAP को गंभीरता से लेना होगा, अन्यथा 2025 का चुनाव उनके लिए कठिनाई भरा हो सकता है।
कम शब्दों में कहें तो: दिल्ली चुनाव में AAP ने न केवल 24 सीटों पर हार-जीत का सामना किया, बल्कि कांग्रेस और AIMIM के बढ़ते प्रभाव ने उनकी योजनाओं को ध्वस्त किया।
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