'...तो इस्तीफा दे दूंगा', सरकारी अधिकारी रहे BJP विधायक ने लगाया 'नौकरी घोटाले' का आरोप तो बोल भूपेंद्र सिंह हुड्डा
Bhupinder Singh Hooda on Sunil Sangwan: दादरी से बीजेपी विधायक सुनील सांगवान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अपने परिवार वालों को सरकारी नौकरी देने का आरोप लगाया था. उन्होंने विधानसभा में खड़े होकर यह दावा किया था कि साल 2008 की इंस्पेक्टर भर्ती में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भतीजे, उनकी पत्नी आशा हुड्डा के भतीजे और पूर्व विधायक आनंद सिंह के भतीजे को नौकरी मिली थी. इन आरोपों को भूपेंद्र हुड्डा ने निराधार बताया है और कहा है कि उनका कोई भतीजा सरकारी नौकरी में नहीं है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, "मेरी पत्नी के दो भाई हैं और कोई भतीजा सरकारी नौकरी में नहीं है. हम पांच भाई हैं, किसी का भी बेटा सरकारी नौकरी में नहीं है." इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया कि अगर उनपर लगे ये आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे. पिता का जिक्र कर सुनील सांगवान ने हुड्डा पर लगाया आरोपइसके अलावा, सुनील सांगवान ने अपने पिता सतपाल सांगवान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "मेरे पिताजी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में मंत्री थे, वो भी एक गरीब वर्कर की पर्ची लेकर गए थे, लेकिन उस दौरान हुड्डा ने कहा कि कोई भाई या भतीजा है तो बताइए, ये नहीं होगा." सुनील सांगवान जब विधानसभा में ये आरोप लगा रहे थे, उस समय कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सदन में मौजूद नहीं थे. सांगवान के इन आरोपों पर सत्र में जमकर हंगामा हुआ. भूपेंद्र हुड्डा को जब यह बात पता चली, तो उन्होंने मीडिया के सामने आकर सुनील सांगवान के आरोपों का पलटवार किया. भूपेंद्र हुड्डा ने मजाक में दिया जवाबभूपेंद्र हुड्डा ने मजाक के लहजे में कहा, "अगर सदन में मैं होता और सुनील सांगवान ने यह बात मेरे सामने कही होती तो मैं कहता कि हां भाई सांगवान साहब पर्ची लेकर मेरे पास आए थे, लेकिन तेरे ट्रांसफर की लेकर आए थे." वहीं, सतपाल सांगवान के जिक्र पर भी भूपेंद्र हुड्डा ने सुनील सांगवान पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "सतपाल सांगवान अब हमारे साथ नहीं हैं, स्वर्ग में हैं. ऐसे झूठे आरोपों के बीच उनको भी घसीटना ठीक नहीं है. अपनी बात कहे कोई तो ठीक है, लेकिन जो दुनिया में ही नहीं है, उसका नाम लेना शोभनीय नहीं है." 'ऐसी बातें करना सही नहीं'इसके अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक ने बीजेपी विधायक के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि सुनील सांगवान पहली बार के विधायक हैं, उन्हें ऐसी सब बातें नहीं कहनी चाहिए. बिना आधार के कोई बात कहना गलत है.

...तो इस्तीफा दे दूंगा', सरकारी अधिकारी रहे BJP विधायक ने लगाया 'नौकरी घोटाले' का आरोप तो बोल भूपेंद्र सिंह हुड्डा
लेखिका: सिमा शर्मा, टीम नेता नागरी
हरियाणा की राजनीति में एक नया तूफान उठता नजर आ रहा है। हाल ही में सरकारी अधिकारी रहे बीजेपी विधायक ने 'नौकरी घोटाले' का आरोप लगाते हुए एक बड़ा खुलासा किया है। इस मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। ये घटनाएं न केवल राज्य की राजनीति को गर्मा रही हैं, बल्कि जनमानस में भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
आरोपों का बखान
बीजेपी विधायक का नाम किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उन्होंने स्पष्टता के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अगर उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया तो वह इस्तीफा देने का विचार कर सकते हैं। उनके आरोपों का केंद्र बिंदु है नौकरी घोटाले, जिसमें उन्होंने कई सरकारी अधिकारियों और नेता तक की संलिप्तता का हवाला दिया। इस पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह मामला लगाए गए आरोपों की गंभीरता पर निर्भर करता है, और इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रतिक्रिया
हुड्डा ने इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए कहा, "इस प्रकार के आरोप हमेशा राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा होते हैं। लेकिन अगर इसमें सच्चाई है, तो यह बेहद गंभीर है। मुझे उम्मीद है कि सरकार इस पर ध्यान देगी और जांच की जाएगी।" उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि वे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के आरोपों को गंभीरता से लेते हैं।
राजनीति में दबाव और परिणाम
इस पूरे घटनाक्रम ने हरियाणा में राजनीति के हलकों को झकझोर दिया है। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। लोगों की राय है कि यदि राजनीति में इन आरोपों की गहराई में जाकर जांच नहीं की जाती है, तो यह गंभीर परिणाम ला सकती है। जानकारी के अनुसार, भाजपा द्वारा इस मसले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
भविष्य में क्या होगा?
अगले कुछ दिनों में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए और साथ ही जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए सभी की निगाहें इस ओर रहेंगी। राजनीतिक विश्लेषक भी यह अनुमान लगा रहे हैं कि अगर इसमें कोई ठोस प्रमाण मिलते हैं, तो यह बीजेपी के लिए एक बड़ा चुनौती बन सकता है।
इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा की राजनीति में इस आरोप का क्या असर होगा और क्या कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे। उम्मीद है कि इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाएगी।
निष्कर्ष: इस बयान और आरोपों ने साफ कर दिया है कि हरियाणा की राजनीति में पारदर्शिता की जरूरत है। आने वाले समय में हमें इस मामले से जुड़ी कई और जानकारियों का सामना करना पड़ सकता है।
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