क्या जानबूझकर दिल्ली चुनाव में कांग्रेस कर रही सुस्त प्रचार? बड़े चेहरे गायब, जानें किसे होगा फायदा

Congress Election Campaign: दिल्ली में चुनाव प्रचार को मात्र दस दिन बचे हैं. एक तरफ बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं का धुंआधार प्रचार कर रहे हैं वहीं कांग्रेस के बड़े नेता मैदान से गायब हैं. ख़राब सेहत के चलते राहुल गांधी की तीन सभाएं रद्द हो चुकी हैं. प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने अब तक कोई सभा नहीं की है. कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारकों में से एक–दो को छोड़ दें तो कोई भी नेता प्रचार में नहीं उतरा है. राहुल गांधी ने अब तक केवल एक रैली सीलमपुर में की है. इसके अलावा वो मकर संक्रांति के दिन रिठाला में पूर्वांचलियों के बीच दही चूड़ा खाने पहुंचे थे. वहीं पर उन्होंने खुले नाले से होने वाली समस्या को लेकर केजरीवाल की पेरिस वाली दिल्ली पर तंज कसा. इसके कुछ दिन बाद राहुल एक शाम एम्स के बाहर सड़क पर रात गुजारने को मजबूर लोगों से मुलाकात की और बाद में इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और दिल्ली की सीएम आतिशी को पत्र लिखा था. इस हफ़्ते राहुल की सदर बाजार, मुस्तफाबाद और मादीपुर में तीन सभाएँ प्रस्तावित थी लेकिन राहुल कहीं नहीं पहुंचे. ‘पार्टी तय करेगी तोप में कारतूस कब डालना है’ राहुल गांधी की गैर मौजूदगी को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए तो कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि राहुल गांधी रणछोड़ नहीं रणबांकुरे हैं. उनकी तबीयत खराब है. हमारे स्टार प्रचारक मैदान में हैं. इमरान प्रतापगढ़ी, सचिन पायलट प्रचार कर रहे हैं. हम सब प्रचार कर रहे हैं. वहीं, प्रियंका गांधी को लेकर सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रियंका गांधी और खरगे बड़े नेता हैं. जब चुनाव जोर पकड़ेगा तब उनकी सभाएं होंगी. पार्टी तय करेगी कि तोप में कारतूस कब डालना है. बीजेपी अपनी चिंता करे, दिल्ली में 27 सालों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है. इमरान प्रतापगढ़ी की डिमांड ज्यादा कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के बाद पार्टी के स्टार प्रचारकों में सबसे ज्यादा मांग इमरान प्रतापगढ़ी और सचिन पायलट की है. इमरान की क़रीब 45 सीटों पर सभा की मांग है जबकि वो अब तक केवल तीन सभा कर पाए हैं. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के सक्रिय नेताओं की जगह दल बदलुओं को टिकट देने से विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी नाराज थे, बाद में उन्हें मनाया गया. बड़ी बात ये है कि बीते दो दिनों में जिन सभाओं में राहुल गांधी नहीं पहुंचे वहां इमरान प्रतापगढ़ी को भेज कर पार्टी ने नुक़सान की भरपाई की कोशिश की. तीसरी जगह सचिन पायलट की सभा है जिन्होंने अब तक मात्र एक प्रेस कांफ्रेंस की है. प्रचार को लेकर कांग्रेस का रुख समझ से परे बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने दो–तीन सभाएं की हैं. इन दोनों नेताओं के अलावा कांग्रेस के किसी स्टार प्रचारक के कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं है. आने वाले दिनों में गणतंत्र दिवस और उसके अगले दिन महू में आयोजित जय बापू, जय भीम रैली के करण 28 जनवरी से पहले कांग्रेस के बड़े चेहरों का प्रचार में उतरना मुश्किल नजर आ रहा है. 29 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे सीमापुरी में सभा करेंगे. आख़िरी दिनों में प्रियंका गांधी भी दो–तीन जगह प्रचार करती नजर आएंगी. कांग्रेस खेमे में निराशा दिल्ली के बीते दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस का खाता नहीं खुल रहा. इस बार पार्टी ने शुरू में ताकत झोंकने की कोशिश की लेकिन धीरे धीरे पार्टी का प्रचार अभियान पटरी से उतर गया. संदीप दीक्षित, देवेंद्र यादव, अनिल चौधरी, रोहित चौधरी जैसे कुछ उम्मीदवार तो मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन ज्यादातर उम्मीदवार जमानत बचाने में लगे हैं. इन उम्मीदवारों को बड़े नेताओं की सभाओं का इंतज़ार है जिनके अब तक मैदान में नहीं उतरने से कांग्रेस के खेमे में निराशा है जिसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. सवाल है कि क्या किसी सियासी मजबूरी में ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है? ये भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर क्या है विवाद? जानें क्यों हटाई गई पंजाब पुलिस की सिक्योरिटी

Jan 25, 2025 - 15:01
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क्या जानबूझकर दिल्ली चुनाव में कांग्रेस कर रही सुस्त प्रचार? बड़े चेहरे गायब, जानें किसे होगा फायदा
Congress Election Campaign: दिल्ली में चुनाव प्रचार को मात्र दस दिन बचे हैं. एक तरफ बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बड़े

क्या जानबूझकर दिल्ली चुनाव में कांग्रेस कर रही सुस्त प्रचार? बड़े चेहरे गायब, जानें किसे होगा फायदा

Netaa Nagari द्वारा रिपोर्ट: सपना शर्मा, रिया वर्मा, साक्षी जैन

दिल्ली में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो रही है। ऐसे में, कांग्रेस पार्टी की चुनावी रणनीति और इसके नेता इस बार चर्चा का विषय बन गए हैं। क्या कांग्रेस जानबूझकर सुस्त प्रचार कर रही है? क्या इसके बड़े चेहरे चुनाव के प्रचार से गायब हैं? आइए आगे जानते हैं किसी विशेष राजनीतिक दल को इसका क्या फायदा हो सकता है।

कांग्रेस की रणनीति: सुस्ती या योजना?

दिल्ली चुनाव एक बार फिर से कड़े मुकाबले की ओर बढ़ रहा है। लेकिन, कांग्रेस का प्रचार काफी सूस्त नजर आ रहा है। पार्टी के बड़े नेता, जैसे कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी, चुनावी रैलियों में अनुपस्थित रह रहे हैं। इससे समर्थकों में निराशा फैल रही है। कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक रणनीतिक चूक है, जबकि कुछ इसे जानबूझकर किया गया कदम मानते हैं।

क्या इससे होगा लाभ?

कई लोग इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि इससे भाजपा और आम आदमी पार्टी को फायदा हो सकता है। भाजपा ने अपने बड़े चेहरे, जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, को मैदान में उतार दिया है, जो कांग्रेस की तुलना में अधिक सक्रिय हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी भी चुनाव प्रचार में तेजी लाने के लिए अपने नेताओं को मैदान में उतार रही है। एसे में, कांग्रेस के सुस्त प्रचार का सीधा लाभ उनके प्रतिद्वंदियों को मिल सकता है।

समर्थकों की राय

कांग्रेस के समर्थक भी इस स्थिति से निराश हैं। उनका मानना है कि पार्टी को अपनी नीतियों और उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। कुछ का कहना है कि कांग्रेस को अपनी पुरानी रणनीतियों को छोड़कर नए तरीके अपनाने की आवश्यकता है, ताकि वे मतदाताओं को फिर से आकर्षित कर सकें।

क्या आगे चलकर बदलेगी स्थिति?

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर कांग्रेस अपनी स्थिति में सुधार नहीं करती है, तो इसका सार्वजनिक समर्थन और कम हो सकता है। हालाँकि, अभी भी समय है और पार्टी सही रणनीति अपनाकर स्थिति को पलट सकती है। उनके पास ऐसा कोई मास्टरस्ट्रोक हो सकता है, जो मतदाताओं के मन को जीत सकता है।

निष्कर्ष

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के प्रचार की सुस्ती एक रहस्य बनी हुई है। देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव लाकर मैदान में उतरेगी या आने वाले चुनावों में भाजपा और आम आदमी पार्टी पर निर्भर रहेगी। कुल मिलाकर, यह राजनीति का खेल है, जिसमें हमेशा संभावनाएं ज़िंदा रहती हैं। सभी को यह जानने की उत्सुकता है कि अगले क्षण में क्या होगा।

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