कुंभ में पहले भी हुए हादसे, सरकारें मौन रहीं:लोकसभा में नेता सदन सांगवान बोले- ये एक हादसा, प्रदेश सरकार ने अच्छा आयोजन किया
महाकुंभ में हादसे को लेकर लोकसभा में कई सदस्यों के योगी सरकार पर सवाल उठाए जाने पर रालोद के नेता सदन डॉ. राजकुमार सांगवान ने कहा कि ये एक हादसा है। सरकार ने त्वरित कदम उठाया। मुख्यमंत्री बार-बार महाकुंभ में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सन 1954 में कुंभ में हजारों लोगों की जान गई। सरकार ने लाशों को इकट्ठा करके जलवा दिया। पूरी घटना को छिपाने का काम किया। बागपत लोकसभा से सांसद ने लोकसभा में कहा कि मैं उत्तर प्रदेश से आता हूं। महाकुंभ की चर्चा कई सदस्यों ने की है। जो हादसा वहां पर हुआ उस पर दुख व्यक्त किया है। राष्ट्रपति ने भी दुख व्यक्त किया है और जिनकी जाने गई हैं, उनके प्रति शोक संवेदनाएं व्यक्त की गई हैं। जो घायल हुए हैं सरकार उनका उपचार करा रही है। मैं इसलिए यह चर्चा कर रहा हूं कि जो बातें कुछ सदस्यों ने रखी है, यह हादसा जब 1954 में कुंभ प्रयागराज में हुआ। इतनी बड़ी घटना वहां पर कुंभ में घटी। हजारों लोगों की जान चली गई और उस समय की सरकार ने पूरी घटना को छिपाने का काम किया। जो लाशें थी उनको इकट्ठा करके जलाने का काम किया था। जो सबसे बड़ा अशोभनीय काम था। 1989 में कुंभ में ऐसी घटना घटी। सैकड़ों लोगों की जान चली गई। 2013 में जिनकी सरकार थी, वहां भी जब यह कुंभ का मेला और श्रद्धालु वहां थे तब भी अनेकों लोगों की जान दुर्घटना में चली गई लेकिन सरकार ने जरा भी संवेदनाएं व्यक्त नहीं की थी। आज प्रदेश की सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरीके से महाकुंभ का आयोजन सफल पूर्वक संपन्न करा रहे हैं, रात दिन चिंता कर रहे हैं। वहां पर हर श्रद्धालु को स्नान करने का अवसर मिले। उनको रहने का खाने पीने का उनको आने जाने की सुविधा मिले हर प्रकार के प्रबंधन पर खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। आज उन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जो घटना घटी उसके लिए सरकार ने जांच आयोग गठन किया है। सांसद ने कहा कि सारी बातें सामने आएंगी पता चलेगा कि इसके पीछे कौन लोग थे। मैं फिर भी मैं आग्रह करना चाहता हूं, यह जो महाकुंभ है यह हमारे यह हमारी आस्थाओं का पर्व है। हमें सरकार के द्वारा उठाए गए कदम और जो प्रबंधन है उनके साथ खड़ा होना चाहिए। यह कोशिश हमें करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भी कुंभ में तीन बार ऐसी घटनाएं हुईं। ये हादसा है। सांसद राजकुमार सांगवान ने कहा कि मेरे बागपत लोकसभा क्षेत्र में एक घटना हुई। मेरे बागपत लोकसभा क्षेत्र में जैन समाज का धार्मिक आयोजन था। आयोजन में लाखों की भीड़ नहीं थी लेकिन घटना घट गई। कई लोगों की जान चली गई। 70-80 लोग घायल हुए। प्रदेश सरकार ने तत्काल उसका संज्ञान लिया। जो घायल लोग थे उनका बड़े अस्पतालों में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ में उपचार कराया। क्योंकि बागपत जनपद में कोई बड़ा अस्पताल नहीं था। सरकार गंभीर थी, जिनकी जान चली गई उन परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की और सरकार ने उनकी आर्थिक मदद करने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री महाकुंभ को सकुशल संपन्न कराने में पूरी मुस्तैदी के साथ लगे हैं। लगातार जितनी बार महाकुंभ में प्रयागराज में इस मेले के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गए हैं, आज तक के इतिहास में जब भी कुंभ का मेला लगा है किसी सरकार के मुखिया ने वहां इतनी बार जाने का काम नहीं किया। और उन्हीं पर सवाल उठाने का काम कर रहे हैं। सांसद ने कहा कि मैं तो फिर आग्रह करूंगा कि यह समय ऐसा नहीं है कि आप आलोचना करें। यह समय ऐसा है जिनकी जान गई है उनके साथ हम खड़े रहे उनको संबल प्रदान करें। जो घायल हुए हैं, उनके उपचार के लिए हम ईश्वर से दुआएं करें कि वह ठीक हों और जो हमारा महापर्व है स्नान का पर्व है जो महाकुंभ है, आस्था से जुड़ा है वह सकुशल संपन्न हो। हम सरकार के साथ मजबूती के साथ खड़े रहें।।

कुंभ में पहले भी हुए हादसे, सरकारें मौन रहीं: लोकसभा में नेता सदन सांगवान बोले- ये एक हादसा, प्रदेश सरकार ने अच्छा आयोजन किया
Netaa Nagari
लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेता नगरी
परिचय
कुंभ मेला हमेशा से ही भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण रहा है। हाल ही में, इस पर्व पर हुए हादसे ने सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारियों पर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में नेता सदन, सांसद सांगवान ने इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया कि पहले भी कुंभ में कई हादसे हुए हैं, लेकिन सरकारें इस पर मौन रहीं। आइए जानते हैं इस विषय पर विस्तार से।
पहले हुए हादसे
इतिहास गवाह है कि कुंभ मेला हमेशा से सुरक्षित नहीं रहा है। पिछले वर्षों में भी भीड़-भाड़ के कारण कई हादसे हो चुके हैं। यह हादसे अक्सर स्थायी रूप से स्वीकृत ट्रैफिक प्रबंधन, सूचित योजना, और सुरक्षा उपायों के अभाव में हुए हैं। नेताओं और प्रशासन के मौन रह जाने से सच्चाई का पर्दाफाश नहीं हो सका।
सांगवान का बयान
लोकसभा में अपने बयान में सांगवान ने कहा, "यह एक हादसा है, जोकि अनपेक्षित था। प्रदेश सरकार ने कुंभ के आयोजन में उत्कृष्टता प्रदर्शित की है।" उनका यह बयान इस बात का प्रमाण है कि सरकारें अक्सर ऐसी घटनाओं को हल्का करने की कोशिश करती हैं, जबकि ज्यादातर मामलों में जिम्मेदारी बांटने का क्रम शुरू होता है।
प्रशासन की भूमिका
कुंभ में प्रशासनिक व्यवस्था का होना आवश्यक है। हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और उन्हें सुरक्षित रूप से स्नान करने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी पड़ती है। दलित, गरीब और महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता होती है। इस बार भीड़ के नियंत्रण को लेकर कोई ठोस योजना न होने के कारण हादसा हुआ।
भविष्य के लिए संभावनाएँ
यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि भविष्य के कुंभ आयोजनों में सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार और प्रशासन को जन जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। इस घटना को लेकर वादाखिलाफी न हो, इस पर भी ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
कुंभ मेले के इतिहास में हुए हादसे सिर्फ संख्या में नहीं, बल्कि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा से संबंधित गहरी समस्या हैं। नेताओं के बयान और सांसदों की बातें हमें एक नई दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन कार्रवाई करने की आवश्यकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि आगामी कुंभ कार्यक्रम में सुरक्षा को सही तरीके से लागू किया जाएगा।
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