कश्मीर के 2 आदिल, एक संदिग्ध आतंकी दूसरे ने पर्यटकों को बचाने में दे दी जान, ऐसी है दोनों की कहानी
Pahalgam Terror Attack: यह कहानी एक ही नाम के दो व्यक्तियों की है और दोनों का नाम आदिल है. उनमें से एक वो आदिल हैं जिन्होंने पर्यटकों को बचाने की कोशिश करते हुए अपने सीने पर गोलियां खायी जबकि दूसरे आदिल ने घाटी की सुंदरता निहारने आए मासूमों को गोलियां से छलनी कर दिया. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों की गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए. इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और दुनिया भर में इसकी निंदा की गई है. दोनों आदिल का जीवन एक दूसरे से बिल्कुल अलगसुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि निहत्थे लोगों को निशाना बनाने वाला आदिल थोकर उर्फ आदिल गुरी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सदस्य है जबकि इन आतंकवादियों से पर्यटकों को बचाने वाले बहादुर शख्स का नाम सैयद आदिल हुसैन शाह है. कश्मीर के विभिन्न पहलुओं को समेटे इन दोनों व्यक्तियों के जीवन में बहुत भिन्नता है. अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा के गुरी गांव का निवासी आतंकवादी आदिल थोकर की उम्र 20 से 30 के बीच है जबकि वीरता का परिचय देने वाले आदिल हुसैन की उम्र लगभग 30 साल थी. लश्कर ए तैयबा का सदस्य है आतंकी आदिलपहलगाम आतंकवादी हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) सदस्य आदिल का जम्मू कश्मीर स्थित घर विस्फोट में नष्ट हो गया. यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि विस्फोट किस कारण से हुआ, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि घर में विस्फोटक छिपा कर रखे गए और वहां तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. 2018 में घर से हुआ था गायबआतंकवादी आदिल 2018 में वैध यात्रा दस्तावेज (वीटीडी) पर पाकिस्तान गया था और उसके बाद गायब हो गया था. जब वह पाकिस्तान गया था तब उसकी उम्र किशोरावस्था से थोड़ी ही ज्यादा थी. इसके बाद जल्द ही ऐसी खबरें आने लगीं कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया है. डोडा और किश्तवाड़ में सक्रिय था आतंकी आदिलअधिकारियों ने बताया कि आदिल 2024 में नियंत्रण रेखा के जरिए घुसपैठ कर भारत आया और जम्मू क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ इलाकों में सक्रिय था. पहलगाम हमले की जांच से पता चला कि आतंकवादियों की संख्या पांच से सात तक हो सकती है. उन्हें यहां के कम से कम दो ऐसे स्थानीय आतंकवादियों ने मदद की है, जिन्होंने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया है. हमले की चश्मदीद ने की आदिल की पहचानफरार आदिल भी उनमें से एक है. इस हमले में मारे गए एक व्यक्ति की पत्नी ने आदिल की पहचान की है. प्रत्यक्षदर्शियों को कम से कम छह से सात तस्वीरें दिखाई गई थीं. उनमें से एक ने आदिल की पहचान की और बताया कि उसने मासूम लोगों पर गोलियां चलाई थी. इसके बाद आतंकवादी पीर पंजाल के घने जंगलों में भाग गए. एक आदिल ने दूसरों को बचाने में दे दी जानएक आदिल हत्यारा है, वहीं दूसरा आदिल नायक है जिसे हजारों लोग प्यार कर रहे हैं और उसकी मौत से गमगीन हैं. वह अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र सदस्य थे. वह पहलगाम से पर्यटकों को अपने खच्चर पर छह किलोमीटर दूर घास के हरे-भरे मैदान तक ले जाकर अपनी आजीविका चलाते थे. इसे 'मिनी स्विट्जरलैंड' भी कहा जाता है. 'हमें अपने भाई पर गर्व'आदिल और उनके परिवार के लिए वह दिन भी अन्य दिन की तरह ही शुरू हुआ था. आदिल के भाई सैयद नौशाद ने कहा, "जब आतंकवादियों ने मंगलवार को पर्यटकों पर हमला किया था तो मेरे भाई ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी. इस हमले में एक पर्यटक के पिता मारे गए थे, उस पर्यटक ने मुझे एसएमएचएस अस्पताल में मेरे भाई के वीरतापूर्ण कार्य के बारे में बताया." नौशाद ने बताया कि हत्यारों ने आदिल की छाती में तीन गोलियां मारी थीं. निडर आदिल की मृत्यु से दुख के बीच सभी को उन पर बहुत गर्व है. नौशाद ने कहा कि उनके भाई का बलिदान हमारे परिवार और दोस्तों के लिए गर्व का क्षण है. 'भाई को जाने से रोका था'आदिल की बहन अस्मा ने बताया कि उन्हें उस दिन कुछ डर सा महसूस हुआ था. आस्मा ने कहा, "सुबह मैंने उससे कहा कि वह आज काम पर न जाए क्योंकि उस दिन मुझे पहले से आभास हो रहा था कि कुछ बुरा होने वाला है. लेकिन उसने मेरी बात नहीं सुनी और चला गया." 'बहन-भाइयों में सबसे दयालु था आदिल हुसैन'उन्होंने अपने भाई को एक बहादुर व्यक्ति बताया जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था. आदिल के पिता सैयद हैदर शाह ने कहा कि उनके सभी बच्चों में आदिल सबसे ज्यादा दयालु था.

कश्मीर के 2 आदिल, एक संदिग्ध आतंकी दूसरे ने पर्यटकों को बचाने में दे दी जान, ऐसी है दोनों की कहानी
Netaa Nagari
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेतानागरी
प्रस्तावना
कश्मीर की वादियों में एक दिल दहलाने वाली घटना घटी, जिसने न केवल इस क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर सवाल उठाए, बल्कि इंसानियत की जिंदा मिसाल भी पेश की। इस लेख में हम आपको बताएंगे दो व्यक्तियों आदिल के बारे में, जिनकी कहानी में एक संदिग्ध आतंकी और एक बहादुर नागरिक का अद्भुत संगम है।
आदिल का पहला परिचय: संदिग्ध आतंकवादी
एक ओर जहां कश्मीर के आदिल को सुरक्षा एजेंसियों ने संदिग्ध आतंकी घोषित कर रखा था, वहीं वे एक ऐसे माहौल में बड़े हुए, जहां उनकी मजबूरी उनके अभियानों का हिस्सा बन गई थी। आदिल का मानना था कि उनका जीवन और उनके निर्णय उनके अनन्य कारणों पर निर्भर करते थे।
लेकिन, क्या वास्तव में आदिल ने अपने अस्तित्व को आतंकवादी गतिविधियों में उलझा रखा था, या संदिग्धता के पीछे कोई और कहानी थी? यह सवाल हर किसी के मन में घूम रहा था।
दूसरे आदिल का परिचय: पर्यटकों का नायक
दूसरी ओर, आदिल नाम का एक दूसरा व्यक्ति था जो पर्यटकों को बचाने में मस्तिष्क और हिम्मत के साथ आगे आया। जब एक समूह पर्यटकों की टोली कथित आतंकवादियों के घेरे में आई, तो इस आदिल ने अपने जीवन को जोखिम में डालते हुए उन लोगों को सुरक्षित निकाला। उनके साहस ने कई लोगों की ज़िंदगी को बदल दिया।
दोनों आदिलों की कहानियों का मिलन
यह दो अलग-अलग ध्रुवों पर खड़े आदिलों की कहानियाँ समय के साथ संगमित होती हैं। एक ओर जहां पहले आदिल ने राह भटक ली थी, वहीं दूसरे ने इंसानियत की मिसालें प्रस्तुत कीं। दोनों की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में हमारे निर्णय और परिस्थितियाँ हमें किस दिशा में ले जाती हैं।
समापन
कश्मीर की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इंसानियत और साहस की कोई सीमा नहीं होती। जीवन के कठिन क्षणों में जब हम सही राह चुनते हैं, तो हम न केवल अपने जीवन को, बल्कि दूसरों का जीवन भी बचा सकते हैं। आओ, इन आदिलों की कहानियों से प्रेरणा लेकर हम भी साहस और इंसानियत का पालन करें।
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