ओवैसी ने सीएम योगी पर साधा निशाना, कहा- मैं अपना धर्म आपसे नहीं सीखूंगा
ओवैसी ने कहा कि हम मस्जिद जाएंगे। क्योंकि, हमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। संविधान का अनुच्छेद-25 मुझे इसकी अनुमति देता है। मैं अपना धर्म आपसे नहीं सीखूंगा।

ओवैसी ने सीएम योगी पर साधा निशाना, कहा- मैं अपना धर्म आपसे नहीं सीखूंगा
Netaa Nagari
नई दिल्ली: एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला है। अपनी बातों में ओवैसी ने स्पष्ट किया कि उनका धर्म नरेंद्र मोदी या योगी आदित्यनाथ से नहीं सीखा जा सकता। इस दौरान उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर जोर दिया है।
सौहार्द्र का संदेश
ओवैसी ने कहा, "हमारे देश का संविधान हर धर्म और जाति के लोगों को समानता का अधिकार देता है। मुझे अपने धर्म के बारे में आप जैसे किसी से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है।" इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच सौहार्द्र का संदेश बहुत महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक背景
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और अन्य राजनीतिक दलों के नेता ओवैसी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा है कि ओवैसी का यह बयान चुनावी माहौल में और नफरत फैलाने वाले बयानों से बचने का प्रयास है। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने इसे धर्म के अपमान के रूप में लिया है।
समाज में धर्म का स्थान
ओवैसी ने आगे कहा कि धर्म का उपयोग किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए। "हमें एकजुट होकर अपने देश के विकास के लिए काम करना चाहिए। हम सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से हो," ओवैसी ने आश्वासन दिया।
सीएम योगी का जवाब
इस आरोप का जवाब देते हुए, योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "धर्म व्यक्ति की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए, और यह बातें केवल चुनावी राजनीतिकरण का हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
ओवैसी का यह बयान धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने का एक प्रयास हो सकता है। हालांकि, यह राजनीति की अनिश्चितताओं का स्पष्ट उदाहरण भी है, जहाँ धर्म का उपयोग वोट पाने के लिए किया जा सकता है। सभी दलों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
लेखिका: दीप्ति शर्मा, टीम नेटानगरी
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