'अरविंद केजरीवाल बताएं जहर का नाम', यमुना के पानी पर विवाद को लेकर AAP पर अमित शाह का निशाना
Delhi Assembly Elections 2025: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार (30 जनवरी 2025) को दिल्ली के रोहिणी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, "मैं केजरीवाल से कहने आया हूं कि चुनाव जीतने के लिए झूठ बोलना बंद करें. केजरीवाल कहते हैं कि भाजपा ने दिल्ली के लोगों को परेशान करने के लिए हरियाणा से यमुना के पानी में जहर मिलाया है". अमित शाह ने सवाल किया,"केजरीवाल जी, आपने कौन सा जहर मिलाया है? नाम बताइए. किस प्रयोगशाला ने इसका परीक्षण किया है? हमें बताएं. आप कह रहे हैं कि हमने जहरीला पानी बहने से रोक दिया, लेकिन अगर यमुना का पानी रोक दिया जाता, तो इससे गांवों में बाढ़ आ जाती. क्या दिल्ली के किसी गांव में बाढ़ आई है?". उन्होंने आरोप लगाया कि AAP सरकार ने यमुना नदी को प्रदूषित कर दिल्लीवासियों को दूषित पानी पीने पर मजबूर किया और दिल्ली जल बोर्ड के पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए. 'दिल्ली में भाजपा के पक्ष में परिवर्तन की लहर'उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) पर झूठ और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और दावा किया कि दिल्ली में भाजपा के पक्ष में परिवर्तन की लहर है. अमित शाह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल झूठ और बहानेबाजी में नंबर 1 हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव हारने के बाद केजरीवाल इतनी सस्ती और ओछी राजनीति पर उतर आए हैं. केजरीवाल पर अमित शाह के हमलेअमित शाह ने कहा कि भाजपा दिल्ली को देश का नंबर 1 राज्य बनाएगी और कोई बहाना नहीं बनाएगी. उन्होंने AAP को "झूठ, फरेब और धोखे" की पार्टी बताया. शाह ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने रिहायशी इलाकों में शराब बंद करने का वादा किया था, लेकिन शराब की दुकानें खोल दीं. स्कूल और मंदिरों के सामने भी शराब की दुकानें खुलवाईं. उन्होंने आगे कहा कि यमुना को लंदन की थेम्स नदी जैसा बनाने का वादा किया था, लेकिन आज तक खुद उसमें डुबकी नहीं लगाई. केजरीवाल ने चुनाव जीतने के लिए भाजपा पर यमुना में जहर मिलाने का आरोप लगाया. केजरीवाल की अन्ना आंदोलन से सत्ता तक की यात्रा पर तंजअमित शाह ने याद दिलाया कि 2010-11 के अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने कहा था कि वे राजनीतिक पार्टी नहीं बनाएंगे, लेकिन अन्ना हजारे रालेगांव पहुंचे भी नहीं थे और AAP बना ली। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल का एक बंगला कम पड़ा तो उन्होंने शीशमहल बनवा लिया, जिसमें सोने के कमोड तक लगाए गए. यह भी पढ़ें:- 'टकराव टाला नहीं जा सकता', न्‍यूक्लियर साइट से किम जोंग उन का ऐलान, अब क्या होगा ट्रंप का कदम?

अरविंद केजरीवाल बताएं जहर का नाम, यमुना के पानी पर विवाद को लेकर AAP पर अमित शाह का निशाना
दिल्ली में हाल ही में यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता को लेकर उपजे विवाद ने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला करते हुए उनसे पूछा है कि 'क्या वे बता सकते हैं कि यमुना के पानी में कौन सा जहर मौजूद है?' इस बयान से दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई है। आइए जानते हैं इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी।
यमुना का पानी और प्रदूषण का मुद्दा
यमुना नदी का पानी वर्षों से प्रदूषण का शिकार है, जिसका मुख्य कारण औद्योगिक अपशिष्ट और असफाई है। जब से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सत्ता संभाली है, तब से इस मुद्दे को लेकर चर्चा जारी है। हालांकि, कई सालों से स्वच्छता के नाम पर प्रोग्राम चलाए गए हैं, लेकिन यथार्थ में स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। अमित शाह ने इस मामले को उठाने के लिए AAP सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
अमित शाह का बयान और राजनीतिक प्रतिक्रिया
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यमुना के पानी में जहर है, और इसका संदर्भ साफ अफसरों की और उनकी नीतियों से जुड़ता है। उन्होंने कहा, "अरविंद केजरीवाल को खुद बताना चाहिए कि यमुना के पानी में कौन सा जहर है।" इस बयान ने राजनीतिक समागम में आग लगाने का काम किया है। AAP ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजनीति करने का एक तरीका बताया।
नागरिकों की चिंताएं
यमुना के पानी की स्थिति को लेकर दिल्ली के नागरिकों में बढ़ती चिंताओं के बीच, प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। स्वच्छ यमुना अभियान जैसी योजना का कार्यान्वयन कितना सफल हुआ है, यह भी संदेह का विषय है। नागरिकों की मांग है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए।
निष्कर्ष
यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता और बढ़ते प्रदूषण को लेकर राजनीति का यह नया आयाम स्पष्ट करता है कि सरकारें कितना कम कर रही हैं। अमित शाह का बयान राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन जरूरी है कि इसमें वास्तविक समाधान भी निहित हो। अंत में, यह जरूरी है कि नागरिक खुद भी अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर आवाज उठाएं।
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