अखिलेश यादव की महाकुंभ में डुबकी, पार कराएगी मिल्कीपुर उपचुनाव की वैतरणी! जानें इसके सियासी मायने
Milkipur By Election: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार (26 जनवरी, 2025) को महाकुंभ में स्नान किया है. अखिलेश यादव लखनऊ से प्रयागराज आए थे. यहां पहुंचकर सपा सुप्रीमो ने सबसे पह संगम में आस्था की डुबकी लगाई. स्नान के बाद उन्होंने कहा कि मुझे यहां पवित्र डुबकी लगाने का मौका मिला. इस दौरान सपा सुप्रीमो ने महाकुंभ के लिए योगी सरकार से 10 हजार करोड़ और रुपये देने की मांग कर दी. इंडिया गठबंधन में शामिल दिग्गज नेताओं में शामिल अखिलेश यादव के महाकुंभ में जाकर स्नान करने के कई मायने निकलते हैं. इंडिया गठबंधन में शामिल किसी भी बड़ी पार्टी के नेताओं ने महाकुंभ की ओर रुख नहीं किया है. वहीं, अखिलेश यादव ने इस मामले में बड़ा संदेश दिया है. न केवल महाकुंभ में स्नान, बल्कि कुंभ को 10 हजार करोड़ के अतिरिक्त आवंटन की मांग का मिल्कीपुर उपचुनाव में बड़ा असर देखने को मिल सकता है. 3 फरवरी को मिल्कीपुर जा रहे अखिलेश यादव आगामी 3 फरवरी को अखिलेश यादव मिल्कीपुर में जनसभा करने वाले हैं और उससे पहले महाकुंभ स्नान के बाद उपचुनाव का खेल पलटने में काम आ सकता है. अखिलेश यादव की पार्टी को हमेशा से मुस्लिम और यादव वोटरों का समर्थन रहा है. अब सपा PDA फॉर्मूला पर काम कर रही है. PDA फॉर्मूला का असर बीते साल हुए लोकसभा चुनाव 2024 में भी देखने को मिला था. भाजपा और सपा के लिए नाक का सवाल बनी मिल्कीपुर सीट अयोध्या की मिल्कीपुर सीट भाजपा और सपा, दोनों के लिए ही नाक का सवाल बन गई है. सीट को जीतने के लिए दोनों पार्टियों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. वैसे तो इस सीट पर मुस्लिम और यादव वोटरों का सपा की तरफ झुकाव है, लेकिन अखिलेश यादव के महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद मिल्कीपुर के हिंदू वोटर भी प्रभावित हो सकते हैं. मिल्कीपुर सीट पर जातीय समीकरण मिल्कीपुर सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर एक लाख से ज्यादा दलित मतदाता हैं. इन मतदाताओं का भाजपा और सपा में बंटना तय माना जा रहा है. बात करें MY वोट बैंक की तो सपा को पास यहां पर 50 हजार यादव और 26 हजार मुस्लिम वोटर हैं. अन्य वोटरों में ब्राह्मण-गोसाई 75 हजार हैं. ठाकुर- 22 हजार हैं. वैश्य 18 हजार, पासी 57 हजार, कोरी 18 हजार, रैदास 16 हजार, पाल 5 हजार, मौर्य 6 हजार हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने भाजपा के गोरखनाथ को 10 हजार से अधिक मतों से हराया था. अखिलेश यादव पार्टी से प्रत्याशी और सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद का समर्थन करने मिल्कीपुर जा रहे हैं. यह भी पढ़ें- Delhi Elections 2025: AAP ने लगाए बुजुर्गों की वोटिंग में झोल-झाल के आरोप, चुनाव आयोग ने दिया तगड़ा जवाब

अखिलेश यादव की महाकुंभ में डुबकी, पार कराएगी मिल्कीपुर उपचुनाव की वैतरणी! जानें इसके सियासी मायने
नेता नागरी टीम द्वारा
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर अपने सियासी मनोबल को बढ़ावा देने के लिए महाकुंभ का आयोजन किया। यह महाकुंभ न केवल धार्मिक भावना से भरा था, बल्कि इसमें राजनीतिक संदेश भी छिपा हुआ था। आज हम जानेंगे इस महाकुंभ के सियासी मायनों और इसके प्रभाव का क्या होगा इस आने वाले उपचुनाव पर।
महाकुंभ: एक संजीवनी बूटी
अखिलेश यादव ने महाकुंभ आयोजन के माध्यम से अपने समर्थकों और वोटर्स के बीच एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया। इस महाकुंभ में बड़ी संख्या में सपाई शामिल हुए, जिन्होंने यह जताने का प्रयास किया कि समाजवादी पार्टी (सपा) अभी भी सक्रिय है। उनका उद्देश्य यह है कि पार्टी अपने पुराने रंगों में लौट सके और चुनावी रण में अपनी ताकत दिखा सके।
मिल्कीपुर उपचुनाव की वैतरणी
मिल्कीपुर उपचुनाव मात्र एक चुनाव नहीं है, बल्कि यह सपा के लिए एक इम्तिहान है। इस उपचुनाव में जीत हासिल करना सपा के लिए जरूरी है ताकि वह अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल कर सके। यादव का यह महाकुंभ इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही आयोजित किया गया था। इसे राजनीतिक वैतरणी पार करने का एक प्रयास माना जा रहा है।
सियासी मायने और भविष्य की संभावनाएं
आगामी उपचुनाव में अखिलेश यादव की महाकुंभ से मिली ऊर्जा और समर्थन सपा को एक नई दिशा दे सकती है। यदि सपा इस उपचुनाव में सफल होती है, तो यह उनकी राजनीतिक वापसी का एक बड़ा संकेत होगा। वहीं, अगर परिणाम विपरीत होते हैं, तो इसके नकारात्मक सियासी परिणाम भी हो सकते हैं।
जनता की धारणा
युवा मतदाता और पारंपरिक समर्थक दोनों ही इस महाकुंभ के प्रत्येक पहलू पर नजर रख रहे हैं। इससे यह स्पष्ट हो सकता है कि जनता की धारणा क्या है और वह सपा की दिशा में किस तरह की प्रतिक्रिया देती है। महाकुंभ में उत्साह और जनसमर्थन, दोनों ही सपा के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
निष्कर्ष
अखिलेश यादव का महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह उनके राजनीतिक ऐजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मिल्कीपुर उपचुनाव की वैतरणी पार करने के लिए यह कदम उठाया गया है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि क्या यह महाकुंभ सपा के लिए नई राजनीतिक दिशा खोल पाएगा या नहीं।
अधिक अपडेट्स के लिए, विजिट करें netaanagari.com.
Keywords
Akhilesh Yadav, Mahakumbh, Milkipur By-election, Samajwadi Party, Uttar Pradesh Politics, Political Rally, Voter Support, Election Strategy, Political Significance, Uttar Pradesh ElectionsWhat's Your Reaction?






