MP: मंडला आदिवासी एनकाउंटर पर सदन में हंगामा, कांग्रेस विधायकों ने किया ये काम
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश विधानसभा में पिछले हफ्ते मंडला जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में एक बैगा आदिवासी की मौत को लेकर सोमवार (17 मार्च)को भारी हंगामा हुआ और विपक्षी कांग्रेस ने सदन से वॉक आउट किया. शून्यकाल में मंडला विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने यह मुद्दा सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि आदिवासी को नक्सली बताकर उसका एनकाउंटर कर दिया गया और सरकार एनकाउंटर की जांच नहीं करा रही. विधानसभा ने भी हमारी मांग को अस्वीकार कर दिया. इसके चलते हमने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पहले ही लाया जा चुका है और सरकार से इस पर जानकारी मांगी गई है. कांग्रेस ने लगाया ये आरोपअध्यक्ष ने विधायकों को आश्वासन दिया कि उन्हें बोलने का मौका मिलेगा और उनसे बैठने का आग्रह किया. आश्वासन के बावजूद कांग्रेस सदस्य शांत नहीं हुए और बाद में उन्होंने सदन के बाहर प्रदर्शन किया. कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने कहा कि "लगातार आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है और सरकार इस विषय पर सदन में चर्चा तक नहीं करना चाहती." उन्होंने कहा, "जिस व्यक्ति को दो दिन पहले नक्सली बताकर एनकाउंटर किया, दो दिन बाद कहते हैं कि वह नक्सली नहीं था. क्या पुलिस या सरकार इस युवक की मौत की भरपाई कर सकती है. इस तरह की हत्याएं आदिवासियों में आम बात हो गई है. सरकार इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा से बच रही है." वहीं टिमरनी-एसटी सीट से पहली बार विधायक बने अभिजीत शाह ने कहा कि हमारी मांग है कि आदिवासी व्यक्ति की हत्या के लिए अधिकारियों और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. पुलिस ने क्या कहा?बता दें मंगलवार को भी विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद है. पिछले हफ्ते बालाघाट जोन के पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार ने पीटीआई को बताया था कि आदिवासी शख्स इलाके के जंगल में नक्सलियों के साथ था. उन्होंने कहा कि वह वहां क्या कर रहा था, यह जांच का विषय है. उन्होंने कहा कि अक्सर नक्सली आदिवासियों के साथ घूमते हैं. हालांकि, पुलिस के पास यह साबित करने के लिए कोई रिकॉर्ड नहीं है कि लसारा टोला गांव का निवासी पार्थ माओवादी था. पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ के दौरान 205 राउंड फायर किए गए थे, जिसमें 125 नक्सलियों द्वारा फायर किए गए. ये भी पढ़ें- Rewa News: रीवा में पत्नी और सास की प्रताड़ना से तंग आया युवक, इंस्टा लाइव पर किया सुसाइड

MP: मंडला आदिवासी एनकाउंटर पर सदन में हंगामा, कांग्रेस विधायकों ने किया ये काम
Netaa Nagari
लेखिका: साक्षी तिवारी, टीम नेता नगरी
परिचय
मध्य प्रदेश के मंडला जिले में हाल ही में हुए आदिवासी एनकाउंटर के बाद विधानसभा में हंगामा मच गया है। कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे को लेकर सख्त नाराजगी व्यक्त की है। इस घटना ने न केवल विधानसभा में, बल्कि आम जनता में भी हलचल पैदा कर दी है। चलिए जानते हैं इस विवाद के पीछे के कारण और कांग्रेस के विधायकों की कार्रवाई के बारे में।
क्या हुआ मंडला में?
मंडला जिले में आदिवासियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई ने कई सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस द्वारा किए गए इस एनकाउंटर में आदिवासी समुदाय के कुछ व्यक्ति मारे गए थे, जिससे स्थानीय लोगों में क्रोध की लहर दौड़ गई। एनकाउंटर के पीछे पुलिस का दावा था कि यह कार्रवाई कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक थी। लेकिन यह तर्क आदिवासी समुदाय और कांग्रेस के लिए अस्वीकार्य है।
विधानसभा में हंगामा
कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया और सदन में हंगामा खड़ा कर दिया। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की जाए। कांग्रेस नेता ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है। इसके बाद सदन में तीखी बहस हुई और प्रश्नकाल में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
कांग्रेस की मांगें
कांग्रेस ने न केवल एनकाउंटर की जांच की मांग की है, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को आदिवासी लोगों के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए। विधायकों का यह भी कहना है कि यह घटना आदिवासी अधिकारों के हनन को दर्शाती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने मुख्य मंत्री से भी इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने की अपील की।
सरकार का रुख
सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, विधानसभा में नाराजगी को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही इस पर प्रतिक्रिया देगी। एनकाउंटर की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाने की मांग भी उठाई गई है। इस मुद्दे का समाधान न होने पर आंदोलन की संभावना भी जताई जा रही है।
निष्कर्ष
मंडला में हुए आदिवासी एनकाउंटर ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना कितनी जरूरी है। कांग्रेस विधायकों की कड़ी प्रतिक्रिया ने निश्चित रूप से इस मुद्दे को छू लिया है। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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