ISRO की बढ़ गई टेंशन! NVS-02 सैटेलाइट ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका; ‘थ्रस्टर्स’ हुए फेल

इसरो ने हाल ही में अपना 100वां मिशन लॉन्च किया था, लेकिन इस मिशन में अब इसरो को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसरो को NVS-02 सैटेलाइट को मनचाहे ऑर्बिट में स्थापित करने के अपने मिशन में थ्रस्टर फेल होने की वजह से झटका लगा है।

Feb 3, 2025 - 07:37
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ISRO की बढ़ गई टेंशन! NVS-02 सैटेलाइट ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका; ‘थ्रस्टर्स’ हुए फेल
ISRO की बढ़ गई टेंशन! NVS-02 सैटेलाइट ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका; ‘थ्रस्टर्स’ हुए फेल

ISRO की बढ़ गई टेंशन! NVS-02 सैटेलाइट ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका; ‘थ्रस्टर्स’ हुए फेल

Netaa Nagari, द्वारा लिखित: स्नेहा रॉय

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को हाल ही में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है। उनका नवीनतम उपग्रह NVS-02, जो नेविगेशन सैटेलाइट की श्रेणी में आता है, ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका। इस विफलता का मुख्य कारण 'थ्रस्टर्स' की तकनीकी खराबी बताई जा रही है। यह घटनाक्रम ISRO के लिए एक नई चुनौती लेकर आया है, जिसे उसे सर्वोच्च प्राथमिकता में सॉल्व करना होगा।

NVS-02 सैटेलाइट की विशेषताएँ

NVS-02 सैटेलाइट को एक नई तकनीक के साथ विकसित किया गया था, जिसका उद्देश्य प्रशांत क्षेत्र में नेविगेशन सुविधाओं को प्रदान करना था। यह सैटेलाइट GNSS (Global Navigation Satellite System) प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे यातायात नियंत्रण और कनेक्टिविटी। ISRO ने पहले भी इस तरह के कई सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं, लेकिन इस बार तकनीकी समस्याएँ चिंता का विषय बनी हुई हैं।

थ्रस्टर्स में आई खराबी

ISRO के अनुसार, NVS-02 सैटेलाइट के 'थ्रस्टर्स' में तकनीकी खराबी आई थी, जिसके कारण यह उपग्रह निर्धारित कक्षा में स्थापित नहीं हो सका। सूचना के अनुसार, उपग्रह की कक्षा में जाने के लिए आवश्यक थ्रस्ट उत्पन्न नहीं हो पाया, जिससे यह अपने स्थान तक पहुँचने में असफल रहा। यह एक गंभीर तकनीकी चूक है, जो ISRO की छवि पर भी असर डाल सकती है।

ISRO की प्रतिक्रिया

ISRO के विशेषज्ञों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। संगठन ने कहा है कि वे जल्द ही कारणों की पुष्टि करेंगे और भविष्य के कदम निर्धारित करेंगे। ISRO बड़े पैमाने पर अपनी तकनीकी प्रक्रियाओं का पुनरावलोकन करेगा और सुनिश्चित करेगा कि ऐसी घटनाएँ भविष्य में न हों।

भविष्य की संभावना

ISRO के इस दृढ़ता से, उम्मीद है कि वे इस विफलता से जल्दी ही उभरेंगे। वैज्ञानिकों ने कहा कि वे NVS-02 सैटेलाइट के बैकअप रणनीतियों पर भी काम कर रहे हैं, ताकि नेविगेशन सुविधाएँ बाधित न हों। भारत की अंतरिक्ष महत्ता को बनाए रखने के लिए ISRO को इस चुनौती को स्वीकारते हुए अपनी तकनीक में सुधार करना होगा।

निष्कर्ष

ISRO की यह घटना एक गंभीर रुख का प्रतीक है, जो दर्शाती है कि तकनीकी क्षेत्र में सुधार और विकास की अनिवार्यता है। सैटेलाइट के नष्ट होने से भारत की नेविगेशन प्रणाली पर पड़ने वाले प्रभावों की स्पष्ट चर्चाएँ हो रही हैं। फिर भी, ISRO की योजनाएँ और प्रयास इस चुनौती को पार करने के लिए आशाजनक हैं। हम सभी को उम्मीद है कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम आगे बढ़ेगा और हमें जल्द ही सफलता मिलेगी।

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