Explainer: मॉरीशस में कैसे हुआ पूर्वांचलियों का वर्चस्व? जानें अफ्रीका के हिंदू बहुल देश की कहानी
मॉरीशस में भारतीयों, खासकर पूर्वांचल के लोगों का महत्वपूर्ण वर्चस्व है। 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य इन्हें कृषि कार्य के लिए लाया था। आज, पूर्वांचलियों ने देश की सियासत, समाज, और संस्कृति पर गहरा असर डाला है।

Explainer: मॉरीशस में कैसे हुआ पूर्वांचलियों का वर्चस्व? जानें अफ्रीका के हिंदू बहुल देश की कहानी
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेता नागरी
मॉरीशस, हिंदू बहुल अफ्रीकी देश, जहाँ पूर्वांचलियों का वर्चस्व तेजी से बढ़ रहा है। इस छोटे से द्वीप राष्ट्र की कहानी पिछले कुछ दशकों में सामाजिक और आर्थिक बदलावों के साथ जुड़ी हुई है। आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि कैसे पूर्वांचलियों ने मॉरीशस में अपनी पहचान बनाई और आज वे यहाँ के प्रमुख समाज का हिस्सा हैं।
मॉरीशस का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मॉरीशस की जमीन पर हिंदुओं का आगमन 18वीं सदी में हुआ, जब अंगेजों ने यहाँ चीनी कृषि श्रमिकों के साथ-साथ भारतीय श्रमिकों को भी लाना शुरू किया। इन भारतीयों में से ज्यादातर पूर्वांचल के थे, विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार से भी। उनकी मेहनत और संघर्ष ने मॉरीशस में कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
पूर्वांचलियों का सामाजिक प्रभाव
मोदी सरकार की नीति और समाज में उनकी बढ़ती हुई भूमिका ने पूर्वांचलियों को यहाँ की राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। वे न सिर्फ कृषि में वरदान साबित हुए हैं, बल्कि शिक्षा, व्यवसाय और प्रशासन में भी अपनी पहचान बनाई है। इसे देखते हुए, मॉरीशस में एक সিনियर पुलिस अधिकारी भीपूर्वांचलियों से है, जो उनके प्रभाव को दर्शाता है।
संस्कृति और पहचान
पूर्वांचलियों की संस्कृति मॉरीशस के समाज का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। त्यौहारों, धार्मिक गतिविधियों और सामाजिक आयोजनों में उनकी भागीदारी से मॉरीशस की सांस्कृतिक विविधता को और भी समृद्धि मिली है। यहाँ के लोग त्योहारों को धूमधाम से मनाते हैं, जिससे उनकी संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है।
अर्थव्यवस्था में योगदान
पूर्वांचलियों का आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने अनेक व्यवसाय खड़े किए हैं जैसे कि खाद्य उद्योग, वस्त्र उद्योग और पर्यटन। यूं कहें तो, उनका व्यापारिक दिमाग और मेहनत ने मॉरीशस की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है।
निष्कर्ष
मॉरीशस में पूर्वांचलियों का वर्चस्व न केवल उनके श्रम के कारण है, बल्कि उनकी क्षमता, संस्कृति और समाजिक हलचल के कारण भी है। उनकी कहानी अन्य प्रवासी समूहों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। आगे बढ़ने के लिए, यह जरूरी है कि हम इनकी भूमिका और योगदान को पहचानें और समझें। इसके साथ ही, उन्होंने कैसे मॉरीशस की पहचान को आकार दिया है, इसे जानने का यह सही समय है।
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