महाराष्ट्र: 'चेहरे पर मास्क, लंबी दाड़ी और सिर पर...', बच्चों ने बताया कैसे दिखते थे आतंकी

Pahalgam Terror Attack: कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई. इस अटैक में महाराष्ट्र के भी छह पर्यटकों की हत्या कर दी गई. गुरुवार (24 अप्रैल) को हमले में मारे गए महाराष्ट्र के पर्यटकों के बच्चों ने घटना का आंखो देखा हाल बताया.  पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए महाराष्ट्र के  हेमंत जोशी, संजय लेले और अतुल मोने के बच्चों ने टैरर अटैक की आपबीती सुनाई. संजय लेले के बेटे हर्षल लेले ने बताया, "आतंकियों ने फायरिंग की, जिसमें गोली मेरे हाथ छूकर मेरे पिता के सिर पर लगी. हमको वहां लोगो ने कहा कि पहले अपनी जान बचाए इनको आर्मी बचा लेगी. 2 से 2:30 बजे फायरिंग हुई. हमें पहाड़ से नीचे आने में चार घंटे लग गए. 'सिर पर लगा था कैमरा'हर्षल लेले ने आगे बताया, "आतंकवादी बिना कुछ बात किए बार बार एक ही बात बोल रहे थे कि हिंदू कौन है मुस्लिम कौन है और सीधा गोली चला रहे थे. सभी आतंकियों के सिर पर गो प्रो कैमरा लगा था." बताया कैसे थे आतंकीइसके अलावा संजय जोशी के बेटे ध्रुव जोशी ने बताया, "चेहरे पर मास्क था लंबी दाढ़ी थी, फिल्मों में देखते है आतंकवादी वैसा ही हुलिया था. स्थानीय लोगों ने हमारी मदद की. हमें खच्चर और घोड़े वाले नीचे लेकर गए. उन्होंने हमको बाहर तक पहुंचाया." महाराष्ट्र के 65 पर्यटक पहुंचे मुंबईवहीं जम्मू कश्मीर में फंसे महाराष्ट्र के 65 पर्यटकों का पहला ग्रुप गुरुवार (24 अप्रैल) को तड़के मुंबई पहुंचा. राज्य के मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि अन्य पर्यटकों की भी शीघ्र सुरक्षित वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. पहलगाम में मंगलवार को आतंकी हमले में महाराष्ट्र के छह लोगों सहित 26 लोगों के मारे जाने के बाद जम्मू कश्मीर में फंसे राज्य के पर्यटकों को वापस लाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से शिंदे बुधवार शाम श्रीनगर पहुंचे थे.

Apr 24, 2025 - 17:37
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महाराष्ट्र: 'चेहरे पर मास्क, लंबी दाड़ी और सिर पर...', बच्चों ने बताया कैसे दिखते थे आतंकी
महाराष्ट्र: 'चेहरे पर मास्क, लंबी दाड़ी और सिर पर...', बच्चों ने बताया कैसे दिखते थे आतंकी

महाराष्ट्र: 'चेहरे पर मास्क, लंबी दाड़ी और सिर पर...', बच्चों ने बताया कैसे दिखते थे आतंकी

लेखिका: पूजा शर्मा, टीम नेतानगरी

महाराष्ट्र के एक स्कूल में बच्चों ने आतंकवादियों के बारे में एक रचनात्मक ड्राइंग प्रतियोगिता में भाग लिया। इस प्रतियोगिता में बच्चों ने अपने नजरिए से बताया कि उनके अनुसार आतंकवादी कैसे दिखते हैं। बच्चो के अकल्पनीय मनन की इस घटना ने उन पर आतंकवाद के प्रभावों को प्रकट कर दिया और हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इन बच्चों की मानसिकता पर इस तरह के विचार कैसे गहरे छाप छोड़ सकते हैं।

बच्चों की रचनात्मकता का अद्भुत उदाहरण

स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर बच्चों ने आतंकवादियों को आम तौर पर चेहरे पर मास्क, लंबी दाड़ी, और सिर पर बंदूक के साथ चित्रित किया। उनकी रचनाएँ दर्शाती हैं कि ये बच्चे न केवल आतंकवाद के विषय से परिचित हैं, बल्कि उस विषय पर अपनी राय भी रखते हैं। विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि यह प्रतियोगिता बच्चों को अपने विचारों को खुलकर अभिव्यक्त करने का एक मंच प्रदान करती है।

स्कूल का उद्देश्य

इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य बच्चों के बीच आतंकवाद के सच्चे स्वरूप को उजागर करना और उन्हें सामाजिक मुद्दों की पहचान कराना था। कार्यक्रम के आयोजक, शिक्षक संजय पाटील ने कहा, “हमें लगता है कि बच्चों को इस तरह के विषयों पर चर्चा करने का मौका देना चाहिए ताकि वे स्वयं को सुरक्षित महसूस करें और अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।”

समाज में आतंकवाद का प्रभाव

शोध बताते हैं कि बच्चों पर आतंकवाद का खासा प्रभाव पड़ता है। कई बार यह देखा गया है कि बच्चों में आतंकवाद से जुड़ी बातों का भय और आशंका होती है। ऐसे में यदि समाज भविष्य में इन बच्चों को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन नहीं करता है, तो यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है। इसलिए, इस तरह के आयोजन बेहद आवश्यक होते हैं।

निष्कर्ष

बच्चों की इस चित्रण प्रतियोगिता ने हमें दिखाया कि वे कैसे अपनी सोच को व्याख्यायित करते हैं। यह एक संकेत है कि हमें बच्चों को सही मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है ताकि वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें। बच्चों के ये विचार दर्शाते हैं कि वे किस प्रकार की दुनिया में जीने की इच्छा रखते हैं, और हम सभी को चाहिए कि उनके साथ मिलकर एक सुरक्षित भविष्य का निर्माण करें।

समाज के हर वर्ग को इस तरह की गतिविधियों का समर्थन करना चाहिए, ताकि हम सभी मिलकर आतंकवाद जैसे मुद्दों के खिलाफ एकजुट हो सकें।

अंत में, बच्चों के सोचने और व्यक्त करने के अधिकारों को सम्मान देने की जरूरत है, ताकि भविष्य में वे एक अच्छे और सुरक्षित समाज की स्थापना कर सकें।

Keywords

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