पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा
जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, मंगलवार को एक भीषण, दर्दनाक एवं अमानवीय आतंकी हमले का गवाह बना, एक बार फिर जिहादी आतंक का घिनौना-बर्बर चेहरा दिखा। आतंकियों ने पहलगाम में निर्दोष-निहत्थे पर्यटकों की जिस तरह पहचान पता करके गोलियां बरसाईं, उससे यही पता चलता है कि वे केवल खौफ ही नहीं पैदा करना चाहते थे, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों का खून बहाकर दुनिया का ध्यान भी खींचना चाहते थे। यह आतंकवाद एवं सांप्रदायिक घृणा का अब तक का सबसे घिनौना एवं बर्बर हमला एवं चेहरा है, जिसमें हिन्दू सुनकर चलाई गोलियां। जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मूल एजेंडे का हिस्सा है। इस जघन्य एवं त्रासद घटना में निर्दोष पर्यटकों को तब मौत की गहरी नींद सुलाया गया, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में हैं और भारतीय प्रधानमंत्री सऊदी अरब में। इस हमले ने यह प्रकट किया कि कश्मीर में बचे-खुचे आतंकी किसी भी सीमा तक गिरने पर आमादा हैं। आतंकियों ने उन पर्यटकों को निशाना बनाया, जो कश्मीरियों की रोजी-रोटी को ही सहारा देने कश्मीर गए थे। यह हमला इतना वीभत्स था कि उसने हर संवेदनशील दिल को झकझोर कर रख दिया। आतंकियों ने नृशंसता की सारी सीमाएं पार करते हुए अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 28 पर्यटक, जिनमें दो विदेश नागरिक भी थे, की दर्दनाक मौत हो गई।हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि हमलावरों ने दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग से होते हुए किश्तवाड़ के रास्ते बैसरन तक पहुंच बनाई। घटना दोपहर करीब तीन बजे की है, जब बैसरन के घास के मैदान और आसपास के इलाकों में भारी संख्या में पर्यटक मौज-मस्ती कर रहे थे, कुछ खच्चरों की सवारी का आनंद ले रहे थे तो कुछ परिवार पिकनिक मना रहे थे। तभी घात लगाए बैठे आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना के लिये सीधे तौर पर पाकिस्तान जिम्मेदार है। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि चंद दिन पहले ही पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर ने किसी जिहादी की तरह हिंदुओं और भारत के खिलाफ अपनी घृणा का भद्दा प्रदर्शन किया था। अबू मूसा का वह भाषण और उसके तुरंत बाद हुआ पहलगाम नरसंहर दर्शाता है कि पीओके में बैठे आतंकी सरगना न केवल भारत विरोधी जहरीला प्रचार फैला रहे हैं, बल्कि कश्मीर घाटी की शांति, विकास एवं सौहार्द को बाधित करने की हर कोशिश को सफल बनाने में जुटे हैं। वे आगामी समय में घाटी को फिर से अशांत करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। इस भीषण आतंकी हमले के बाद घाटी में पर्यटन संबंधी कारोबार करीब-करीब ठप पड़ना तय है। आखिर इतनी भयावह घटना के बाद कौन पर्यटक कश्मीर की ओर रुख करेगा?इसे भी पढ़ें: 'हम कश्मीरियों को दुश्मन न समझें, हमारी कोई गलती नहीं, ये सब पाकिस्तान ने किया', उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयानलम्बे समय की शांति, अमन-चैन एवं खुशहाली के बाद एक बार फिर कश्मीर में अशांति एवं आतंक के बादल मंडराये हैं। धरती के स्वर्ग की आभा पर लगे ग्रहण के बादल छंटने लगे थे कि एक बार फिर पहलगाव में आतंकियों ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा करने वाली घटना को अंजाम दिया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार कश्मीर में इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ है। आतंकियों और उनके समर्थकों को करारा जवाब दिया जाना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है। पहलगाम में आतंकी हमले की गंभीरता इससे प्रकट होती है कि जहां गृहमंत्री अमित शाह आनन-फानन श्रीनगर के लिए रवाना हुए, वहीं सऊदी अरब गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली आ गये। दिल्ली आते ही एयरपोर्ट पर ही एक मीटिंग की, जिसमें अजित डोभाल से गंभीर मंत्रणा के बाद इस आतंकवादी घटना के खिलाफ एक्शन लेना प्रारंभ कर दिया। मोदी एवं शाह के एक्शन से उम्मीद बंधी है कि इस बार कुछ निर्णायक होगा। पहलगाम की सुंदर घाटी को रक्त रंजित करने के लिये आतंकवाद का जिन्न भले ही निकल आया हो, लेकिन इस बार निर्दोष एवं बेकसूर लोगों का रक्त व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। यह हमला पाकिस्तान की बौखलाहट का नतीजा है, उसी के इशारे पर किया गया। यह मानने के पुख्ता एवं पुष्ट कारण हैं कि पाकिस्तान सुलगते बलूचिस्तान से दुनिया का ध्यान हटाना चाहता है और उसे यह रास नहीं आ रहा कि कश्मीर में स्थितियां तेजी से सामान्य होती जा रही हैं। भारत को पाकिस्तान के शैतानी इरादों के प्रति और अधिक सतर्क रहना चाहिए था। वह न पहले भरोसे लायक था और न अब। अब आतंकियों को शह और सहयोग देने वाले पाकिस्तान को निर्णायक रूप से सबक सिखाया जाना ज्यादा जरूरी हो गया है। तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ भारत की एक बड़ी जीत बनी है, जिससे भी पाकिस्तान भयभीत बना। मुंबई सहित देश के अन्य हिस्सों और विशेषतः जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले की पूरी प्लानिंग के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई व उसकी जमीन पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों का हाथ न केवल था, बल्कि आर्थिक एवं अन्य तरह का सहयोग भी शामिल है। पहलगाम की ताजा घटना हो या बार-बार होने वाली आतंकी घटनाएं तमाम सबूत होने के बाद भी पाकिस्तान इन हमले के पीछे अपनी कोई भूमिका होने से इनकार करता रहा है। हालांकि वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी जैसे आतंकवादी सरगनाओं को बचाता भी रहा है। राणा के माध्यम पाकिस्तान का पूरा सच देश एवं दुनिया के सामने आने का डर पाकिस्तान को सता रहा था, तभी उसने इस पहलगाम की घटना को अंजाम दिया। लेकिन अब हद हो गयी। अब एक साथ कई मोर्चें पर आतंकवाद के खिलाफ कमर कसनी होगी, अब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का असली बड़ा काम यहां से शुरू करना होगा। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीमा पार यानी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ने में भारत का साथ देने का संकल्प एकबार फिर दोहराया है, इसी तरह रूस भी भारत के साथ है। अनेक देशों ने भारत की आतंकवाद के

पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेता नगरी
जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में एक बार फिर से आतंक का एक भयावह चेहरा सामने आया है। यहाँ हाल ही में हुए एक आतंकी हमले ने न केवल सरकार बल्कि आम नागरिकों में भी दहशत फैला दी है। आतंकवादियों ने निशाना बनाया निर्दोष लोगों को, जो केवल अपनी जिंदगी जीने आए थे। इस हमले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि मजहबी आतंकवाद का शिकंजा अब भी कसता जा रहा है।
आवाज उठाने का समय
जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में आतंकवाद का सफाया करने के लिए समय-समय पर सुरक्षा बलों द्वारा अभियान चलाए गए हैं, लेकिन फिर भी हालात में सुधार की कमी नजर आती है। पहलगाम में अघोषित युद्ध की स्थिति में, स्थानीय लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इस कड़े परिस्थिति को बदलने के लिए अब केवल सुरक्षा बलों का प्रयास ही नहीं, बल्कि आम जनता को भी सजग रहना होगा।
हमले का विवरण
हाल ही में एक ग्रुप टूरिस्ट पर हमला करने का काला सच सामने आया। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की मृत्यु हुई, साथ ही कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए। स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इलाके में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों की मदद से आतंकवादियों की पहचान एवं स्थिति का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
झुकाव और प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी आवाज उठाई है। कुछ नेताओं ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह उनकी असफलता का संकेत है। वहीं, कुछ लोगों ने सुरक्षा बलों की प्रशंसा की है। लोगों की सुरक्षा पहला कर्तव्य है, और इस पर सटीक कार्यवाही होनी चाहिए।
हमले के पीछे का कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आतंकवादी हमले के पीछे मजहबी कट्टरपन का हाथ है। युवा पीढ़ी को बहकाने और आतंकवाद की दिशा में मोड़ने के लिए फैलाए जा रहे भ्रामक विषयों ने समाज में सुरक्षा के मुद्दे को और जटिल बना दिया है।
निष्कर्ष
पहलगाम में हुए इस बर्बर आतंकी हमले ने एक बार फिर से हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें इस स्थिति के गंभीरता को समझना होगा और मिलकर इसका सामना करना होगा। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि सभी नागरिकों को इसमें भागीदारी निभानी होगी। केवल एकजुटता से ही हम आतंकवाद जैसे घातक समस्या से निपट सकते हैं।
इसके लिए हमें चाहिए कि हम समाज में एकजुटता बढ़ाएं और आतंकवाद का हर स्तर पर सामना करें। इसके लिए हमें स्थानीय संगठनों और प्रशासन के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
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