महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं ने भरा रेलवे का खजाना, 200 करोड़ रुपये के बिके टिकट
UP News: प्रयागराज महाकुंभ में रेलवे ने एक तरफ साढ़े सत्रह हजार ट्रेनों का संचालन कर श्रद्धालुओं को सुरक्षित उनके घर भेजने योगदान निभाया तो वहीं दूसरी तरफ उसने जमकर कमाई भी की. डेढ़ महीने के महाकुंभ के दौरान रेलवे ने अकेले प्रयागराज शहर के आठ रेलवे स्टेशनों से चलने वाली ट्रेनों के लिए तकरीबन दो सौ करोड रुपये एक टिकट भेजे हैं. आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर श्रद्धालुओं ने टिकट लेकर ही रेल यात्रा की और रेलवे को मालामाल कर उसके खजाने को भर दिया. हालांकि रेलवे की प्राथमिकता कतई पैसा कमाना नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं को सुरक्षित उनके शहरों तक पहुंचाना था. यही वजह है कि महाकुंभ के समापन के अगले दिन से ही रेलवे ने साल 2031 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले की तैयारिया अभी से शुरू कर दी है. रेल अफसर का दावा है कि प्रयागराज में 6 साल बाद होने वाले कुंभ के लिए अकेले संगम नगरी ही नहीं, बल्कि अयोध्या - वाराणसी, विंध्याचल और चित्रकूट का एक सर्किट बनाकर प्लान तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है. नॉर्थ सेंट्रल रेलवे जोन के प्रयागराज मंडल के डीआरएम हिमांशु बडोनी और सीनियर डीसीएम हिमांशु शुक्ला के मुताबिक महाकुंभ के दौरान प्रयागराज शहर में नॉर्थ सेंट्रल रेलवे जोन के चार रेलवे स्टेशनों पर 159.20 करोड रुपये के टिकट बेचे गए. इसके अलावा उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के तीन रेलवे स्टेशनों से 21.79 करोड रुपये के टिकट बिके. पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के दो रेलवे स्टेशनों से 6 करोड रुपये के टिकट बेचकर रेलवे ने कमाई की. 2019 के कुंभ में रेलवे ने सिर्फ 86 करोड रुपये के ही टिकट बेचे थे. अफसरों का दावा है कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं द्वारा पूरी तरह मुफ्त रेल सफर के दावे एकदम गलत हैं. ज्यादातर श्रद्धालुओं ने टिकट लेकर ही ट्रेन की यात्रा की. तमाम डिजिटल तरीके से ऑनलाइन टिकट खरीदें. तमाम श्रद्धालुओं ने मशीनों और एप के जरिए टिकट लेकर रेलवे को भुगतान किया और अपने कर्तव्य धर्म का पालन किया. डीआरएम हिमांशु बडोनी और सीनियर डीसीएम हिमांशु शुक्ला समेत अन्य अफसरों ने बताया कि इस बार अप्रत्याशित संख्या में श्रद्धालु जरूर आए, लेकिन रेलवे के 3 साल के होमवर्क के चलते प्रयागराज में कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई और ना ही कोई घटना दुर्घटना हुई. अफसरों ने जानकारी दी है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के निर्देश पर रेलवे ने अभी से 6 साल बाद आयोजित होने वाले कुंभ मेले की तैयारी शुरू कर दी हैं. अभी पेपर वर्क कर प्लान तैयार किया जा रहा है. तीन तरह के प्लान बनाए जा रहे हैं. पहले लांग टर्म, दूसरा मीडियम टर्म और तीसरा शॉर्ट टर्म का. अगले कुंभ के लिए तैयारिया सिर्फ अकेले प्रयागराज में ही नहीं बल्कि अयोध्या वाराणसी मिर्जापुर और चित्रकूट को मिलाकर बनाए जा रहे सर्किट में की जानी है. 24 कैरेट गोल्ड की गुझिया! कानपुर में मिल रही अनोखी मिठाई, कीमत सुन रह जाएंगे दंग

महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं ने भरा रेलवे का खजाना, 200 करोड़ रुपये के बिके टिकट
लेखक: सुमिता वर्मा, टीम नेता नगरी
परिचय
हाल ही में आयोजित महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया है, बल्कि भारतीय रेलवे के खजाने में भी भरपूर इजाफा किया है। इस महाकुंभ के दौरान रेलवे ने 200 करोड़ रुपये के टिकट बेचे, जिससे यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोन से भी बेहद महत्वपूर्ण बन गया है।
महाकुंभ की भव्यता
महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित किया जाता है और इसमें चार मुख्य स्थान हैं: हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयागराज), Nashik, और उज्जैन। हर स्थान पर श्रद्धालुओं की महाकुंभ में भागीदारी अद्वितीय होती है। इस बार, हरिद्वार और प्रयागराज में विशेष आयोजन किए गए थे, जिनमें बड़ी संख्या में भक्त अपनी आस्था के साथ आए।
रेलवे का योगदान
Railway ने इस महाकुंभ को सुगम बनाने के लिए अनेक विशेष ट्रेनें चलाईं, जिससे यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखा गया। चर्चित बात यह है कि इस महाकुंभ के दौरान रेलवे को 200 करोड़ रुपये की आमदनी हुई, जो पहले के रिकॉर्ड को तोड़ता है। रेलवे द्वारा चलायी गई विशेष ट्रेनों ने लाखों श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुँचाया। इन ट्रेनों में सुविधा और कनेक्टिविटी का विशेष ध्यान रखा गया था।
आर्थिक प्रभाव
महाकुंभ न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक है, बल्कि यह स्थानीय व्यवसायों के लिए भी कई अवसर लेकर आया है। व्यापारियों ने होटल, भोजन, और परिवहन सेवाओं में भारी बिक्री की। इस आयोजन ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, जिससे इस क्षेत्र में विकास की नई संभावनाएँ खुली हैं।
निष्कर्ष
महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति और आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस बार श्रद्धालुओं की उपस्थिति और रेलवे की आय ने साबित कर दिया है कि यह न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि आर्थिक विकास का साधन भी है। रेलवे और स्थानीय व्यावसायिक उपायों ने इस महान अवसर का लाभ उठाया है। इस प्रकार, महाकुंभ नित नई ऊँचाइयों को छू रहा है।
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