बिहार के इस जिले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 'नो एंट्री', कार्यक्रम से क्यों रोका गया? सियासत तेज

Baba Dhirendra Shastri: बाबा बागेश्वर को बिहार के वैशाली आने की अनुमति नहीं मिल सकी. वो बुधवार 5 मार्च को बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेने वाले थे, लेकिन पुलिस ने इस पर रोक लगा दी है.  कार्यक्रम में 5 से 7 लाख लोग भाग लेने की संभावना थी, जिसे देखते हुए रोक लगाई गई है.  मंदिर के पास आने जाने के लिए सुरक्षित रास्ता नहीं दरअसल प्रशासन ने अनुमान लगाया कि लाखों लोग कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं, यहां मंदिर के पास आने जाने के लिए सुरक्षित रास्ता या कोई पुल नहीं है. गंगा नदी से घिरा हुआ चारों तरफ का द्वीपीय क्षेत्र है, ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों का आना सुरक्षित नहीं है और कार्यक्रम वाले इलाके में संसाधन उपलब्ध नहीं है, जहां पर लाखों लोगों की सहभागिता के साथ कार्यक्रम करना विधि व्यवस्था के हिसाब से सही नहीं है. हाजीपुर पुलिस ने पत्र जारी कर उस खबर का खंडन किया है, जिसमें धीरेंद्र शास्त्री की आगमन की खबर चलाई गई थी, वहीं बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री ने अपना वीडियो बयान जारी कर पूरी बात बतलाई है. उन्होंने कहा कि व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवधानों के कारण हम नहीं आ रहे हैं, आप लोग अपना कार्यक्रम सफल बनाओ. हम बालाजी से प्रार्थना करते हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने कई लोगों को नाम लेते हुए बात को कहा है और लोगों के लिए भगवान से प्रार्थना भी की.  बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री पहले भी दो बार बिहार के गया जिला आ चुके थे, तीसरी बार बिहार के वैशाली जिले राघोपुर दियारा पहुंचने वाले थे, लेकिन प्रशासन का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री के लिए इस इलाके में कार्यक्रम करना सुरक्षित नहीं है. क्षेत्र में लंबे समय से लालू परिवार का कब्जा आपको बता दें कि क्षेत्र पर लंबे समय से लालू परिवार का कब्जा है. यहीं से चुनाव जीतकर लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने हैं और उनके पत्नी राबड़ी देवी भी इसी राघोपुर से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बनी हैं. अब दो बार से बेटे तेजस्वी यादव चुनाव जीतकर विधायक बने हैं और उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बने हुए हैं. हाई प्रोफाइल इलाका होने के बावजूद भी राघोपुर दियारा इलाका में ना तो हाजीपुर से राघोपुर जाने के लिए और नहीं पटना से राघोपुर जाने के लिए कोई पक्की सड़क और ना ही पुल की शुरूआत अब तक की गई है.  ये भी पढ़ेंः नवादा में 4 लोगों की करंट लगने से मौत, मरने वालों में 2 बच्चे भी शामिल, टूटे हुए बिजली के तार ने ली जान

Mar 5, 2025 - 20:37
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बिहार के इस जिले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 'नो एंट्री', कार्यक्रम से क्यों रोका गया? सियासत तेज
बिहार के इस जिले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 'नो एंट्री', कार्यक्रम से क्यों रोका गया? सियासत तेज

बिहार के इस जिले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 'नो एंट्री', कार्यक्रम से क्यों रोका गया? सियासत तेज

Netaa Nagari की टीम से: दीप्ति शर्मा

बिहार के एक जिले में हाल ही में धार्मिक गुरु धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम को 'नो एंट्री' का सामना करना पड़ा है। यह घटना सियासी हलचल को और अधिक तूल दे रही है। आइए, जानते हैं पूरी कहानी और इसके पीछे के सियासी कारण।

क्या है मामला?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जो कि अपने प्रवचनों के लिए जानी जाती हैं, ने बिहार के एक जिले में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया था। लेकिन प्रशासन ने संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम को रोकने का निर्णय लिया। अधिकारियों का कहना है कि इस कार्यक्रम से स्थानीय शांति भंग हो सकती है और हालात बिगड़ सकते हैं।

सियासी हलचल

इस कार्यक्रम के रद्द होने के बाद स्थानीय राजनीतिक दलों में भी हलचल मच गई है। नेताओं का कहना है कि यह कदम राजनीतिक फायदों के लिए उठाया गया है। कुछ का कहना है कि धीरेंद्र कृष्ण की लोकप्रियता सत्तारूढ़ पार्टी के लिए खतरा बन सकती है, इसलिए उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सामाजिक मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि "धर्म और सच्चाई कभी दब नहीं सकती। मैं आप सभी के आशीर्वाद से किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हूँ।" उनका यह बयान उनके भक्तों के बीच में एक नई ऊर्जा भरने का कार्य कर रहा है।

क्या होगा अगला कदम?

अब देखना यह है कि इस विवाद के बाद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थक किस प्रकार एकजुट होते हैं। क्या वे फिर से कोई कार्यक्रम आयोजित करेंगे या फिर प्रशासन के आदेश मानकर चुप रहेंगे? सियासी गलियारे में इस घटना के बाद और भी गंभीर बहस छिड़ी है।

निष्कर्ष

बिहार के इस जिले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के 'नो एंट्री' घटना ने सियासत को एक नया मोड़ दे दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि धार्मिक कार्यक्रमों के पीछे की राजनीति कितनी गहरी होती है। स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक ध्यान केंद्रित किए जाने के कारण इस तरह की घटनाएं अनेक बार सामने आती हैं।

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